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Wednesday, 20 November, 2024
होमदेशबाल विवाह पर असम की कड़ी कार्रवाई अपने पीछे छोड़ गई रोती-बिलखती युवतियां और बच्चे

बाल विवाह पर असम की कड़ी कार्रवाई अपने पीछे छोड़ गई रोती-बिलखती युवतियां और बच्चे

असम में अब तक 4,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं और 2,000 से अधिक गिरफ्तारियां हुई, लेकिन आलोचकों का कहना है कि समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए सामाजिक जागरूकता की ज़रूरत है.

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गुवाहाटीः निज़ारा बेगम (18) एकदम व्याकुल हैं क्योंकि उनके 26-वर्षीय पति इस्माइल अली को असम के बक्सा जिले के बोथीमारी गांव में उनके घर से गिरफ्तार किए कुछ घंटे बीत चुके हैं और तब से, उनका तीन महीने का बेटा अपने पिता के लिए रो रहा है और निज़ारा एक गमगीन बच्चे को चुप कराने की पूरी कोशिश कर रही हैं.

माजुली में, दो रातों की नींद हराम करने के बाद, 18-वर्षीय मौसमी हजारिका आखिरकार चैन की सांस ले सकती है, क्योंकि उनके 27-वर्षीय पति पप्पू हजारिका, जिन्हें माजुली जिले के कमलाबाड़ी में युगल के घर से गुरुवार रात गिरफ्तार किया गया था, शनिवार दोपहर जमानत पर रिहा हो गए.

इस जोड़े की शादी को आठ महीने हो चुके हैं और मौसमी इस रविवार को अपने होने वाले बच्चे के लिए ‘होकम’ समारोह का इंतजार कर रही थी, लेकिन पप्पू को गिरफ्तार कर लिया गया.

इस्लाम अली और पप्पू हजारिका दोनों को एक ही अपराध – बाल विवाह के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था.

असम के पुलिस महानिदेशक जी.पी. सिंह ने मीडिया को बताया कि शुक्रवार तक 36 घंटे की अवधि में 4,074 मामले दर्ज किए गए. पिछले कुछ वर्षों में कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा एकत्र किए गए प्रारंभिक आंकड़ों के बाद बाल विवाह में कम से कम 8,000 लोगों को शामिल पाया गया था, जिसके बाद अभूतपूर्व कार्रवाई शुरू की गई थी.

शनिवार को एक ट्वीट में, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, ‘बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई लगातार दूसरे दिन भी जारी है और अब तक 2,200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इस सामाजिक अपराध के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी.’

असम के पुलिस महानिदेशक जी.पी. सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि पिछले कुछ वर्षों में एकत्र किए गए आंकड़ों के बाद पता चला कि कम से कम 8,000 लोग बाल विवाह में शामिल थे, इसके बाद कार्रवाई शुरू की गई थी.

उन्होंने कहा, ‘इस अपराध की भयावहता अथाह है. जब मैं प्रत्येक मामले से गुज़रा तो यह दिल दहला देने वाला था – लड़कियों की किशोरावस्था में बमुश्किल शादी और गर्भवती होना. मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि इसे न सिर्फ नीचे लाया जाए बल्कि जड़ से खत्म किया जाए.’

यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 (पॉक्सो) और बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों के तहत बुक किए गए लोगों में 52 काज़ी या निकाह-रजिस्ट्रार हैं, जिन्हें कानूनी रूप से मुस्लिम विवाह पंजीकृत करने का अधिकार है.

मुख्यमंत्री सरमा ने यह भी कहा कि बाल विवाह के खिलाफ अभियान 2026 के विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा और इसके लिए एक हेल्पलाइन भी शुरू की जाएगी.

अपराध में शामिल पाए गए माता-पिता के खिलाफ कार्यवाही पर सरमा ने कहा कि सरकार उन्हें नोटिस भेजेगी, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि लगभग 3,500 लोगों को गिरफ्तार किया जाना बाकी है और उन्हें अदालत के समक्ष भेजा जाएगा. हालांकि, 14 साल से ऊपर की लड़कियों से विवाह करने वाले लोग ज़मानत के पात्र होंगे.

