नई दिल्ली: गुजरात विधानसभा से लेकर उत्तर प्रदेश के मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव तक, महिला उम्मीदवारों पर सभी की नजरें टिकीं हुईं थी. गुजरात में जामनगर नॉर्थ सीट पर क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा उम्मीदवार थीं तो मुलायम सिंह यादव की मृत्यु के बाद खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर उनकी बहू डिंपल यादव मैदान में थीं.
जडेजा की पत्नी रिवाबा पहली बार चुनाव लड़ रही थीं. भाजपा के टिकट पर उन्होंने बड़े मार्जिन से जीत दर्ज की है. वहीं दूसरी तरफ डिंपल यादव ने भी 2 लाख से ज्यादा मतों से जीत हासिल की है. साथ ही हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने भी कांग्रेस के लिए काफी प्रचार किया. गौरतलब है कि हिमाचल में कांग्रेस बहुमत से अपनी सरकार बनाने में सफल रही है.
चुनाव नतीज़ों के अनुसार, गुजरात में बीजेपी और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया है. वहीं, यूपी में सपा ने अपनी सीट को बरकरार रखा है.
यह भी पढ़ेंः गुजरात की आदिवासी बेल्ट में BJP की कोशिशें रंग लाईं, राहुल क्यों अपनी पकड़ नहीं बना पाए
आखिर चर्चा में क्यों रहीं महिलाएं
गुजरात चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी रिवाबा का मुकाबला कांग्रेस के उम्मीदवार बिपेंद्र सिंह जडेजा और आम आदमी पार्टी (आप) के करसन कपूर से था. चुनावी मैदान में उतरते ही वह काफी चर्चा में आ गई थीं. उन्होंने 40,000 से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की है.
जीत के बाद उन्होंने कहा, ‘पीएम मोदी गुजरातियों के दिल में बसते हैं. गुजरात में बीजेपी जिस तरह से 27 साल से कार्यरत है और विकास का एक मॉडल स्थापित किया है, लोग भी इस विकास यात्रा को भाजपा के साथ मिलकर ही आगे बढ़ाना चाहते हैं. ये साफ है कि गुजरात की जनता BJP के साथ थी और आगे भी रहेगी.’
रिवाबा के परिवार में पति के अलावा अन्य लोगों ने कांग्रेस के लिए प्रचार किया था. दरअसल, इसी सीट पर रवींद्र सिंह जडेजा की बहन नयनाबा जडेजा चुनाव लड़ने की इच्छुक थीं और वह कांग्रेस पैनल की सूची में थीं, लेकिन जब बीजेपी ने रिवाबा जडेजा के नाम की घोषणा की, कांग्रेस ने नयनाबा को हटा दिया और बिपेंद्र सिंह को नामित किया.
जडेजा बनाम जडेजा अफवाहों पर रीवाबा ने कहा था, ‘परिवार में कोई मतभेद नहीं, यह विचारधारा की बात है.’
रिवाबा जडेजा ने राजकोट के आत्मिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मेडिकल साइंस से मैकनिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की. रिवाबा जडेजा ने 2016 में भारतीय क्रिकेटर रविंद्र जडेजा से शादी की.
बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण और अभिनेता रणवीर सिंह अभिनीत फिल्म ‘पद्मावत’के खिलाफ 2018 में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए, उन्हें पिछले साल क्षत्रिय समुदाय की दक्षिणपंथी संस्था, करणी सेना की महिला शाखा का प्रमुख नियुक्त किया गया था. एक पुलिस कांस्टेबल के द्वारा उन्हें कथित रूप से थप्पड़ मारने के बाद वह सुर्खियों में रहीं थीं. इसके बाद 2019 में वे राजनीति में आ गईं.
नतीज़े सामने आने के बाद से लोगों ने रिवाबा को बधाई देने के लिए ट्विटर पर मजेदार कॉमेंट्स किये. एक ट्विटर यूजर ने लिखा, ‘भाभी जीत गई’. वहीं एक ट्विटर यूजर ने लिखा, ‘अब जडेजा बोलेंगे ‘पत्नी विधायक हैं हमारी.’
यह भी पढ़ेंः धुंआधार अभियान के बाद, पदमपुर उपचुनाव में BJD से BJP की हार ‘मिशन ओडिशा’ के लिए झटका होगी
ससुर की विरासत को बहू ने रखा बरकरार
सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली मैनपुरी लोकसभा सीट पर उनकी बहू और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने रिकॉर्ड जीत दर्ज की है. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के रघुराज सिंह शाक्य को हराया.
चुनाव आयोग द्वारा घोषित परिणाम के मुताबिक, डिंपल ने दो लाख 88 हजार 461 वोटों से जीत हासिल की. डिंपल ने छह लाख 18 हजार 120 वोट हासिल किए जबकि शाक्य को तीन लाख 29 हजार 659 वोट मिले.
बता दें कि डिंपल यादव ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से बीकॉम की पढ़ाई की है. उन्होंने साल 2009 में पहली बार राजनीति में कदम रखा था. इसके अलावा वे कन्नौज लोकसभा सीट से दो बार सांसद भी रहीं हैं.
यह भी पढ़ें: गुजरात की आदिवासी बेल्ट में BJP की कोशिशें रंग लाईं, राहुल क्यों अपनी पकड़ नहीं बना पाए
प्रतिभा सिंह की मेहनत से सत्ता में वापसी
हिमाचल में छह बार सीएम रहे वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को छह महीने पहले ही कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. वह 1998 से राजनीति में सक्रिय रहीं हैं और उन्होंने मंडी संसदीय क्षेत्र से पहली बार चुनाव लड़ा था. हालांकि, इस चुनाव में उन्हें बीजेपी प्रत्याशी और अपने समधि महेश्वर सिंह के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.
प्रतिभा सिंह अपना पहला चुनाव 2004 में जीतीं थीं. 2012 में वीरभद्र सिंह के लोकसभा से इस्तीफा देने के बाद उपचुनाव में प्रतिभा सिंह को जीत मिली. हालांकि, 2014 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 26 अप्रैल 2022 को कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें हिमाचल प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थीं.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनाव नतीजों के बाद हिमाचल की जीत का श्रेय राहुल गांधी की भारत जोड़ो योजना और प्रियंका गांधी को दिया.
हिमाचल में भाजपा को 43 फीसदी वोट मिले वहीं कांग्रेस को 43.9 फीसदी. जबकि गुजरात में भाजपा को 52.5 फीसदी तो कांग्रेस को 27.3 फीसदी वोट हासिल हुए. प्रदेश में अरविंद केजरीवाल की पार्टी पहली बार चुनाव लड़ रही थी जिसे 12.9 फीसदी वोट मिले हैं.
गुजरात की 182 सीटों में से भाजपा ने 157 सीटें जीतने की ओर बढ़ रही हैं वहीं कांग्रेस 16 सीटों पर सिमटती हुई नजर आ रही है. वहीं आम आदमी पार्टी ने पांच सीटें जीती हैं जिसने उसे देश का नया राष्ट्रीय दल बना दिया है. साथ ही हिमाचल में कांग्रेस ने 40 सीटों पर जीत दर्ज की हैं वहीं भाजपा ने 25 सीटें हासिल की.
यह भी पढ़ें: हार्दिक, अल्पेश, जिग्नेश सभी आगे चल रहे- कैसी रही गुजरात की इस युवा ‘तिकड़ी’ की सियासी किस्मत