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Thursday, 21 November, 2024
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मस्तराम, सविता भाभी से सुबोध भैया तक: हिंदी इरोटिका की दुनिया कुछ यूं बदली

पहले के समय में, पाठक इरोटिक किताबों और पत्रिकाओं को अपने बिस्तरों के नीचे छिपा देते थे और पढ़ने वाले भी इन्हें छिप-छिप कर पढ़ते थे और लिखने वाले भी अपनी पहचान छिपाकर लिखा करते थे.

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मस्तराम, सविता भाभी और सरस सलील– ये वो नाम हैं जो सालों पहले हिंदी इरोटिका की दुनिया पर राज करते थे, लेकिन ये बहुत पुरानी बात है. अब कई महिलाएं भी हिंदी इरोटिका के बारे में लिख रही हैं और सिर्फ लिख ही नहीं रही हैं बल्कि अपनी पहचान भी उजागर कर रही हैं.

मनीषा झा ने एक्टिंग और डांसिंग के लिए 7 साल पहले अपनी सेल्स एग्जक्यूटिव की नौकरी छोड़ दी थी फिर जब लॉकडाउन आया तो उन्होंने इरोटिका लिखना शुरू किया. मनीषा ने स्टोरीटेल, अमेजन अंतरवासना के लिए इरोटिक कहानियां लिखी हैं.

उन्होंने सुबोध भैया के किरदार को गढ़ा और महिलाओं की फैंटेसियों पर आधारित कहानियां लिखीं.

रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और सड़क के किनारे मिलने वाली किताबों से लेकर बुक स्टोर्स पर चोरी छिपे मिलने वाले कहानी संग्रह और उपन्यास इन जगहों पर अब न के बराबर रह गए हैं. अब कंटेट किताबों में नहीं बल्कि डिजिटल प्लेटफॉर्म आने के बाद हिंदी इरोटिका को एक नई दिशा मिली है. दरियागंज के किताब बाज़ार में अब इक्का-दुक्का दुकानों पर इरोटिक कहानियों की किताबें मिलती हैं जिनके कवर पर महिलाओं की कामुक तस्वीरें लगी होती हैं. ज्यादातर कहानियां अब ऑनलाइन पढ़ी जाती हैं. बहुचर्चित सविता भाभी के किरदार से जुड़ा कंटेट भी अब ऑनलाइन पीडीएफ के फॉर्मेट में टेलिग्राम ग्रुप्स और कुछ वेबसाइट्स पर आसानी से मिल जाता है.

मुंबई में रहने वाली 39-वर्षीय मनीषा झा कहती हैं, ‘मुझे याद है जब मैंने अपनी कहानी को अपनी फेसबुक वॉल पर पोस्ट किया तो मुझे पुरुषों से बहुत परेशान करने वाले मैसेज मिले – ‘आपने कितनी पॉजिशन ट्राई की हैं?’, ‘तू प्रोस्टीट्यूट है’, ‘मेरे साथ सेक्स करोगी’ आदि. हालांकि, मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है. वेश्याएं तन बेचती हैं, ऐसी कहानियां लिख कर मैं भी किरादारों के माध्यम से तन बेचती हूं. लेकिन हमारा समाज ऐसा ही है. मैं इसके बारे में लिख भी नहीं सकती.’

दिल्ली के कश्मीरी आईएसबीटी में बुक स्टोर पर काम करने वाले 40 साल के ब्रजेश सिंह कहते हैं, ‘पहले स्टॉल पर रखते थे लेकिन अब लोग खरीदने नहीं आते हैं तो हमारे पास भी आना बंद हो गया है.’


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सविता भाभी से गर्म छूरी तक

पहले के समय में, पाठक इन किताबों और पत्रिकाओं को अपने बिस्तरों के नीचे छिपा देते थे और पढ़ने वाले भी इन्हें छिप-छिप कर पढ़ते थे और लिखने वाले भी अपनी पहचान छिपाकर लिखा करते थे. कुछ का कहना है कि कईं लोकप्रिय कामुक उपन्यासकार मेरठ शहर से आते थे, लेकिन इसे सत्यापित नहीं किया जा सकता है.

