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Wednesday, 20 November, 2024
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दुनिया के हर विषय पर फाइनल बात बोलने के लिए कितनी पढ़ाई की आवश्यकता है?

जग्गी वासुदेव ऐसे योगी हैं जिनका इंटरव्यू बड़े फिल्मी जगत के लोगों ने लिया है जिनमें कंगना रनौत, करण जोहर, अनुपम खेर जैसे शामिल हैं.

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हर विषय पर फाइनल बात बोलने के लिए पढ़ने की जरा भी आवश्यकता नहीं है. क्योंकि जितना हम पढ़ेंगे, उतना हमें खुद के अज्ञानी होने का भान होगा. इसके बाद संभल-संभल कर बोला करेंगे. वो भी हर बात के प्रमाण और रेफरेंस के साथ.

इंटरनेट पर और एक खास वर्ग में तेजी से प्रसिद्ध हो रहे सद्गुरू जग्गी वासुदेव ने अपने कई इंटरव्यूज में ये कहा है कि वो पढ़ते नहीं हैं. उन्हें एक पहाड़ी पर ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, जिसके दौरान वो कभी हंसते थे, कभी रोते थे. उनको सब समझ आ गया. जग्गी वासुदेव साइंस, टेक्नॉलजी से लेकर राजनीति, धर्म, जीवन, इतिहास, सेक्स, भविष्य हर विषय पर बोलते हैं. इनके इंटरव्यूज की खास बात होती है कि ये अपने डायलॉग की शुरुआत सामनेवाले की बात काटते हुए करते हैं.

सामनेवाले की किसी बात से ये सहमत नहीं होते. हर चीज की वैज्ञानिक व्याख्या करते हैं पर अपनी बात रखते हुए किसी चीज का प्रमाण देते नहीं देखे गए हैं. साइंस के उदाहरण देते हुए वैज्ञानिकों पर हंसते हैं और उन्हें कम बुद्धि का मानते हुए उनका मजाक उड़ाते हैं.


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जग्गी वासुदेव ऐसे योगी हैं जिनका इंटरव्यू बड़े फिल्मी जगत के लोगो ने जिनमें कंगना रनौत, करण जोहर, अनुपम खेर जैसे शामिल हैं. ये सारे इंटरव्यूज In Conversation With Mystic के नाम से लिए गए हैं. प्रतीत होता है कि ये इंटरव्यूज जग्गी की संस्था द्वारा ही आयोजित किये गये हैं. जग्गी बाइक, कार सब चलाते हैं. बाबा रामदेव के साथ बाइक-राइड की इनकी वीडियो खूब वायरल हुई थी. जग्गी अंग्रेजी बोलते हैं और बात-बात में वैज्ञानिक सिद्धांतों का हवाला देते हैं. इनके जवाब में हास्य का पुट रहता है जिसकी वजह से अक्सर ही सवालों के सीधे जवाब नहीं देते. घुमा फिरा के वो ही कहते हैं जो कहना चाहते हैं.

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सदगुरू बाबा राम देव के साथ जब की थी बाइक की सवारी/ फोटो- ईश फाउंडेशन

सोशल मीडिया से अपने प्रमोशन में माहिर बाबा जग्गी वासुदेव

बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध और इक्कीसवीं शताब्दी की शुरुआत में रजनीश ओशो, धीरेंद्र ब्रह्मचारी, महेश योगी, दीपक चोपड़ा, श्री श्री रविशंकर, बाबा रामदेव समेत कई ऐसे लोग निकले जिन्होंने खुद को ‘भारत के प्राचीन दर्शन’ का व्याख्याता स्थापित कर लिया- कई तरीकों से. जो लोग अच्छा बोल नहीं पाते थे उन्होंने अलग तरीके अपनाये जैसे बाबा राम रहीम, रामपाल बाबा, जय गुरूदेव वाले लोग इत्यादि. इन सारे बाबाओं ने खुद के अति मनोरंजक नाम रख लिए जिससे इनके ‘वैदिक सभ्यता’ से जुड़े होने का भ्रम होता है. परंतु इनमें से कोई भी बाबा पैसे कमाने के मामले में पीछे नहीं रहा. सबने बड़े-बड़े उद्योगपतियों की तरह पैसे बनाये हैं.


