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Friday, 22 November, 2024
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पाकिस्तान में असली खबर तो यही है, ‘घड़ी चोर’ इमरान खान सऊदी प्रिंस से मिले तोहफे बेच रहे

'उम्माह के नेता' इमरान खान स्टेट गिफ्ट्स बेचने में लगे हैं, फिर भी पीटीआई को लगता है कि उसकी सबसे बड़ी समस्या गूगल पर ‘घड़ी चोर’ सर्च करने पर इमरान खान की तस्वीर का दिखाया जाना है.

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क्या आप भी पाकिस्तान में नए सेनाध्यक्ष का ताज किसे पहनाया जाएगा, इस बात को लेकर सोंच में फंसे हुए हैं? तो यहां एक नया चुंबकीय आकर्षण है – पाकिस्तान के पूर्व वज़ीर-ए-आजम (प्रधान मंत्री) इमरान खान द्वारा सऊदी युवराज (क्राउन प्रिंस) के द्वारा दिए गए कई मिलियन-डॉलर की कीमत वाले तोहफे का बेचा जाना. ब्रिटिश ज्वेलरी चेन ग्रेफ द्वारा बनाए गए इस तोहफों के सेट में हीरे की बिंदी से सजी कलाई घड़ी, अंगूठी, कफ़लिंक और एक पेन शामिल था. किसी भी असल -अपराध वाले पॉडकास्ट की तरह, बेचे जा रहे राजकीय उपहारों की कहानी एक नए सेना प्रमुख – जो सभी एक जैसी घड़ी और एक जैसे कपड़े पहनते हैं – के चयन की तुलना में कहीं अधिक चौंकाने वाली, रोमांचकारी और सनसनीखेज है.

अपने इतिहास में हमने कभी किसी वज़ीर-ए-आजम को तोशखाने से तोहफे निकाल उन्हें खुले बाजार में बेचते नहीं सुना है. इस जरा सी रहम के लिए इमरान खान को ढेर सारा शुक्रिया! घड़ी के बेचने और खरीदने वाले थ्रिलर के आधार पर, अब, हमें दुबई में इस गिफ्ट सेट के एक खरीदार से मिलवाया गया है, जो दावा करता है कि उसने $2 मिलियन का भुगतान किया था, जबकि इस विशेष तौर पर बनाये गए सेट की वास्तविक कीमत $12 मिलियन आंकी गई थी. विभिन्न प्राइम टाइम टेलीविज़न शो में शिरकत करते हुए उमर फ़ारूक़ ज़हूर बड़ी ठसक के साथ घड़ी और अन्य सामान सामने रखते हैं. लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री साहब का दावा है कि जहूर वह शख्स नहीं है जिसे यह घड़ी बेची गई थी. अच्छी बात बस इतनी सी है कि कम-से-कम कोई भी इसे बेचे जाने से इनकार तो नहीं कर रहा है!


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वॉचेज विन मैचेज

अगर जहूर असल खरीदार नहीं है तो उसके पास वे उपहार क्या कर रहे हैं जो मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) ने इमरान खान को दिए थे? असली खरीदार आखिर है कौन? शर्तिया रूप से यह एमबीएस तो नहीं है. और न ही इस्लामाबाद में ‘आर्ट ऑफ टाइम’ के नाम से जानी जाने वाली मामूली सी वह दुकान, जिसकी कच्ची रसीदें (बिक्री की) आधिकारिक सबूत के रूप में जमा की जा रहीं हैं. ‘मेरा तोहफा, मेरी मर्जी’ वाली दलील अब काम नहीं कर रही है, और न ही ‘महंगे राजकीय उपहारों को बेचकर सड़क बनाने’ का उनका पिछला दावा ही जच रहा है. दहशत में फंसी ‘टीम इमरान खान’ ने जहूर को ‘अंतर्राष्ट्रीय धोखेबाज, एक जानामान अपराधी‘ बताते हुए दुबई स्थित इस व्यवसायी के साथ अपने किसी भी तरह के वास्ते से इनकार किया है.

लेकिन ये ‘जालसाज‘ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार की सरकारी बैठकों में भी तो मौजूद था. फवाद चौधरी ने एक मीडिया के साथ मुलाकात में जहूर को न जानने का जोरदार अभिनय किया, मगर, वहीं वे उसे व्हाट्सएप मैसेज करते हुए भी पाए गए. चौधरी को कई बार इन आरोपों को लेकर अपनी पार्टी के सदर के लिए राहत की मांग करने के लिए जाना जाता है, पर कई अन्य मौकों पर उन्हीं के द्वारा यह जानकारी भी दी जाती है कि एक से अधिक घड़ियां ‘गायब’ हैं. तो कमर कस लीजिये, इस ‘घड़ी गाथा’ में स्पेगेटी की एक पूरी तशतरी की तुलना में कहीं अधिक मोड़ और घुमाव हैं.