लेकिन अब भारत बदल गया है.

सविता भाभी सीरीज लिखने वाले कई लोग गुमनाम ही रह गए. लेकिन सुमित कुमार अलग थे, उन्होंने तीन कहानियां लिखीं और साहसपूर्वक उनके नीचे क्रेडिट भी मांगा.

कॉमिक्स और एनीमेशन उद्योग में काम करने वाले सुमित कुमार कहते हैं, ‘मैंने 15 साल पहले सविता भाभी के लिए तीन कहानियां लिखी थीं. लोग सविता भाभी को बहुत पसंद करते थे, उन्हें मेरी कहानियां भी बहुत पसंद आती थीं. उस समय लोग ऐसी कहानियां लिखने का क्रेडिट नहीं लेते थे, शायद शर्म की वजह से लेकिन मुझे यह काम काफी अच्छा लगा, इसलिए मैंने उन्हें क्रेडिट के लिए कहा और मुझे इस पर गर्व है. मेरे परिवार में कोई भी इस तरह के काम से मेल नहीं खा सकता है.’

हालांकि, पुराने समय की सरस सलील मैगेज़ीन आज भी कुछ रेलवे स्टेश पर पाईं जातीं हैं लेकिन उसमें अब ज्यादा इरोटिक कंटेट नहीं मिलता मगर उनकी वेबसाइट पर कईं कहानियां पढ़ी जा सकती हैं. जैसे- बेवफा नैना; कैसे उसे उसकी गलती का एहसास हुआ?, तुम मेरी हो:क्या शीतल के जख्मों पर मरहम लगा पाया सारांश?

लेखकों, प्लेटफार्मों और इन वेबसाइट्स की तरह, नए लेखक अपने काम से पैसा बनाने के विभिन्न तरीकों की कल्पना कर सकते हैं. वे अब न केवल एक किताब पर निर्भर हैं, बल्कि ऑडियो कहानियों और ऑवर दि टॉप प्लेटफॉर्म (ओटीटी) वेब सीरीज पर भी निर्भर हैं.

Spotify पर कामुक कहानियां अक्सर टॉप ट्रेंड में पहुंच जाती हैं. प्रकाशकों का कहना है कि पाठक इस सामग्री को ऑनलाइन खोजते हैं. स्व-प्रकाशन पोर्टल प्रतिलिपि भी सीमाओं को लांघ रहा है. इसका ‘हॉट रोमांस’ वर्टिकल, जिसे वे इरोटिका नहीं कहते इसकी लोकप्रियता को बढ़ा रहा है.

100 से ज्यादा उपन्यास लिखने वाले थ्रिलर लेखक अमित खान कहते हैं, ‘बेशक, पेपरबैक की बिक्री कम हो गई है, लेकिन अब इंटरनेट के आगमन के साथ कई माध्यम उपलब्ध हो गए हैं. प्रतिलिपि पर मेरा उपन्यास गरम छुरी 37 लाख से अधिक लोगों ने पढ़ा है. नाइट क्लब को 18 लाख से ज्यादा लोग पढ़ चुके हैं. अब पैसा भी अच्छा है. किंडल, ऑडियो बुक्स आदि हैं. हम कह सकते हैं कि अब कामुक सामग्री के लिए एक बड़ा बाजार है,’ प्रतिलिपि जल्द ही इनकी किताब गर्म छुरी का पूर्व-संस्करण – डिजिटल पुस्तक का फिजिकल संस्करण लॉन्च करने की योजना बना रही हैं.

गर्म छुरी एक कॉल गर्ल की कहानी है जो अपने माता-पिता की मौत का बदला लेना चाहती है. उसका किरदार पुरुषों को मारने से पहले लोगों को अपनी सुंदरता के जाल में फंसाता है. उपन्यास नाइट क्लब एक बार डांसर की कहानी को बयां करता है जो एक अमीर आदमी से शादी करना चाहती है. वह अपनी सुंदरता से पुरुषों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं.

