नई दिल्ली: बेंगलुरु में सोमवार से शुरू होने जा रहे इंडिया एनर्जी वीक से पहले अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि भारत की लाइफस्टाइल फॉर एनवायरमेंट (LiFE) पहल को अपनाने से 2030 में वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को दो बिलियन टन से अधिक कम करने में मदद मिल सकती है. नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य की तरफ कदम बढ़ाने के लिए 2030 तक लगभग 20 फीसदी उत्सर्जन में कमी लाने की जरूरत है.
नवंबर 2021 में ग्लासगो में COP26में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से शुरू किए गए LiFE इनिशिएटिव का उद्देश्य देश में स्थायी जीवन शैली को प्रोत्साहित करना और विश्व स्तर पर पर्यावरण को हो रहे नुकसान और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटना है.
आईईए ने सोमवार को जारी अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा के लिए वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा राष्ट्रीय बाजार है. इसने पहले ही अपनी ऊर्जा परिवर्तन रणनीति में कई नीतियों को शामिल कर लिया है और मौजूदा समय में यह अंतरराष्ट्रीय और जी20 औसत दोनों की तुलना में 10 फीसदी अधिक ऊर्जा कुशल है.
IEA के कार्यकारी निदेशक फतिह बिरोल ने कहा, ‘भारत को इस साल मिली G20 की अध्यक्षता, उनके LiFE इनिशिएटिव को ग्लोबलाइज करने के लिए एक बेहतर अवसर है. LiFE इनिशिएटिव जलवायु परिवर्तन, वायु प्रदूषण और अनअफोर्डेबल ऊर्जा बिलों के खिलाफ लड़ाई में LiFE की सिफारिशों के प्रभाव को महसूस करने के लिए अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक नॉलेज-शेयरिंग प्लेटफार्म मुहैया कराता है. चूंकि G20 में शामिल देश वैश्विक ऊर्जा मांग के लगभग 80 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है, इसलिए इसके सदस्यों की तरफ से इस ओर उठाया गया सार्थक कदम एक बड़ा अंतर ला सकता हैं.’
हाल के कुछ सालों में भारत ने कंज्यूमर-सेंट्रिक समाधानों मसलन सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) प्रणालियों में काफी तेजी देखी है. 10 वर्षों से भी कम समय में रूफटॉप सोलर 30 गुना बढ़ गए हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री भी 2021 से तीन गुना हो गई है, जो 2022 में बाजार हिस्सेदारी का लगभग 5 प्रतिशत है.
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अमीर-गरीब की खाई को पाटना
‘LiFE लेसन्स फ्रॉम इंडिया’ रिपोर्ट के मुताबिक, LiFE इनिशिएटिव के तहत सैनिटेशन, खाना बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली स्वच्छ ऊर्जा की चुनौतियों, कचरे और प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने, स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने और सस्टेनेबल खाद्य प्रणालियों को अपनाने के साथ-साथ पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल, ऊर्जा कुशल उपकरणों को अपनाना, छत पर सौर पैनल स्थापित करने जैसी फ्यूल -एफिशिएंट तकनीकों को बढ़ावा देना शामिल है. एजेंसी का अनुमान है कि इस तरह के उपाय उपभोक्ताओं को 2030 में मोटे तौर पर 440 बिलियन डॉलर बचाने में मदद कर सकते हैं.
इसके अलावा ऐसे उपाय विकासशील और विकसित देशों के बीच ऊर्जा खपत और उत्सर्जन में असमानताओं को कम करने में भी मदद कर सकते हैं. 2030 तक उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में LiFE उपायों के कारण प्रति व्यक्ति कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में आई कमी, उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में तीन से चार गुना अधिक है.
इन LiFe उपायों को व्यक्तियों के साथ-साथ कंपनियों और संस्थानों दोनों ही जगह पर रोजमर्रा की जिंदगी में लागू किया जा सकता है. IEA का अनुमान है कि उत्सर्जन में लगभग 60 प्रतिशत की कमी सीधे सरकारों की तरफ से किए प्रयासों की वजह से संभव है.
भले ही नागरिकों द्वारा LiFE सस्टेनेबिलिटी के उपाय किए जा रहे हों, लेकिन सरकारी निकाय इस प्रक्रिया को पारदर्शी और सुसंगत नीति समर्थन और संदेश के माध्यम से आगे बढ़ा सकते हैं जैसे कि शहरों में कम उत्सर्जन वाले क्षेत्र शुरू करना या स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में उपभोक्ता निवेश का समर्थन करना.
आईईए ने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता पीएम मोदी की लाइफ इनिशिएटिव को जी20 के एनर्जी ट्रांजिशन के मौजूदा फ्रेमिंग में एंकरिंग करके और मजबूत कर सकती है ताकि सफल नीतियों पर अनुभव इकट्ठा किया जा सके. इस समूह के सदस्य पहले से ही इस पर काम कर रहे हैं.
(अनुवादः संघप्रिया / संपादनः आशा शाह )
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