नई दिल्ली: बांग्लादेश से 160 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों को ले जा रही एक नाव कथित तौर पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास भारतीय इलाके में बचाव का इंतजार कर रही है. भोजन, पानी और बिजली के बिना नाव पर सवार शरणार्थी समुद्र में फंसे हुए हैं.
बांग्लादेश में रहने वाले रोहिंग्या कार्यकर्ता रेजुवान खान ने दिप्रिंट को बताया, ‘भूख और प्यास के कारण बच्चों सहित तीन लोगों की पहले ही मौत हो चुकी है. उनकी बहन और उनका बच्चा भी इसी नाव पर सवार हैं.
खान ने कहा, ‘मैंने उनसे कल सैटेलाइट फोन के जरिए बात की थी. वहां स्थिति बहुत ही चिंताजनक है. उनके पास न पीने के लिए पानी और न ही खाना. उन्हें तत्काल मदद और वहां से ले जाने की जरूरत है. हम बहुत चिंतित हैं.’
नाव 26 नवंबर को दक्षिण बांग्लादेश से रवाना हुई थी. माना जा रहा है कि 4 दिसंबर को इंजन में खराबी आने के बाद यह धारा में बह गई और भारतीय इलाके में आकर फंस गई.
खान ने कहा कि जहाज पर सवार शरणार्थी बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर कुटुपालोंग में रह रहे थे और नाव से इंडोनेशिया होते हुए मलेशिया जा रहे थे.
नाव पर सवाल लोगों की चिंता में व्यथित खान ने दोहराया, ‘मुझे आशा है कि उन्हें जल्दी से बचाया जा सकेगा.’
श्रीलंकाई नौसेना द्वारा म्यांमार से इंडोनेशिया जा रहे एक ट्रॉलर से 104 रोहिंग्या शरणार्थियों को बचाए जाने के ठीक एक दिन बाद नाव के फंसे होने की रिपोर्ट आई है.
पिछले दो महीनों में रोहिंग्या शरणार्थियों को ले जाने वाली कुल पांच नावे बांग्लादेश से रवाना हुईं थी. शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) की पिछले साल प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, कई रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों की प्रतिकूल और तंग परिस्थितियों से बचने के लिए खुले समुद्र में जाने का जोखिम उठा रहे हैं.
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मदद के लिए लंबा इंतजार
दस दिन से कुछ समय पहले, UNHCR ने बताया था कि रोहिंग्या शरणार्थियों का एक ग्रुप ‘संकट में’ है और उस समय थाईलैंड से दूर अंडमान तट पर एक ‘गैर-समुद्री बोट’ में भटक रहा है.
रविवार को आई खबरों के मुताबिक, समुद्र की लहरों ने नाव को मलक्का जलडमरूमध्य से बहाकर भारतीय जलक्षेत्र में पहुंचा दिया, जिससे यह अंडमान और निकोबार की कैंपबेल खाड़ी से 150 किमी दूर जाकर फंस गई.
शरणार्थी एजेंसी ने क्षेत्र के देशों से शरणार्थियों को ‘तुरंत बचाव’ करने की गुहार लगाई है. अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है.
खान ने रविवार को ट्विटर पर एक वॉयस रिकॉर्डिंग पोस्ट की, जिसमें वह कथित तौर पर नाव पर यात्रियों में से एक से बात कर रहे थे. वहां मौजूद एक शरणार्थी कहता है ‘हम अब भारत के अंडमान में हैं.’
Please listen to the voices of the 160 Rohingya people stranded at Andaman for over 3 weeks! @Refugees @UNHCRAsia @amnesty @AJEnglish @IndianExpress @UNHumanRights @UNHCR_BGD @POTUS @SecBlinken @trtworld @CNN @OIC_OCI @RefugeesIntl @MEAIndia @arielmou @indiannavy @narendramodi pic.twitter.com/DMQyapv3tO
— MohammedkhanRezuwan (@Khan_RZW) December 18, 2022
UNHCR के आंकड़ों के अनुसार, बांग्लादेश में 9 लाख से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थियों ने शरण ली हुई है, जिनमें से आधे से ज्यादा बच्चे हैं.
जोखिम भरी यात्राएं, घातक नतीजे
म्यांमार से ज्यादातर मुस्लिम जातीय अल्पसंख्यक, रोहिंग्या 2017 से उत्पीड़न और हिंसा से बचने के लिए बांग्लादेश, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे पड़ोसी देशों में शरण लेने के लिए अपने देश से भागते आ रहे हैं.
म्यांमार में 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद पलायन और बढ़ गया. हालांकि अपने लिए सुरक्षित जगह की रोहिंग्याओं की तलाश कहीं भी पूरी नहीं हो पाती है.
बांग्लादेश में पुनर्वास शिविरों में रहने की स्थिति बद से बदतर है. इसकी वजह से कई रोहिंग्या शरणार्थी बेहतर जीवन की तलाश में समुद्र से दूसरे देशों की ओर रुख करने का जोखिम उठाते हैं. यूएनएचसीआर की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, न सिर्फ 2018 के बाद से यात्राओं की संख्या में वृद्धि हुई है, बल्कि वे जानलेवा भी साबित हुई हैं.
इस साल समुद्र में कई त्रासदियां पहले ही हो चुकी हैं. उदाहरण के लिए अक्टूबर में, बांग्लादेश से जा रही नाव के तट पर डूबने की वजह से तीन शरणार्थियों की मौत हो गई और 20 लापता हो गए थे. मई में, म्यांमार के तट पर नाव पलटने से बच्चों सहित 17 रोहिंग्याओं की कथित तौर पर मौत हो गई थी.
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(अनुवाद: संघप्रिया मौर्या ) | (संपादन: आशा शाह)
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