नई दिल्ली: एकबार फिर बिहार के छात्र राजधानी पटना की सड़कों पर हैं. पिछले शुक्रवार को बिहार एसएससी की परीक्षा के दौरान पेपर लीक के बाद पहली पारी की परीक्षा रद्द कर दी गई थी. जिसके बाद छात्रों की मांग कर रहे हैं कि तीनों पालियों के पेपर रद्द किए जाएं.
बुधवार को राजधानी पटना में परीक्षा रद्द किए जाने की मांग के साथ पूरे बिहार के छात्र एकत्रित हुए और नारेबाजी की जिसके बाद बिहार एसएससी के अभ्यर्थियों पर पुलिस ने जमकर लाठियां बरसाई. छात्रों पर पुलिस ने पटना के डाकबंगला चौराहे पर दौड़ा दौड़ाकर पीटा.
बता दें कि बिहार में छात्र-छात्रा पिछले कई दिनों से बीएसएससी सचिवालय सहायक की परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे थे. आज पूरे बिहार से छात्र-छात्रा विरोध प्रदर्शन करने पटना पहुंचे थे. इस दौरान छात्र प्रदर्शन के लिए तय जगह पटना कॉलेज गेट से डाकबंगला चौराहे की तरफ बढ़ने लगे. जिसके बाद डाकबंगला चौराहे पर पुलिस ने उन्हें रोकना चाहा लेकिन छात्र नहीं रुके. इसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा.
इस लाठी चार्ज में कई छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए जबकि कई को चोटें आईं हैं. पुलिस ने कई छात्रों को हिरासत में भी लिया है.
मंगलवार सुबह बीपीएससी छात्र संघ ने छात्रों को पटना आने का आग्रह किया था. अपनी मांग में उन्होंने लिखा था अंधा बीएसएससी आयोग और बहरा सरकार को छात्र एकता का परिचय करवाना है.
छात्र नेता और आंदोलन का नेतृत्व कर रहे दिलीप कुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘बिहार सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है. सरकार छात्रों की मांग को दबाने पर तुली है.’
कुमार ने आगे बताया, ‘आठ साल बाद सचिवालय सहायक की वैकेंसी आई थी और उसमें तीन पाली में परीक्षा हुई थी. तीनों पाली की परीक्षा का पेपर लीक हुआ था, लेकिन बीएसएससी ने सिर्फ एक पाली की परीक्षा को रद्द किया. हमारी मांग है कि तीनों पाली की परीक्षा को रद्द किया जाए.’
पहली पाली की परीक्षा रद्द, लेकिन तीनों पाली रद्द करने की मांग
बीते 23 और 24 दिसंबर को बिहार एसएससी की प्रारंभिक परीक्षा तीन पालियों में बिहार के 38 जिले के 528 केंद्र पर आयोजित की गई थी. इस परीक्षा में लगभग 9 लाख छात्र-छात्राएं शामिल हुईं थीं. बिहार एसएससी द्वारा निकाली गई इस नियुक्ति में कुल 2187 पद रिक्त हैं.
परीक्षा के बाद पता चला कि पहली पाली का पेपर पहले ही लीक हो गया था. परीक्षा के दौरान जो क्वेश्चन पेपर स्टूडेंट्स को मिले थे वो परीक्षा से पहले ही बाजार में भी मिल रहे थे. बाद में बीएसएससी ने जांच में पेपर लीक को सही पाया और पहली पाली की परीक्षा को रद्द करने का फैसला लिया. लेकिन फिर छात्र तीनों पाली की परीक्षा को रद्द करने की मांग करने लगे. छात्रों का कहना था कि अन्य पाली के पेपर भी लीक हुए थे इसलिए दोबारा परीक्षा ली जाए और सबको फिर से परीक्षा में बैठने का मौका मिले.