स्टलैंड बुक्स की संपादक मीनाक्षी कहती हैं, ‘गरम छुरी ने हमारे लिए बहुत अच्छा किया. हम उनकी किताब का प्री-वर्जन लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं.’

अब इरोटिका कंटेट बनाने में भी कई तरह के बदलाव हुए हैं.

पांच साल से ज्यादा समय तक स्टोरीटेल की एडिटर इन चीफ रह चुकी प्रियमवदा रस्तोगी कहती हैं, ‘इससे पहले, इरोटिका को एक टैबू के रूप में देखा जाता था, लेखक अपनी पहचान छिपा कर रखते थे. मगर अब कईं लिखने के लिए आगे आ रहे हैं और पाठक भी यहां हैं. मुझे याद है कि हम इस तरह के कंटेंट को ऐप में सबसे नीचे रखते थे, लेकिन लोग उसे सर्च करके पढ़ते थे. अगर मांग है, तो सप्लाई भी है.’

समय के साथ, हिंदी इरोटिका के लेखन में बहुत कुछ बदल गया है-चरित्र, कथानक और वह जगहें जहां, पात्र मिलते हैं.

मनीषा झा की लिखी एक कहानी- चमेली की सहेली में नायिका का काम सेक्स टॉयज का परीक्षण करना है. मुख्य किरदार एक वृद्ध पुरुष से शादी करने वाली महिला है जो एक शहर में पहुंचती है जहां वह यह सब काम पैसे के लिए करती है. वह इन सेक्स टॉयज में आनंद लेती है क्योंकि उसका पति उसे संतुष्ट नहीं कर पाता है. वे अपनी सहेली से कहती है ‘मैं इन सेक्स टॉयज का आनंद लेती हूं, मेरे पति मुझे कभी संतुष्ट नहीं करते जैसे ये सेक्स टॉयज करते हैं.’

एक और कहानी है चरमसुख. इसमें रवि नाम के पति और उसकी पत्नी की सेक्स लाइफ अच्छी नहीं है…एक दिन रवि के ऑफिस के दोस्त उसके घर आते हैं और उसकी पत्नी के साथ सेक्स करने के लिए कहते हैं. कहानी के आखिर में रवि की पत्नी सभी के साथ यौन संबंध बनाती है.

खान कहते हैं, ‘कहानियां महिला पात्रों को केंद्र में रखकर लिखी जा रही हैं.’

लेकिन मनीषा इस बात से सहमत नहीं हैं. वह कहती हैं. ‘मैं पोर्न की भी बड़ी उपभोक्ता हूं. मैंने महिला-केंद्रित इरोटिका के बारे में कुछ भी नहीं पढ़ा है.’

मनीषा कहती हैं कि वह महिलाओं के लिए लिखना चाहती थीं लेकिन निर्माता मुख्य रूप से पुरुषों के लिए कंटेंट की मांग करते हैं. पुरुषों के लिए इरोटिका की भरमार है, लेकिन महिला पाठकों की चरम इच्छाएं एक बेरोज़गार बाज़ार हैं.

इसके अलावा इरोटिक की भाषा भी बदल गई है. मस्तराम ने शुद्ध अश्लील सामग्री की पेशकश की और रोमांस और केमिस्ट्री पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. समलैंगिकता, रोमांस, बीडीएसएम अब नए हिंदी इरोटिका कंटेंट का हिस्सा हैं. आप Spotify पर इरोटिका की कहानियों को आसानी से सुन सकते हैं.

हिंदी गे स्टोरीज शीर्षक से, Spotify कई ऑडियो कहानियों को होस्ट करता है जो समलैंगिक संबंधों और यौन संबंधों पर ध्यान केंद्रित करती हैं. पेज पर ऐसी ही एक कहानी ट्रेन में दो पुरुषों-जय और साहिल- के बीच की कैमेस्ट्री को दर्शाती है. इस कहानी में पात्र जय कहते हैं, ‘वह अपनी बर्थ पर वापस जा रहा था लेकिन वह सीट से टकराया और मेरे ऊपर गिर गया, मैंने ऐसा स्पर्श लंबे समय बाद महसूस किया. मैं इसके बाद सो नहीं सका.’

