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Sunday, 24 November, 2024
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महाराष्ट्र के मंत्री लोढ़ा बोले—इंटरफेथ मैरिज पैनल महिलाओं की मदद के लिए, लव जिहाद से इसका लेना-देना नहीं

महाराष्ट्र के महिला एवं बाल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा का कहना है कि श्रद्धा वालकर हत्याकांड को ध्यान में रखते हुए महिला और उसके परिवार के बीच संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से इस समिति का गठन किया गया है.

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मुंबई: महाराष्ट्र सरकार की अंतर-धार्मिक विवाहों पर नवगठित समिति के अध्यक्ष मंगल प्रभात लोढ़ा का कहना है कि इसका उद्देश्य ‘लव जिहाद’ का पता लगाना नहीं है, बल्कि उन महिलाओं की मदद करना है जिन्होंने अपने माता-पिता की इच्छा के खिलाफ जाकर किसी दूसरे धर्म में शादी की है, ताकि उनका अपने परिवार के साथ लगातार संवाद बना रहे.

महाराष्ट्र सरकार के महिला एवं बाल विकास और पर्यटन, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री ने दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि समिति का गठन विशेष रूप से अंतर-धार्मिक विवाहों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए किया गया है क्योंकि ऐसे मामलों में समस्याएं अधिक गंभीर हैं.

मुंबई के मालाबार हिल निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक लोढ़ा ने कहा, ‘इसमें ‘लव जिहाद’ को लेकर कोई अवधारणा शामिल नहीं है. यह केवल उन लड़कियों की मदद के लिए है जिन्होंने अपने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर विवाह किया है. हम उनकी रक्षा करना चाहते हैं, हम चाहते हैं कि वे अपने मूल परिवार के साथ संवाद जारी रखें. बस इतना ही.’

गौरतलब है कि ‘लव जिहाद’ एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल कथित तौर पर हिंदू लड़कियों को दूसरे धर्मों में धर्मांतरण के इरादे से किए गए अंतर-धार्मिक विवाह या संबंधों के संदर्भ में किया जाता है.

उन्होंने कहा, ‘आम तौर पर हर जगह समस्याएं होती हैं, लेकिन हम सभी जानते हैं कि अंतर-धार्मिक विवाह में यह अधिक गंभीर होती हैं.’ साथ ही जोड़ा कि ऐसे मामलों में माता-पिता अक्सर अपने बच्चों से नाता तोड़ लेते हैं, जिससे उन्हें यही महसूस होता है कि उनके पीछे मदद करने वाला कोई नहीं है.

महाराष्ट्र सरकार की ओर से मंगलवार को इस 13 सदस्यीय ‘अंतर-धार्मिक विवाह-परिवार समन्वय समिति’ का गठन न केवल अंतर-धार्मिक बल्कि अंतर्जातीय विवाहों पर भी नज़र रखने के लिए किया गया था.

हालांकि, लोढ़ा के नेतृत्व वाले महिला एवं बाल विकास विभाग ने गुरुवार को एक नया सरकारी प्रस्ताव जारी किया जिसमें पैनल के दायरे को अंतर-धार्मिक विवाहों तक ही सीमित करने और एक मुस्लिम प्रतिनिधि को शामिल करने को कहा गया.

इस प्रस्ताव की एक प्रति दिप्रिंट के पास मौजूद है.

समिति का गठन, गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाल रहे डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के उस बयान के एक हफ्ते के भीतर ही किया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र सरकार अन्य राज्यों में ‘लव जिहाद’ से संबंधित कानूनों का अध्ययन करेगी और उसी की तर्ज पर यह भी कोई फैसला करेगी.

हालांकि, दिप्रिंट को दिए इंटरव्यू में लोढ़ा ने कहा कि वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते कि क्या महाराष्ट्र को अंतर-धार्मिक विवाहों को ट्रैक करने के लिए किसी कानून की जरूरत है.


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‘श्रद्धा वालकर जैसे मामलों को रोकने के लिए समिति’

लोढ़ा ने कहा कि श्रद्धा वालकर का मामला ‘आई ओपनर’ है और इसके मद्देनजर ही उनके विभाग ने समिति गठित करने का फैसला किया है.

