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Monday, 4 November, 2024
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चीन के समर्थन के साथ पाकिस्तान फिर से लश्कर और जैश को क्यों दे रहा है बढ़ावा

चीन द्वारा आपत्ति जाहिर करने के महीनों बाद लश्कर के मक्की को वैश्विक आतंकवादी दर्ज किया गया. यहां एक संदेश है: इस्लामाबाद जिहादियों से सुरक्षा के लिए अपने आयरन ब्रदर पर भरोसा कर सकता है.

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पांच साल पहले गर्मियों की एक शाम, एक एयर-कंडीशंड एसयूवी बहावलपुर, पाकिस्तान के धूल भरे बाहरी इलाके में एक अज्ञात घर के बाहर आकर रुकी. कार से निकले बुजुर्ग मौलवी एक मजदूर के मारे गए बेटे के लिए एक स्तुति देने पहुंचे थे- कम उम्र के मुहम्मद याकूब को हफ्तों पहले दक्षिणी कश्मीर में दफनाया गया था. कस्बे भर में बिखरे हुए रंग-बिरंगे पैम्फलेट्स के जरिए बताया गया कि वह ‘ग़ज़वा-ए-हिंद का प्रदर्शन करते हुए भारतीय सेना से लड़ते हुए शहीद हो गए’.

स्कॉलर मरियम अबू ज़हाब ने इस तरह की अंत्येष्टियों को दर्ज किया है. हम जानते हैं कि लश्कर-ए-तैयबा के दूसरे कमांडर अब्दुल रहमान मक्की ने संभवतः याकूब के परिवार से जश्न मनाने का आग्रह किया था. अपने बेटे के मारे जाने के एक दिन बाद, एक परिवार ने अपने दोस्तों को ‘वलीमा (रिसेप्शन) के लिए इकट्ठा किया ताकि उसकी शादी को हूरियों के साथ मनाया जा सके.’

इस हफ्ते की शुरुआत में, चीनी आपत्तियों के कारण महीनों की देरी के बाद, मक्की को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा वैश्विक आतंकवादी माना गया. चार और महत्वपूर्ण आतंकी कमांडर जिनमें 26/11 के ऑपरेशनल कमांडर साजिद मीर, लश्कर के धर्मार्थ प्रमुख शाहिद महमूद, संगठन के उत्तराधिकारी तल्हा सईद और जैश-ए-मोहम्मद के सैन्य प्रमुख अब्दुल रऊफ अल्वी शामिल है, चीन के वीटो के कारण वैश्विक प्रतिबंध सूची से बाहर है.

यह संदेश भूराजनीति से जुड़ा है: इस्लामाबाद खुद को जिहादियों के साथ टकराव से बचाने के लिए अपने आयरन ब्रदर पर भरोसा कर सकता है. हालांकि इस बीच एक अस्पष्ट कहानी भी मोड़ ले रही है.

तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) जैसे राज्य विरोधी जिहादियों के पुनरुत्थान का सामना करते हुए, पाकिस्तान फिर से लश्कर और जैश को बढ़ावा दे रहा है. महीनों से, इस बात के सबूत मिले हैं कि लश्कर का बुनियादी ढांचा सक्रिय है और संगठन धन और कैडर जुटाने में सक्षम है. पिछले साल की बाढ़ में लश्कर ने खासी लामबंदी की थी. जैश-ए-मोहम्मद ने भी अपने मदरसा परिसर का विस्तार किया और कश्मीर में जिहाद का आह्वान करते हुए रैलियां की.


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पाकिस्तान की साख

1986 में लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग में धार्मिक अध्ययन के तीन प्रोफेसरों द्वारा स्थापित, लश्कर का जन्म फिलिस्तीनी-जॉर्डन के विचारक अब्दुल्ला यूसुफ अज़्ज़म द्वारा किया गया था, जिन्होंने ओसामा बिन लादेन सहित अरब जिहादियों की पीढ़ियों के संरक्षक के रूप में काम किया था. उस समय ‘मरकज़ उद दावत वल’ इरशाद’ जो कि धर्मांतरण के केंद्र के रूप में जाना जाता था- लश्कर ने जनरल मुहम्मद जिया-उल-हक के सैन्य शासन द्वारा उपहार में दी गई भूमि पर एक विशाल परिसर का निर्माण किया, जिस पर स्कूल, कॉलेज, चिकित्सा सुविधाएं और कारखाने थे.

यह कैंपस जनरल जिया की पाकिस्तान को एक शरिया-शासित इस्लामिक राज्य के रूप में पुनर्निर्माण करने की आशा का केंद्र था, जिसके दो मार्गदर्शक सिद्धांत थे- ईश्वर के कानून और जिहाद थे.