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पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया पर जग्गी के कई वीडियो क्लिप्स आने लगे, जिनमें वो तमाम विषयों पर बोलते नजर आए. डार्क बैकग्राउंड में बैठे, भारी आवाज में अंग्रेजी बोलते, एक विशेष तरह के कपड़े पहने हुए जग्गी ने सबका ध्यान आकर्षित किया. माथे पर पगड़ी डालने से उड़े हुए बाल नहीं दिखते, बड़ी सी सफेद दाढ़ी साधु की परंपरागत इमेज बनाती है. बड़ा सा चोगा किसी संत की तरह प्रजेंट करता है. अर्बन मिडिल क्लास के लिए ये एक आधुनिक संत की तरह आये. ठीक वैसे ही जैसे परेश रावल की फिल्म ‘ओ माय गॉड’ में कृष्ण भगवान के रूप में सूट-बूट पहने अक्षय कुमार बाइक पर स्टंट करते हुए आते हैं. अर्बन मिडिल क्लास ने कम से कम दसवीं-बारहवीं तक साइंस तो पढ़ी ही है, इंटरनेट से भी जुड़ा है, वो परंपरागत योगियों से आकर्षित नहीं हो सकता. या तो उन्हें कंदराओं से निकला योगी पसंद आयेगा या फिर नये तरह का योगी.

हालांकि करोड़पति योगी अपने आप में विडंबना वाला शब्द है. पर आधुनिक समाज में इसे स्वीकार कर लिया गया है. क्योंकि आप किसी को मजबूर नहीं कर सकते कि तुम पैसे मत कमाओ. बताया जाता है कि जग्गी वासुदेव के कार्यक्रम भी काफी महंगे होते हैं और ईशा फाउंडेशन में मिलने वाला साधारण सामान को भी बहुत महंगे दामों में लिस्ट किया गया है. यह सारी सूचना वेबसाइट पर भी मौजूद है.

ध्यान रहे कि इंटरनेट पर ये चीजें अपने आप नहीं होती हैं. सैकड़ों वीडियोज अपने आप किसी की न्यूज फीड में नहीं आतीं. सारी चीजें गढ़ी जाती हैं.

पत्नी की मौत को आध्यात्मिक रहस्य की तरह प्रस्तुत किया

इन सारी बातों के बीच अद्भुत है सद्गुरू जग्गी वासुदेव द्वारा अपनी पत्नी की मौत के बारे में बोलना. अनुपम खेर के साथ इंटरव्यू के अलावा अन्य कई इंटरव्यूज में जग्गी अपनी पत्नी विज्जी की मौत के बारे में विस्तार से बताते हुए देखे सुने जा सकते हैं. 1997 में इनकी पत्नी की मौत हुई थी. पर जग्गी इसे मौत नहीं कहते, महासमाधि कहते हैं. बताते हैं कि एक योग प्रक्रिया के दौरान इनकी पत्नी इतने गहरे अनुभव में चली गईं कि उनकी आत्मा ने शरीर छोड़ दिया.

इसकी व्याख्या करते हुए जग्गी ये भी बताते हैं कि शादी के बाद इसी वजह से औरतों को बिछुवा इत्यादि गहने पहनने को मजबूर किया जाता है ताकि बहुत गहरे अनुभव के दौरान उनकी आत्मा उनका साथ ना छोड़ दे. ये भी कहते हैं कि बाद में इन्होंने ध्यान दिया विज्जी ने उस दौरान अपने सारे गहने उतार दिये थे. अगर बिछुवा भी पहनी रहतीं तो आत्मा शरीर से नहीं निकलती. ये भी कहते हैं कि अपनी ‘महासमाधि’ के बारे में विज्जी ने नौ महीने पहले ही बता दिया था. ये सब बातें बताते हुए जग्गी खुद काफी गहरे अनुभव की भावनायें चेहरे पर लाते हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की 1997 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार जग्गी पर विज्जी के पिता ने अपनी बेटी के मर्डर का इल्जाम लगाया था. कथित महासमाधि के बाद विज्जी के शव को जग्गी ने जला दिया था. हालांकि मान्यता के अनुसार कथित समाधि के बाद शरीर को दफनाया जाता है, पर जग्गी ने ऐसा नहीं किया. बाद में जग्गी ने अपने आश्रम में विज्जी की समाधि जरूर बनवा दी. पुलिस जग्गी के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं जुटा पाई और ये केस बंद हो गया.

इसका रहस्य आज तक नहीं पता चला. मेडिकल साइंस समाधि या महासमाधि को जायज नहीं ठहरा सकता.

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