यह कार्रवाई तब हुई जब राज्य की कैबिनेट ने तय किया कि 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों पर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण या पॉक्सो अधिनियम के तहत आरोप लगाने का फैसला किया. इस बीच, 14 से 18 साल के बीच की उम्र की लड़कियों से शादी करने वालों पर बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा.

हालांकि, इस कार्रवाई की आलोचना भी हुई है, विपक्षी कांग्रेस के अलावा अन्य दलों ने अधिक मानवीय दृष्टिकोण का आह्वान किया है. जो कि मौसमी और निज़ारा जैसे लोगों के लिए विशेष रूप से सच भी है.

निराश निज़ारा ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमें कानून के बारे में कुछ भी पता नहीं था. हमारे लिए, यह एक लव मैरिज थी हम भागे नहीं थे. जब से उसे ले जाया गया, मेरा बच्चा उदास है. हमें अपने पति से मिलने भी नहीं दिया गया. अब घर में परिवार का कोई पुरुष सदस्य नहीं है. हम सरकार से कुछ नहीं चाहते हैं, सिवाय इसके कि आरोप हटा दिए जाएं और मेरे पति को जल्द से जल्द रिहा कर दिया जाए.’

इस्माइल के पिता इस्लाम अली (45) को भी उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया था. पिता-पुत्र दोनों दिहाड़ी मजदूर हैं और परिवार में कमाने वाले इकलौते सदस्य हैं.

वे बक्सा जिले में गिरफ्तार किए गए उन 120 लोगों में शामिल हैं, जहां अधिकारियों ने 153 मामले दर्ज किए हैं.


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‘समस्या की जड़ें’

डीजीपी सिंह ने शुक्रवार को गुवाहाटी में पुलिस मुख्यालय में एक प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि निचले असम के धुबरी में सबसे ज्यादा मामले और गिरफ्तारियां दर्ज की गईं – जिले में दर्ज 374 मामलों में से 126 लोगों को शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया- जो कि इस राज्यव्यापी अभियान का पहला दिन था.

बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) के अंतर्गत आने वाले और धुबरी सीमा से सटे कोकराझार में अब तक दर्ज 204 मामलों में से 94 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि बोंगाईगांव में 123 मामलों में से 87 गिरफ्तारियां हुई हैं.

अन्य स्थानों में, मध्य असम के होजई में 96 गिरफ्तारियां और 255 मामले और बारपेटा में 114 गिरफ्तारियां और 81 मामले देखे गए हैं. बक्सा में, जहां निज़ारा अपने पति इस्माइल का इंतज़ार कर रही हैं, 153 मामलों में 120 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

धुबरी की पुलिस अधीक्षक अपर्णा नटराजन इसे ‘समस्या की जड़’ कहती हैं.

अपने जिले के बारे में नटराजन ने दिप्रिंट को बताया, ‘ज्यादातर मामले पिछले साल हुई घटनाओं के हैं. हमने 374 मामले दर्ज किए हैं, जिनमें से कई को उठाया गया है और गिरफ्तारियां की गई है.’

नटराजन ने कहा कि विभाग ने पिछले तीन वर्षों में दर्ज मामलों को देखा और पिछले दो महीनों में उन्हें संसाधित किया है.

उन्होंने कहा, ‘गिरफ्तारी शादी के समय दर्ज की गई तारीख पर आधारित है और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह व्यक्ति अब वयस्क है.’

उन्होंने कहा कि बहुत सारी जानकारी आम लोगों से मिली है.

उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई से पहले भी मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन कोई ठोस अभियान शुरू नहीं किया गया था.

नटराजन ने कहा, ‘ये गिरफ्तारियां जनता को उनकी जानकारी के साथ आगे आने के लिए प्रेरित कर रही हैं – ताकि हम बाल विवाह को रोक सकें – न केवल ऐसे मामले जो पहले ही हो चुके हैं, बल्कि होने वाले हैं.’