2018 के अंत में, जब यह फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की आतंकवादी-वित्तपोषण निगरानी सूची से निकलने के लिए संघर्ष कर रहा था, इस्लामाबाद ने जिहादी साम्राज्य को खत्म करने का वादा करना शुरू कर दिया. आखिरकार बड़े आराम से कार्रवाई शुरू कर दी गई.

भले ही लश्कर प्रमुख हाफिज मुहम्मद सईद को 2020 में 15 साल जेल की सजा सुनाई गई थी लेकिन उसे हाउस अरेस्ट कर रखा गया. उस साल दोषी ठहराए जाने के कुछ हफ्तों के भीतर ही लाहौर उच्च न्यायालय ने मक्की की सजा को निरस्त कर दिया था. इसके अलावा, साजिद मीर जैसे 26/11 के महत्वपूर्ण अपराधियों के मुकदमे को गोपनीय रखा गया था.

संयुक्त राज्य अमेरिका ने सार्वजनिक रूप से देखा कि पाकिस्तान की न्यायिक प्रणाली ने अक्सर सजायाफ्ता आतंकवादियों को रिहा कर दिया था. यह एक ऐसा तथ्य था जिसने चिंता बढ़ा दी कि प्रतिबंधों के खतरे को हटाए जाने के बाद इस्लामाबाद क्या करेगा.

पिछली गर्मियों में, नई दिल्ली संयुक्त राष्ट्र द्वारा बनाए गए वैश्विक सूची में पांच प्रमुख जिहादियों को शामिल करवाने की दिशा में आगे बढ़ा. यह पाकिस्तान के लिए प्रतिबंधों के खतरे के तहत दोषी ठहराए गए जिहादियों की रिहाई को और भी कठिन बना देगा. हालांकि, चीन द्वारा खड़ी की गई कूटनीति की दीवार ने ऐसे प्रयासों को धक्का पहुंचाया.


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परिवार का आदमी

भले ही कश्मीर पुलिस के रिकॉर्ड बताते हैं कि लश्कर में मक्की की कोई महत्वपूर्ण सैन्य भूमिका नहीं थी, लेकिन सईद के जेल में होने पर पारिवारिक संबंधों ने उसे साम्राज्य का भरोसेमंद संरक्षक बना दिया. विशेषज्ञ सी. क्रिस्टीन फेयर ने लिखा है कि सईद के चचेरे भाई और उसके बहनोई- मक्की को लश्कर के अंतरराष्ट्रीय संबंधों का प्रभार दिया गया था. इसने मक्की को पूरे पश्चिम एशिया के फाइनेंसरों और पाकिस्तान के वैश्विक प्रवासियों से जोड़ा था.

इसके अलावा, संगठन के फाइटर्स मक्की को एक विचारक के रूप में सम्मान देते हैं. राजनीतिक वैज्ञानिक स्टीफन टेंकेल ने उल्लेख किया है कि लश्कर के आत्मघाती दस्ते के संचालन के धार्मिक औचित्य को तैयार करने में मक्की ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. राष्ट्रीय जांच एजेंसी को 26/11 के अपराधी डेविड हेडली की गवाही से पता चला है कि वह नियमित रूप से सईद के साथ लाहौर में जिहादी सभाओं में व्याख्यान देता था.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, मक्की ‘धन जुटाने, भर्ती करने और युवाओं को हिंसा और योजना बनाने के लिए कट्टरपंथी बनाने’ की भूमिका देखता था.

26/11 के बाद, सईद पर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के मद्देनज़र मक्की ने संगठन के लिए बोलने की जिम्मेदारी संभाली और लश्कर द्वारा दीफा-ए-पाकिस्तान काउंसिल नामक एक इस्लामी राजनीतिक गठबंधन के प्रमुख के रूप में उभरने के प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

लश्कर के दूसरे नंबर के कमांडर ने भारत के साथ संबंध सामान्य करने के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के प्रयासों का विरोध किया. मक्की ने 2017 में लिखा था, ‘अगर भारत हमारा दुश्मन नहीं है, तो हमें परमाणु बम की क्या ज़रूरत है? भारत हमारा दुश्मन है और यह दुश्मनी कश्मीर मुद्दे के कारण है.’

सईद के बेटे तल्हा को अपने बुजुर्ग पिता की जगह लेने के लिए तैयार किया गया था, लेकिन सिर्फ कुछ जिहादी साख के साथ, वह लश्कर के शीर्ष लोगों की तुलना में कम विश्वसनीय था. पिता के जेल में होने के कारण, उत्तराधिकार सुरक्षित करने के लिए मक्की का आज़ाद रहना ज़रूरी था. गंभीर रूप से बीमार जैश प्रमुख मसूद अजहर अल्वी के भाई अब्दुल रऊफ अल्वी को भी इसी तरह की भूमिका सौंपी गई थी.