वाणी प्रकाशन से छपे इरोटिक कहानियों के संग्रह- कामुकता का उत्सव का संपादन कर चुकी जयंती रंगनाथन कहती हैं, ‘सेक्स कुंठा नहीं है, यह आनंद है. यदि हम अच्छी भाषा में कंटेंट सर्व नहीं करेंगे तो पाठक बुरी सामग्री की ओर जाने को विवश होगा. आज की कहानियों में नारी सुख का भी ख्याल रखा जा रहा है. सेक्स का मतलब केवल यह है कि दोनों को आनंद मिले.’

कुछ लेखकों का मानना ​​है कि देसी कंटेंट पर वेस्टर्न इरोटिका का भी प्रभाव है. ‘फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे में, हम देखते हैं कि कैसे पुरुष चरित्र अपनी कल्पनाओं के प्रति बहुत भावुक है. लेकिन हम प्यार और रोमांस भी देखते हैं. हम यह भी देख रहे हैं कि यह हिंदी इरोटिका है. हम इसे इरोटिका रोमांस कहते हैं.’ रेडग्रा बुक्स द्वारा प्रकाशित हिंदी फिक्शन डार्क नाइट के लेखक संदीप नैय्यर कहते हैं. उनकी किताब कबीर के किशोर मन के इर्द-गिर्द घूमती है, जो प्यार, रोमांस और सेक्स की कल्पनाओं से भरा हुआ है.

मनीषा झा कहती हैं, ‘पुरुष भी पुरुषों के लिए लिख रहे हैं और हम महिलाएं भी पुरुषों के लिए लिख रही हैं. महिलाओं के कामोन्माद के लिए पेनेट्रेशन की आवश्यकता नहीं होती है. लेकिन हमें यह पुरुष पाठक के लिए लिखना पड़ता है.’

उन्होंने सविता भाभी का मुकाबला अपने किरदार सुबोध भैया से किया. लेकिन पाठकों को यह पसंद नहीं आया. क्योंकि उन्होंने स्त्रियों पर अपनी दृष्टि प्रशिक्षित की है.

मनीषा थोड़े गुस्से में कहती हैं, ‘मैंने महिला की कल्पना पर लिखा लेकिन लोग महिला सेक्स के बारे में बात नहीं करना चाहते. ज्यादातर पाठक पुरुषों के होते हैं, पैसा पुरुषों द्वारा दिया जाता है, इसलिए किरदार भी उन्हें खुश करने के लिए बनाए जाते हैं.’

स्टोरीटेल का सेक्सी जोगन एक मजबूत महिला के जीवन को दर्शाता है. यह एक नए तरह के इरोटिका को पेश करता है. नायक नीलोफर, एक योगी आश्रम में नकुश नाम के एक लड़के से मिलती हैं. इस इरोटिका का टीज़र कहता है- ‘खूबसूरत नीलोफर प्यार की न बुझने वाली प्यास के साथ योगी आनंद के आश्रम में आती है, जहां उसकी मुलाकात युवा हैंडसम नकुश से होती है. क्या नकुश नीलोफ़र ​​को संतुष्ट कर पाएगा?’ स्टोरीटेल पर इस कहानी के ऑडियो वर्जन को 3.5 स्टार रेटिंग मिली है.

नेटफ्लिक्स पर लस्ट स्टोरीज की एक कहानी में कियारा आडवाणी का किरदार अपने परिवार के सदस्यों के सामने डिल्डो का इस्तेमाल करता है. लेकिन मनीषा कहती हैं कि यह कोई क्रांति नहीं थी.

मनीषा कहती हैं, ‘ये महिलाओं की फैंटेसी नहीं हैं, ये करण जौहर की फैंटेसी हैं.’

सरस सलिल वेबसाइट पर एक कहानी का शीर्षक है मर्यादा: स्वाति को फ्लरे करना क्यों पसंद था. जैसा कि शीर्षक से पता चलता है, चरित्र चुलबुला है. वह एक दुकानदार के साथ फ्लर्ट करती है और वह उसे डिस्काउंट देता है.

(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस फीचर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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