नई दिल्ली: सरकारी डेटा बताता है कि दो साल तक कोविड और अन्य चुनौतियां झेलने के बाद इस वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था थोड़ा पटरी पर आती नजर आ रही है लेकिन केवल कुछ क्षेत्रों में ही प्रदर्शन महामारी-पूर्व के स्तर को पार कर पाया है. खासकर कृषि क्षेत्र ने अच्छा प्रदर्शन किया है.
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) का राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी (एनएसए) डेटा दिखाता है कि कुल मिलाकर, भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)—यानी उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का मौद्रिक मूल्य—2022 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में 2019 की पहली छमाही यानी महामारी-पूर्व की अवधि की स्थितियों की तुलना में 5.6 प्रतिशत अधिक रहा.
हालांकि, सकल मूल्यवर्धन (आर्थिक गतिविधियों की मात्रा) आंकड़ों के गहन विश्लेषण से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में समान गति से वृद्धि नहीं हुई है.
यद्यपि कृषि और कुछ अन्य क्षेत्रों ने अपने महामारी-पूर्व के स्तर की तुलना में दो अंकों की वृद्धि दर्ज की है, जबकि आतिथ्य और प्रसारण जैसे अन्य क्षेत्र राष्ट्रीय औसत से पिछड़ गए हैं.
दिप्रिंट यहां विस्तार से बता रहा है कि महामारी से पहले के स्तर की तुलना में इस साल सितंबर तक विभिन्न क्षेत्रों ने कैसा प्रदर्शन किया.
व्यापार, पर्यटन, ट्रांसपोर्ट और ब्रॉडकास्टिंग क्षेत्र की स्थिति
जैसा नाम से ही पता चलता है, ‘व्यापार, होटल, ट्रांसपोर्ट, कम्युनिकेशन और प्रसारण से जुड़ी सेवाएं’ क्षेत्र में कई उद्योग शामिल होते हैं. हालांकि ये सुधार के रास्ते पर है, लेकिन अभी तक महामारी-पूर्व के स्तर पर नहीं पहुंच पाए हैं.
इस क्षेत्र के सकल मूल्यवर्धन या जीवीए की बात करें तो 2022-23 की पहली छमाही में यह 12.1 लाख करोड़ रुपये के साथ वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के 13 लाख करोड़ रुपये की तुलना में लगभग 7.2 प्रतिशत कम था.
2021-22 की पहली छमाही में यह सेक्टर महामारी से पहले के स्तर से 22 फीसदी नीचे था.
दूसरे शब्दों में, हालांकि महामारी-पूर्व के स्तर की तुलना में गतिविधियों में कमी घटने लगी है लेकिन इस बहु-उद्योग क्षेत्र ने अप्रैल-सितंबर 2019 की तुलना में इस साल की पहली छमाही में कम कमाई की है.
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खनन, उत्खनन और निर्माण क्षेत्र
इस सेक्टर में रिकवरी धीमी लेकिन स्थिर रही है. 2022-23 की अप्रैल-सितंबर की अवधि में, खनन और उत्खनन की वजह से आर्थिक उत्पादन 1.52 लाख करोड़ रुपये रहा, जो महामारी से पहले के 1.47 लाख करोड़ रुपये के मूल्य की तुलना में लगभग 2.9 प्रतिशत अधिक है.
इस अवधि में निर्माण गतिविधियों ने 5.2 लाख करोड़ रुपये के साथ कुछ बेहतर प्रदर्शन किया, जो कि महामारी-पूर्व के स्तर की तुलना में 4.1 प्रतिशत अधिक है.
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में कोई खास सुधार नहीं
महामारी ने 2020-21 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर कांट्रैक्ट को 0.6 प्रतिशत पर रखा. इस क्षेत्र ने बाद में 2021-22 में एक महत्वपूर्ण सुधार देखा, जिसमें विकास दर 11.5 प्रतिशत रही.
हालांकि, इस साल इस क्षेत्र में उतनी तेजी से वृद्धि नहीं हुई है. 2022-23 की पहली छमाही में विनिर्माण क्षेत्र में आउटपुट—12.03 लाख करोड़ रुपये के साथ—महामारी पूर्व अवधि से केवल 6.3 प्रतिशत अधिक था.