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जिहादी खानदान

सभी राजवंशों की तरह, लश्कर और जैश के उत्तराधिकारी दशकों से बने साम्राज्यों को नियंत्रित करेंगे. लश्कर का अल-दावा स्कूल नेटवर्क, विशेष रूप से, सरकार के सांकेतिक प्रशासन के तहत काम कर रहा है. टंकेल ने उल्लेख किया है कि संगठन का शिक्षा विंग इसका ‘सबसे अधिक लाभदायक और शक्तिशाली विभाग’ था. दावा किया गया था कि पहली बार 1994 में स्थापित, संगठन की अल-दावा प्रणाली 15,000 छात्रों और 800 शिक्षकों के साथ 127 स्कूल चल रहे हैं जिनमें गरीबों के लिए रियायती ट्यूशन दी जा रही है.

संगठन द्वारा प्रकाशित पाठ्यपुस्तकों में, विशेषज्ञ मुहम्मद अमीर राणा ने दर्ज किया कि संशोधित मानक जानकारी- ‘सी फॉर कैट के लिए है और जी फॉर गॉट के लिए है’ से ‘सी फॉर कैनन और जी फॉर गन G के लिए है’. इसके संस्थानों के शिक्षकों को जिहादी सैन्य निर्देश प्राप्त करने की आवश्यकता थी. जैश-ए-मोहम्मद बच्चों के लिए जिहादी साहित्य प्रकाशित करना जारी रखा, जो छात्रों को इसके मदरसों के नेटवर्क में पढ़ाया जाता है.

इसी तरह, अल-दावा मेडिकल मिशन जैसी संस्थाएं- शुरुआत में कश्मीर में घायल हुए जिहादियों की देखभाल के लिए स्थापित की गईं- ने व्यापक नेटवर्क तैयार किए हैं जिनकी पहुंच और असर पाकिस्तान के गरीबों तक है.

2018 में जिहादी चैरिटी नेटवर्क पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद, पत्रकार आसिफ शहजाद और मुबाशेर बुखारी ने बताया, ‘कुछ सरकारी प्रतिनिधि साइट पर थे और सुविधाओं का नाम बदलने के लिए नए संकेत दिए गए थे, लेकिन कुछ और बदला हुआ दिखाई दिया.’


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जिहाद का कारखाना

पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा को नियंत्रित करने वाले जनरलों की पीढ़ियों के लिए, राज्य-स्वीकृत जिहादवाद आंतरिक स्थिति नियंत्रित करने के लिए एक उपयोगी उपकरण रहा है. लश्कर सदस्यता, अबू ज़हाब ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है, ‘अधिशेष जनशक्ति के लिए सुरक्षा वाल्व के रूप में कार्य करता है: एक जिहादी आंदोलन में शामिल होने से युवा लड़के मिलते हैं, जो पश्चिम या खाड़ी में प्रवास नहीं कर सकते हैं और सामाजिक रूप से निराश हैं.’

स्कॉलर ने कहा कि समूह में शामिल होने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन महत्वहीन नहीं हैं. ‘शहीद होना निम्न वर्ग के लड़कों के लिए प्रसिद्ध होने का एक अवसर भी है.’

2001 के बाद से, जब जिहादी आंदोलन से जनरल परवेज मुशर्रफ के ब्रेक ने हजारों को टीटीपी और अल-कायदा जैसे शासन-विरोधी संगठनों की ओर धकेल दिया, तो जैश और लश्कर जैसे वफादार को अच्छा मौका मिल गया.

चार बार, हालांकि, आतंकवाद ने पाकिस्तान को लगभग युद्ध की ओर धकेल दिया, उसके जनरलों को पता है कि देश आर्थिक और सैन्य रूप से इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता. 2001-2002, 26/11, 2016 और 2019 का संकट सभी आतंकवादी हमलों के परिणाम थे जिनके परिणाम जनरलों की अपेक्षा से कहीं अधिक बड़े थे. पांचवां संकट आगे खड़ा है, क्योंकि जनरल जिया द्वारा स्थापित सार्वजनिक क्षेत्र के जिहाद कारखाने को न बंद करने की जिद पर पाकिस्तान अड़ा हुआ है.

(प्रवीण स्वामी दिप्रिंट के नेशनल सिक्योरिटी एडिटर हैं. व्यक्त विचार निजी हैं)

(संपादन: कृष्ण मुरारी)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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