लोढा ने कहा. ‘उसकी हत्या कर दी गई और छह माह तक यह पता लगाने वाला कोई नहीं था कि वह जीवित है भी या मर गई. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि जब उसने अंतर-धार्मिक रिश्ते में प्रवेश किया तो अपने पूरे परिवार, दोस्तों, रिश्तेदारों सभी से एकदम कट गई. और लड़का जानता था कि उसके पास उसके अलावा कोई नहीं है.’

गौरतलब है कि वालकर मुंबई की ही रहने वाली थी और अपने 28 वर्षीय बॉयफ्रेंड आफताब अमीन पूनावाला के साथ रह रही थी, जिसने मई में उसका गला घोंट दिया और फिर उसके शव को टुकड़े करके एक रेफ्रिजरेटर में रख दिए. हत्याकांड का खुलासा इस साल नवंबर में हुआ था.

वालकर के पिता विकास ने इसी माह के शुरू में डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की थी, जिन्होंने उन्हें न्याय दिलाने का आश्वासन दिया था.

उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में एक निर्भया कांड (2012 गैंगरेप और मर्डर केस) हुआ था इसलिए हमने निर्भया फंड गठित किया, हम और ज्यादा अलर्ट हुए. अब श्रद्धा वालकर मामला हमारे सामने है, इसलिए हम अतिरिक्त सतर्कता बरत रहे हैं और ऐसा कर रहे हैं.

हालांकि, समिति को महाराष्ट्र में विपक्षी दलों की ओर से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने कहा है कि सरकार लोगों के निजी जीवन में हस्तक्षेप कर रही है.

हालांकि, लोढ़ा ने कहा कि वह विपक्ष की प्रतिक्रिया पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते. उन्होंने कहा, ‘कोई नहीं चाहेगा कि फिर श्रद्धा वालकर जैसा कुछ हो…यह एक आंख खोलने वाला मामला है. हम वही कर रहे हैं जो महिला एवं बाल विकास विभाग के नाते हमें करना चाहिए.’

‘संकट में फंसने पर कोई भी कर सकता है फोन’

सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक, उक्त समिति पंजीकृत और गैर-पंजीकृत अंतर-धार्मिक विवाहों, धार्मिक-स्थलों पर होने वाली अंतर-धार्मिक शादियों और दूल्हा-दुल्हन के भागकर अंतर-धार्मिक विवाह करने के मामलों पर नजर रखने के लिए जिला और मंडल कार्यालयों के अधिकारियों के साथ समन्वय करेगी.

एक मानद पद पर काम करने वाले समिति के सदस्यों से यह अपेक्षा भी की जाती है कि वे नवविवाहितों के साथ-साथ उनके परिवारों के संपर्क में भी रहेंगे, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे एक-दूसरे के संपर्क में हैं या नहीं.

प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि अगर नवदंपत्ति अपने परिवारों के संपर्क में नहीं हैं, तो समिति उन परिवारों का पता लगाएगी और उन्हें उनके बच्चों के बारे में जानकारी देगी.

लोढ़ा ने कहा, ‘यदि परिवार अपने बच्चों से या बच्चे अपने परिवार के साथ बातचीत करने को तैयार नहीं हैं तो समिति विशेषज्ञों के माध्यम से काउंसलिंग की व्यवस्था भी करेगी. अगले 15 दिनों में, हम एक हेल्पलाइन शुरू करेंगे, जिस पर किसी भी तरह के संकट में फंसने पर कोई भी कॉल कर सकता है और हम जवाब देंगे.’

लोढ़ा के बताया, समिति में महिला एवं बाल विकास विभाग में प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल कल्याण आयुक्त और उपायुक्त, और सामाजिक कार्यों में से जुड़े गैर-सरकारी लोग शामिल हैं.

विभाग ने समिति को राज्य और केंद्र सरकार में अंतर-धार्मिक विवाह से जुड़े सवालों, नीतियों, कानूनों और कल्याणकारी योजनाओं का अध्ययन करने और किसी भी बदलाव के लिए सुझाव देने का काम भी सौंपा है.

(संपादनः शिव पाण्डेय । अनुवादः रावी द्विवेदी)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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