scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशकैसे सीतारमण की 'काशी यात्रा' BJP को तमिलों के साथ जोड़ने और DMK का मुकाबला करने में मदद करेगी

कैसे सीतारमण की ‘काशी यात्रा’ BJP को तमिलों के साथ जोड़ने और DMK का मुकाबला करने में मदद करेगी

तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों से छात्रों, शिक्षकों, पुरोहितों और कारीगरों सहित लगभग 2,500 प्रतिभागियों के इसमें भाग लेने की उम्मीद है.

Text Size:

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस सप्ताह के अंत में काशी तमिल संगमम में भाग लेने के लिए वाराणसी की दो दिवसीय यात्रा पर हैं. यह एक महीने तक चलने वाला सांस्कृतिक कार्यक्रम है, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर में किया था.

भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम को ‘तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने संबंधों को सेलिब्रेट करने, उन्हें फिर से मजबूत करने, भाषाई मतभेदों को दूर करने और भावनात्मक एकता स्थापित करने के प्रयास के रूप में लाया गया है.

तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों से छात्रों, शिक्षकों, पुरोहितों और कारीगरों सहित लगभग 2,500 प्रतिभागियों के इसमें भाग लेने की उम्मीद है.

अन्य दक्षिणी राज्यों की तुलना में तमिलनाडु वह जगह है जहां भाजपा को ‘हिंदी थोपने’ पर सबसे बड़े आरोप का सामना करना पड़ रहा है. एक ऐसा मुद्दा जिसे सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने अपने फायदे के लिए खूब उछाला है और भाजपा इसका जवाब काशी तमिल संगमम के जरिए देना चाह रही है.

दिप्रिंट ने जिन भाजपा नेताओं से बात की उन्होंने इस बात को स्वीकार किया और इशारा किया कि इस आयोजन का राजनीतिक एजेंडा तमिलनाडु में पार्टी के लिए जगह बनाने में मदद करना है.

2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में DMK ने पूर्ण बहुमत हासिल किया, जबकि भाजपा सिर्फ चार सीटों पर ही अपनी पकड़ बना पाई थी.

कार्यक्रम के आयोजन में शामिल भाजपा के एक पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम अपनी पार्टी को राज्य में डीएमके के एक मजबूत दावेदार के रूप में स्थापित करने के लिए उत्सुक हैं. लेकिन डीएमके भाषा और सांस्कृतिक अंतर (उत्तर और दक्षिण के बीच) के बारे में बात करके हमें आगे बढ़ने से रोक रही है. काशी के इस आयोजन के जरिए हम इस अंतर को पाटने में कामयाब रहेंगे.’

पदाधिकारी ने आरोप लगाया कि ‘यह धारणा कुछ निश्चित स्वार्थ के चलते बनाई गई है कि द्रविड़ संस्कृति एक अलग पहचान है और उत्तर भारतीय संस्कृति में शामिल नहीं हो सकती है. इसे द्रविड़ पार्टी ने अपने फायदे के लिए तैयार किया है.

उन्होंने कहा, ‘हम इन धारणाओं को चुनौती देकर नहीं बल्कि सांस्कृतिक समानताओं को प्रदर्शित करके लड़ना चाहते हैं. इस कड़ी में पहली बार यह (संगमम) कार्यक्रम आयोजित किया गया है ताकि तमिलनाडु के आम लोग काशी के साथ सांस्कृतिक समानताएं देख सकें.’ उन्होंने आगे कहा, ‘ हमने डीएमके को भी इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन उन्हें लगा कि ये उन्हें राजनीतिक रूप से पीछे कर देगा.’

भाजपा नेताओं के अनुसार, द्रमुक ने ‘तमिलनाडु में भाजपा को रोकने के लिए भाषा की राजनीति का इस्तेमाल किया है’. उन्होंने राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET) से जुड़ी डीएमके की राजनीति की ओर इशारा किया जिसे उसने 2021 में राज्य में सत्ता में आने पर खत्म करने का वादा किया था.


यह भी पढ़ें: गुजरात के आदिवासी जिले ‘दाहोद’ में BJP को बढ़ाने, और ‘धर्मांतरण’ से निपटने के लिए RSS अपना रही लोन व बचत योजना


‘प्रचार के लिए मंत्री का आना’

इस कार्यक्रम में 2500 लोगों के शामिल होने की उम्मीद है. इसे देखते हुए उत्तर और दक्षिण के बीच की दूरी खत्म करने के लिए भाजपा ने कई केंद्रीय मंत्रियों के साथ-साथ पार्टी के नेताओं को वाराणसी आने के लिए कहा है.

तमिलनाडु से आने वाली और एक अयंगर ब्राह्मण परिवार में जन्मी सीतारमण खुद कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगी, जिसमें शंकर नेत्रालय अस्पताल की आधारशिला रखना, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में छात्रों के साथ बातचीत करना और तमिलनाडु से आए परिवारों से मुलाकात करना शामिल है. शाम को आयोजित किए जा रहे सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी उनके हिस्सा लेने की उम्मीद है.