इसके बाद बीएसएससी ने नोटिस जारी कर बाकी पाली के पेपर लीक होने के सबूत मांगे थे. आयोग ने कहा था कि सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा अगर सच है तो छात्र इसके सबूत दे. अगर यह सच पाया गया तो इसपर भी कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए बीएसएससी ने एक ईमेल आईडी भी जारी किया था.
दिलीप कुमार कहते हैं, ‘अगर स्टूडेंट ही सबूत देने लगे तो आयोग और सरकार क्या करेगी ? कौन छात्र खुद फंसना चाहेगा. क्या पता आयोग उसे ही आरोपी बना कर केस चला दे.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हालांकि इसको लेकर कई छात्र ने आयोग को ईमेल किया था लेकिन उसपर कोई सुनवाई नहीं हुई. आयोग ने उसे टाल दिया.’
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छात्रों का हुजूम और पुलिस की लाठियां
छात्र-छात्राएंं परीक्षा के बाद से ही रद्द करने की मांग कर रहे हैं. बीते कई दिनों से सोशल मीडिया पर कई हैशटैग के साथ दोबारा परीक्षा कराने की मांग चल रही थी. अभ्यर्थी सोशल मीडिया पर 4 जनवरी को सबसे पटना आने की गुहार लगा रहे थे. तय कार्यक्रम के मुताबिक छात्रों का आंदोलन पटना कॉलेज के पास से शुरू हुआ और फिर गांधी चौक, भिखना पहाड़ी, गांधी मैदान, जेपी गोलंबर होते हुए डाकबंगला चौराहे पर पहुंचा. वहां पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन छात्र नहीं रुके. इसके बाद पुलिस ने लाठी बरसाना शुरू किया जिसमें कई छात्र घायल हो गए. पुलिस द्वारा कई छात्रों को हिरासत में भी लिया गया है. पुलिस से बचने के लिए कई अभ्यर्थी सड़क के किनारे दुकान तक में घुस गए लेकिन पुलिस ने उन्हें बाहर निकालकर पीटा.
बिना आंदोलन कोई नौकरी नहीं
बिहार में छात्र-छात्राओं को बिना आंदोलन और लाठी खाए नौकरी मिलना बीते जमाने की बात हो गई है. पिछले 13 दिसंबर को पटना में पुलिस ने शिक्षक अभ्यर्थियों पर जमकर लाठी बरसाई. सातवें चरण की बहाली की मांग कर रहे बीटेट-सीटेट पास शिक्षक अभ्यर्थी पटना के डाकबंगला चौराहे पर अपनी मांग लेकर पहुंचे थे. जिसके बाद पुलिस ने उन पर जमकर लाठियां भांजी. शिक्षक अभ्यर्थी इससे पहले पटना के गर्दनीबाग में लगातार 38 दिनों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे. उसके बाद शिक्षक अभ्यर्थी विधानसभा का घेराव करने निकले थे जिसके बाद पुलिस ने उन्हें डाकबंगला चौराहे पर रोक दिया था.
अभ्यर्थियों का कहना था कि वह पिछले कई सालों से मांग कर रहे थे लेकिन शिक्षा विभाग ने उनकी सुध नहीं ली.
अग्निवीर के लिए बड़ा आंदोलन
केंद्र सरकार द्वारा 2022 के जून में सेना में भर्ती के लिए लाई गई अग्निवीर योजना का पटना सहित बिहार के कई जिलों में भारी विरोध हुआ था. गुस्साए युवा ने कई ट्रेनों में आग लगा दी थी और कई सरकारी संपत्तियों को नुकसान भी पहुंचाया था.
इस दौरान युवाओं ने कई जिलों के बीजेपी कार्यालय तक में आग लगा दी थी. मामला इतना बढ़ गया था कि कई जिलों में इंटरनेट समेत कई सोशल मीडिया साइट तक को बैन करना पड़ा था. गुस्साए युवा ने तत्कालीन उपमुख्यमंत्री रेणु देवी के आवास तक को भी निशाना बनाया था.
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