कोकराझार जिले के जिला समाज कल्याण अधिकारी गुनींद्र तालुकदार ने दिप्रिंट को बताया कि न केवल जागरूकता की कमी बल्कि सामाजिक मानदंडों और आर्थिक परिस्थितियों के कारण भी अक्सर बाल विवाह होते हैं.

उन्होंने कहा, ‘आज भी कुछ लोग हैं जो बच्चियों को बोझ समझते हैं, लेकिन गिने-चुने लोग ही इस तरह की हरकतों में शामिल होते हैं. हम क्षेत्र में जागरूकता शिविरों का सफलतापूर्वक आयोजन कर रहे हैं. पहले लोग 1098 चाइल्डलाइन हेल्पलाइन नंबर के बारे में भी नहीं जानते थे.’


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रोते बिलखते परिजन

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में एक गर्भवती युवती अपने पति की रिहाई के लिए माजुली पुलिस स्टेशन के सामने सिसकती हुई दिखाई दे रही है. युवती मौसमी हैं और यह वीडियो उसके पति पप्पू हजारिका की गिरफ्तारी के तुरंत बाद गुरुवार रात को शूट किया गया था.

अपने पति की रिहाई के बाद मौसमी ने एक स्थानीय समाचार चैनल से कहा, ‘हमने जो कुछ भी गलत किया है उसे बदला नहीं जा सकता है, लेकिन नई पीढ़ी को ऐसा नहीं करना चाहिए. उन्हें अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए.’

लेकिन असम के बक्सा जिले में निज़ारा के लिए अब चिंता की एक और बात है कि उसके बच्चे ने दूध पीना बंद कर दिया है.

उन्होंने दिप्रिंट को फोन पर बताया, ‘’मेरा बच्चा खाना नहीं खाएगा. अब कई घंटे हो गए हैं. अगर मेरे बच्चे को कुछ हुआ तो मैं जिंदा नहीं रहूंगी. मैं अपने पति को वापस चाहती हूं या मैं कठोर कदम उठाऊंगी.’

राज्य के कई हिस्सों में देखे गए नज़ारे समान थे – युवतियां, कुछ बच्चों को गोद में लिए हुए और कुछ अन्य गर्भवती, पुलिस थानों के बाहर इकट्ठा हुईं और अपने पति को ले जाने के लिए कानून प्रवर्तन अधिकारियों से गुहार लगा रही थीं.

इस बीच, विपक्षी दलों ने कार्रवाई को कठोर बताते हुए इसकी आलोचना की है.

असम कांग्रेस की उपाध्यक्ष और वरिष्ठ प्रवक्ता बोबीता शर्मा ने दिप्रिंट को बताया कि गिरफ्तारी जैसे कठोर कदम नहीं बल्कि सामाजिक जागरूकता समस्या की कुंजी है.

उन्होंने कहा, ‘बाल विवाह के खिलाफ कानून है. हाल ही में असम कैबिनेट ने 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वालों पर मामला दर्ज करने का फैसला पारित किया है. सीएम ऐसी लड़कियों से शादी करने वाले पतियों को गिरफ्तार करने का कठोर कदम उठा रहे हैं, शायद एक संदेश देने के लिए, लेकिन इतना कठोर कदम उठाते हुए उन्हें खुद से यह भी पूछना चाहिए कि प्रचलित कानूनों के बावजूद ऐसी शादियां कैसे हो गईं. यह एक सामाजिक समस्या है जहां लोगों को कानूनी मामलों में साक्षर बनाना होगा.’

उन्होंने कहा कि राज्य के समाज कल्याण विभाग और बाल और महिला अधिकार आयोगों को जिला प्रशासन के साथ मिलकर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए. पुजारियों, काज़ी और ऐसे विवाह करने वाले अन्य लोगों को भी इन अभियानों के तहत लाया जाना चाहिए.

इस बीच, ऑल बोडो माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएमएसयू) ने दावा किया कि वह 2015 से पुलिस से बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र में इस कवायद के खिलाफ काम करने का आग्रह कर रहा है, लेकिन अब तक उसे बहुत कम समर्थन मिला था.