भाजपा वाराणसी शहर के अध्यक्ष विद्या सागर ने दिप्रिंट को बताया कि ‘वित्त मंत्री मदुरै से आती हैं और उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा चेन्नई और तिरुचिरापल्ली में की है. वह तमिल लोगों के साथ संबंध स्थापित करने और सांस्कृतिक संबंधों के बारे में प्रचार करने में मदद करेंगी.’ उन्होंने कहा कि ‘हम पहले ही तमिलनाडु के पूर्व राष्ट्रपति और केंद्रीय मंत्री एल. मुरुगन को उद्घाटन समारोह के लिए आमंत्रित कर चुके हैं.’

संस्कृत पुनरुत्थानवादी संगठन संस्कृत भारती के सह-संस्थापक चामू कृष्ण शास्त्री ने दिप्रिंट को बताया, ‘संस्कृति एक है, लेकिन (भारत के) अलग-अलग क्षेत्रों में इसकी अभिव्यक्ति अलग है. हम इसे एक अलग संस्कृति नहीं कह सकते. भारत की सुंदरता विविधता में है और हम इस विविधता का जश्न मना रहे हैं जो एकता के लिए है.’ इस कार्यक्रम को आयोजित करने के पीछे शास्त्री की काफी मेहनत और दिमाग लगा है.

उन्होंने कहा कि ‘भाषा लोगों को जोड़ने और एक बनाए रखने का एक साधन है, न कि उन्हें विभाजित करने का.’

शास्त्री ने बताया, ‘तमिलनाडु के लोग एक हजार साल से ज्यादा पुरानी प्राचीन तमिल संस्कृति को संरक्षित करने की पीएम की अपील को समझेंगे. हम तमिलों को आमंत्रित कर रहे हैं कि वे काशी आए और इन प्राचीन संबंधों को देखें… काशी में कांचीपुरम साड़ियां बिकती हैं और कांचीपुरम में बनारसी साड़ियां बिकती हैं… तमिलनाडु में 108 मंदिरों के नाम में काशी है… तो हम कैसे कह सकते हैं कि ये दो अलग-अलग संस्कृतियां हैं.’

तमिल हस्तियों का जिक्र

मोदी पहले भी कई बार विभिन्न अवसरों पर क्रांतिकारी तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती का नाम ले चुके हैं. इस साल बजट सत्र के दौरान और तमिलनाडु की अपनी यात्रा के दौरान संसद में उन्होंने उनका जिक्र किया था.

सितंबर 2021 में बीएचयू में उनके नाम पर एक चेयर स्थापित करने के अलावा, केंद्र सरकार ने यह भी सुझाव दिया है कि कवि की जयंती 11 दिसंबर को हर साल ‘भारतीय भाषा दिवस’ के रूप में मनाई जाए.

काशी तमिल संगमम का उद्घाटन करते हुए मोदी ने भारती के वाराणसी में बिताए गए समय की बात की. उन्होंने तमिलनाडु की अन्य उल्लेखनीय हस्तियों का भी नाम लिया, मसलन भारत के पूर्व राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन और वैदिक विद्वान राजेश्वर शास्त्री और पट्टाभिराम शास्त्री.

तमिलनाडु भाजपा के एक उपाध्यक्ष ने दिप्रिंट को बताया, ‘किसी ने सोचा भी नहीं था कि हम लंबे समय तक एक कम्युनिस्ट राज्य त्रिपुरा में पैठ बना पाएंगे या पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर पाएंगे. (सीएम) ममता बनर्जी ने कहा था कि यह (बीजेपी) एक उत्तर भारतीय पार्टी है जो भद्रलोक को नष्ट कर देगी.’

उन्होंने कहा, ‘लेकिन हमने बांग्ला संस्कृति का सम्मान किया और उनके आइकन, भोजन और संस्कृति का सम्मान करके हमने खुद को राज्य में विपक्षी दल के रूप में स्थापित किया. इसी तरह तेलंगाना में कभी हमारा वोट शेयर 2 फीसदी हुआ करता था लेकिन अब हम 20 फीसदी तक पहुंच गए हैं. तमिलनाडु एक मुश्किल राज्य है लेकिन हम उस पुल को भी पार कर लेंगे.’

अन्नामलाई विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डी. देवनाथन ने कहा, ‘भाजपा ने सबसे पहले राज्य के सांस्कृतिक प्रतीकों पर अपनी पकड़ बना कर तमिलनाडु में आने वाली बाधाओं को तोड़ने का प्रयास किया. उसे पता है कि लोगों के जुड़ने से उसका काम आसान हो जाएगा. कल्पना कीजिए, जब काशी तमिल संगमम के 2,500 लोग तमिलनाडु के शहरों और गांवों की यात्रा करेंगे, तो वे भाजपा के लिए एक कितना बड़ा राजनीतिक माहौल तैयार करेंगे.

(संपादनः शिव पाण्डेय)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ेंः दिल्ली MCD चुनाव में किसी भी पार्टी ने गैर हिंदी भाषी को टिकट नहीं दिया है


 

share & View comments