20 दिसंबर को पेश प्री-बजट प्रेजेंटेशन में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) के अर्थशास्त्रियों ने बताया कि उनकी रिसर्च बताती है कि कैसे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की सेहत ऑटोमोबाइल क्षेत्र से जुड़ी है. उन्होंने बताया कि चूंकि महामारी के दौरान पब्लिक ट्रांसपोर्ट ठप हो गया था, इसलिए लोगों ने निजी वाहनों का विकल्प चुनना शुरू कर दिया. यही वजह है कि ऑटो सेक्टर ने विनिर्माण क्षेत्र को सहारा दिया.
हालांकि, सामान्य स्थितियां लौटने के साथ-साथ कार की बिक्री घटी है, लेकिन गैर-ऑटो क्षेत्रों में वृद्धि जारी है, खासकर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की तरफ से उत्पादित गैर-टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं विकास को गति देने वाली साबित हो रही हैं.
वित्त, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाएं
वित्त, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं का अर्थव्यवस्था के कुल मूल्यवर्धन में 20 प्रतिशत से थोड़ा अधिक हिस्सा है. हालांकि, कोविड-19 से काफी ज्यादा प्रभावित होने के बावजूद इस क्षेत्र में 2020-21 के दौरान 2.2 प्रतिशत और उसके बाद के वर्ष के दौरान 4.2 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.
कॉन्टैक्ट-लेस सेवाओं का एक बड़ा हिस्सा, जिसे वर्क फ्रॉम होम के माध्यम से अंजाम दिया जा सकता है, इस सेगमेंट में ही आता है. यही वजह है कि ये सेवाएं महामारी के दौरान भी आराम से उपलब्ध होती रहीं.
चालू वित्त वर्ष में अपेक्षाकृत अधिक आधार के बावजूद क्षेत्र ने तेजी से वृद्धि दर्ज की है. 2022-23 की पहली छमाही में इस क्षेत्र का आर्थिक उत्पादन महामारी-पूर्व के स्तर की तुलना में 8.4 प्रतिशत अधिक रहा.
बिजली, गैस, जलापूर्ति, और अन्य यूटिलिटी सेवाएं
इस सेक्टर में काफी आराम से सुधार होता दिखा है. इस वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में, इसने 1.74 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक गतिविधियां दर्ज कीं, जो 2019-20 में महामारी-पूर्व स्तर के 1.6 लाख करोड़ की तुलना में 11 प्रतिशत अधिक है.
कृषि क्षेत्र ने उम्मीदों को जगाए रखा
महामारी के दौरान, जब अन्य सभी आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती का दौर था तो कृषि क्षेत्र ही एकमात्र ऐसा सेक्टर था जिसने उम्मीदों को जगाए रखा. यह जो 2020-21 में 3 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा था, जबकि अन्य क्षेत्रों में या तो ग्रोथ घटी थी या फिर कमजोर वृद्धि हो रही थी.
इस वर्ष कृषि उत्पादन और भी मजबूत स्थिति में पहुंच गया. 2022-23 की पहली छमाही में कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन के कारण उत्पादन महामारी-पूर्व के स्तर से 10.8 प्रतिशत अधिक रहा.
वित्त मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान एनआईपीएफपी में सहायक प्रोफेसर रुद्राणी भट्टाचार्य के मुताबिक, कृषि क्षेत्र में वृद्धि को कृषि ऋण को प्रोत्साहित करने वाले सरकार के क्रेडिट प्रोत्साहन पैकेज सहित विभिन्न कारणों से बढ़ावा मिला है.
उन्होंने कहा कि अकुशल श्रमिकों के बड़े पैमाने पर माइग्रेशन से भी कृषि क्षेत्र को फायदा हुआ क्योंकि बुवाई और कटाई के लिए ‘अधिक हाथ उपलब्ध थे.’
कृषि के लिहाज से अच्छी बारिश और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि भी इस क्षेत्र की ग्रोथ में मददगार साबित हुई.
लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाओं की स्थिति
इस क्षेत्र में इस साल तीव्र वृद्धि देखने को मिली जिसमें ज्यादातर व्यय सरकार की तरफ से किया जाता है.
2022-23 की पहली छमाही में सरकार ने लगभग 9.6 लाख करोड़ रुपये खर्च किए, जो महामारी से पहले के 8.4 लाख करोड़ रुपये के स्तर से 14.4 प्रतिशत अधिक है. यह वृद्धि बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाने के सरकार के वादे के अनुरूप है.
(अनुवाद: रावी द्विवेदी | संपादन: ऋषभ राज)
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