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Friday, 22 November, 2024
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फॉरेंसिक जांच में तेजी के लिए 15 मोबाइल वैन दिल्ली पुलिस के बेड़े में होंगी शामिल

नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी (एनएफएसयू) से खरीदी गई यह 15 वैन सजा की दर को बढ़ाने के साथ-साथ मौजूदा फोरेंसिक लैब पर बोझ को कम करेंगी.

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नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस जघन्य अपराधों के मामलों में फॉरेंसिक जांच में तेजी लाने के मकसद से 15 हाई-टेक अत्याधुनिक मोबाइल फोरेंसिक वैन (एमएफवी) अपने बेड़े में शामिल करेगी.

वैन इस साल के अंत में या अगले साल की शुरुआत में वितरित की जाएंगीं.

पुलिस से जुड़े सूत्रों ने कहा कि ऐसी 15 वैन नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी (एनएफएसयू), गांधीनगर से खरीदी गई थीं. यह सजा की दर को बढ़ाने के साथ-साथ मौजूदा फोरेंसिक लैब पर बोझ को कम करने का काम करेंगी.

अगस्त में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि केंद्र सरकार छह साल से अधिक की सज़ा वाले सभी मामलों में फॉरेंसिक जांच को ‘अनिवार्य और कानूनी’ बनाने का लक्ष्य रख रही है.

सूत्रों के मुताबिक, हाई-टेक एमएफवी वैन आवाज़ के विश्लेषण और उंगलियों के निशान की पहचान के साथ-साथ चोट के पैटर्न, बंदूक की गोली के घाव और पीड़ितों के अन्य घावों का पता लगाने में मददगार होंगी. वैन में तत्काल फॉरेंसिक विश्लेषण करने के लिए किट और ऑन-द-स्पॉट सैंपल इकट्ठा करने वाले उपकरण भी मौजूद हैं.

एनएफएसयू परियोजना से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘दिल्ली पुलिस ने पहले ही 15 वैन के लिए ऑर्डर दे दिया है. डिजिटल फॉरेंसिक उपकरण के बिना प्रत्येक वैन की कीमत लगभग 51 लाख रुपये है, जबकि उपकरण के साथ इसकी कीमत लगभग 89 लाख रुपये होगी.’

उन्होंने बताया, ‘दिल्ली पुलिस ने अभी के लिए बगैर डिजिटल फॉरेंसिक किट वाली वैन की खरीद की है और डिलीवरी दिसंबर के आखिरी सप्ताह या जनवरी के पहले हफ्ते तक होने की उम्मीद है.’

यह परियोजना एनएफएसयू के कुलपति जे.एम. व्यास का आइडिया है. उन्होंने बताया, ‘इन मोबाइल फॉरेंसिक वैन के पीछे का उद्देश्य फॉरेंसिक प्रक्रियाओं को मानकीकृत करना और ऐसे परीक्षणों के लिए एक प्रोटोकॉल बनाना है’.

दिल्ली में यह वैन 15 पुलिस जिलों में सौंपी जाएगी. प्रत्येक जिले को एक-एक वैन दी जाएगी.

दिल्ली पुलिस के एक सूत्र ने कहा, ‘अगर क्राइम ब्रांच या किसी अन्य टीम को वैन की जरूरत होगी, तो फिलहाल वह जिला पुलिस से इसकी इज़ाज़त लेंगे.’

पुलिस से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘एनएफएसयू के विशेषज्ञ फॉरेंसिक विशेषज्ञ होंगे. वैन के ड्राइवर्स भी यूनिवर्सिटी उपलब्ध करवाएगी. स्थानीय पुलिस इस टीम की सहायता करेगी.’


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वैन में क्या-क्या शामिल होगा

गृह मंत्रालय के निर्देशों के मुताबिक और लगभग डेढ़ साल के रिसर्च के बाद, एनएफएसयू-एमएफवी मॉडल के साथ आया, जो बलात्कार, हत्या, डकैती, दुर्घटना, विस्फोट, नशीले पदार्थों, आगजनी, जैसे अपराधों में शुरुआती जांच और सबूतों के परीक्षण के लिए मददगार है.

वैन के अंदर कुछ प्रमुख उपकरण एक रेफ्रिजरेटर (बायोडिग्रेडेबल सबूत रखने के लिए), वजन की मशीन, सीसीटीवी कैमरा, एलईडी स्क्रीन (अपराध स्थल पर रियल टाइम गतिविधियों की निगरानी के लिए), स्टीरियो माइक्रोस्कोप (सबूतों की भौतिक जांच के लिए), लैपटॉप, डिजिटल कैमरा और फ्लैशलाइट उपलब्ध होंगे.

इसके अलावा, वैन में क्राइम सीन प्रोटेक्शन, सामान्य जांच, सबूत कलेक्शन और पैकेजिंग, फिंगरप्रिंट-कलेक्शन, गुप्त फिंगरप्रिंट कलेक्शन, फुट और टायर प्रिंट-कास्टिंग, फॉरेंसिक स्रोत, रक्त और वीर्य का पता लगाने, यौन हमले की जांच, विस्फोटक, नशीले पदार्थों का परीक्षण, बारूद का पता लगाना, बुलेटहोल जांच और आगजनी की जांच के लिए 14 किट उपलब्ध होंगे.

वैन विशेषज्ञों को घंटों तक अपना काम जारी रखने के लिए सुविधाओं से भी सुसज्जित होंगी.

परियोजना से जुड़े अधिकारी ने कहा, ‘शुरुआत में हमें आकार और फिट होने वाली किट के चयन में काफी संघर्ष करना पड़ा. कईं बार क्वालिटी टेस्ट भी किए गए.’

(अनुवाद और संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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