बीटीआर राज्य का एक स्वायत्त क्षेत्र है जिसमें उदलगुरी, चिरांग, कोकराझार और बक्सा के चार जिले शामिल हैं.

एबीएमएसयू के महासचिव ताइसन हुसैन ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम सरकार से अधिक काम कर रहे हैं और हमें पुलिस से पहले कोई सहयोग नहीं मिला है. अभी भी बहुत कम लोग बाल विवाह में शामिल हैं – वे या तो जाली दस्तावेज़ बनाते हैं या भाग जाते हैं.’

हालांकि, इस कदम को कुछ क्षेत्रों में समर्थन भी मिला है, जैसे कि क्षेत्रीय राजनीतिक दल, रायजोर दल.

उन्होंने कहा, ‘हम इस कदम का स्वागत करते हैं, हालांकि इसे बहुत पहले किया जाना चाहिए था. समाज कल्याण विभाग, बाल संरक्षण अधिकारी और उपायुक्त जैसे अधिकारियों को समय-समय पर जागरूकता बैठकें करनी चाहिए. माजुली के सैंडबार में रहने वाले या धुबरी के चार में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के पास शिक्षा नहीं है. वे बाल विवाह के खिलाफ इस तरह के कानून के बारे में नहीं जानते हैं.’

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के हालिया सर्वे के अनुसार, असम में 20-24 वर्ष की आयु वर्ग की 31.8 प्रतिशत महिलाओं की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले और 11.7 प्रतिशत महिलाओं की 15 से 19 वर्ष के बीच होती है और सर्वे के दौरान 15 से 19 साल की लड़कियां मां या गर्भवती थीं.

हालांकि सर्वेक्षण मई में जारी किया गया था, लेकिन इसके लिए फील्डवर्क जून 2019 से दिसंबर 2019 के बीच किया गया था.

एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि 25 से 29 वर्ष की आयु के बीच के 21.8 प्रतिशत पुरुषों की शादी 21 वर्ष से पहले कर दी गई थी.

धुबरी में आंकड़े सबसे ज्यादा चौंकाने वाले थे- यहां 20 से 24 साल के बीच की 50.8 प्रतिशत महिलाओं की शादी 18 साल से पहले कर दी गई थी और 15 से 19 साल के बीच की 22.4 प्रतिशत महिलाएं या तो पहले से ही मां थीं या सर्वेक्षण के समय गर्भवती थीं.

अन्य जिलों में, होजई (30.9, 15.6), बिश्वनाथ (25.3, 9.0), बारपेटा (40.1, 14.2), बक्सा (24.9, 12.3), और कोकराझार (36.2, 11.3) जिलों ने भी चिंताजनक आंकड़े दिखाए.

यूनिसेफ असम की प्रमुख मधुलिका जोनाथन ने दिप्रिंट को बताया कि उनकी टीम इस मुद्दे को अधिक समग्र तरीके से देखने के लिए विभिन्न स्तरों पर बाल संरक्षण संस्थानों के साथ मिलकर काम कर रही है.

उन्होंने कहा, ‘बाल विवाह, एक गहरी जड़ें वाला सामाजिक मानदंड है, और व्यापक लैंगिक असमानता और भेदभाव का स्पष्ट प्रमाण है. बच्चे, विशेषकर लड़कियां जो ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं या गरीब सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आती हैं, सबसे अधिक असुरक्षित और अधिक जोखिम में हैं. बाल वधुओं का एक उच्च अनुपात उन लोगों में पाया जाता है जो कम या बिना शिक्षा के हैं.’

उन्होंने कहा कि इसे खत्म करने के लिए सामूहिक प्रयासों और एक बहु-अनुशासनात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी, जो कानूनी प्रावधान से परे है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘यूनिसेफ अपने दो प्रमुख प्रमुख कार्यक्रमों – मिशन वात्सल्य और मिशन शक्ति के साथ-साथ असम पुलिस शिशु मित्र कार्यक्रम पर राज्य का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है. यह इस तरह की घटनाओं में कमी की दिशा में योगदान देगा और प्रमुख हितधारकों के बीच व्यवहार में बदलाव लाएगा.’

(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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