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क्राइम मास्टर गोगी

इस पूरी कहानी के सबसे दिलचस्प किरदार का नाम फराह गोगी है, जिसके बारे में दुबई के इस व्यवसायी का दावा है कि उसी के जरिये उन्हें ग्रैफ वाला उपहार मिला था और जिसे उन्होंने व्यक्तिगत रूप से नकद में पैसा दिया था. लेकिन यह उनका पहला कारनामा नहीं है. पिछली सरकार के दौरान हुए कई आढ़े-टेढ़े सौदों में, उसका नाम (या कहिए कि कई नाम) सामने आया है – यह फराह गोगी उर्फ फराह गुर्जर या फराह खान या फरहत शहजादी या उनके पति द्वारा बड़ी मुहब्बत से रखा गया उपनाम ‘फरी’ का अजीबोगरीब मामला है.

मगर, असलियत में किसी नाम में तब क्या रखा होता है जब आपकी पहचान उस समय की ‘प्रथम महिला (फर्स्ट लेडी)’ के सबसे अजीज दोस्त के रूप में पेश की जाती है? बुशरा खान और फराह गोगी को एक साथ खाना खाने वाली, एक साथ इबादत करने वाली और एक साथ व्यापार करने वाले जोड़े के रूप में वर्णित किया जा सकता है. गोगी को हमेशा पूर्व ‘फर्स्ट लेडी’ के साथ उनके आधिकारिक कार्यक्रमों में शामिल होते देखा जाता था, चाहे वह मानसिक स्वास्थ्य अस्पतालों के दौरे हों या विज्ञान और सूफीवाद के तथाकथित अनुसंधान केंद्र हों. अगर बुशरा बी कहीं होतीं तो फराह भी ज्यादा दूर नहीं होतीं. दोनों ही महिलाएं अपने कप्तान साहेब के लिए सलामी बल्लेबाज़ी कर रहीं थी.

अगर लेडी गागा को सारी दुनिया जानती है तो पाकिस्तान का एक्सपोर्ट विदेश भागी हुईं लेडी गोगी हैं. गोगी ने पहली बार न केवल अपने बिर्किन बैग या हर्मेस जूते के लिए सुर्खियां बटोरीं थीं, बल्कि उन्होंने पंजाब की ‘असली’ मुख्यमंत्री होने की फुसफुसाहट और फर्स्ट लेडी तथा वज़ीर-ए-आजम के चुने हुए मोहरे के रूप में नागरिक और पुलिस पदों पर तबादले और पोस्टिंग के बदले में मिलने वाले किकबैक इकट्ठा करने के लिए भी ख़बरों में शोहरत हासिल की थी.

आप गोगी की कारगुजारियों पर सवाल उठाने की हिम्मत भी नहीं कर सकते थे, वरना अरसलान बेटा इसे गद्दारी से जोड़ देता! एक तरफ इमरान खान गोगी के बचाव में सबसे पहले दौड़े आते हैं और कहते हैं – ‘वो बेचारी रियल एस्टेट का काम करती है’, वही उनकी पार्टी के नेताओं को ‘हम गोगी को नहीं जानते’ का दावा करते हुए छोड़ दिया जाता है.

आप किसी ऐसे शख्स को जानने से कैसे इंकार सकते हैं जो वज़ीर-ए-आजम का प्रॉपर्टी डीलर और उनके पसंदीदा ‘रूहानी ताकतों’ के लिए बने अल कादिर संस्थान का ट्रस्टी था. बिजनेस टाइकून मलिक रियाज द्वारा दान की गई 458-कनाल जमीन पर खड़ा यह विश्वविद्यालय, रूहानियत (आध्यात्मिकता) को एक ‘सुपर साइंस’ बनाने के इमरान खान के वादे के साथ बना था. लेकिन तीन साल और लाखों रुपये के दान के बाद इसमें फ़िलहाल सिर्फ 37 छात्र हैं. और हमने सोचा था कि जिन्नों से बिजली पैदा करके बुशरा बीबी और इमरान हमारे बिजली बिल के संकट को खत्म ही कर देंगे.

एक लीक हुए ऑडियो कॉल में, मलिक रियाज़ की बेटी का कहना है कि गोगी इस बात से नाराज थीं कि पूर्व फर्स्ट लेडी को तीन कैरेट का हीरा दिया गया था. वे दलील देती हैं कि केवल पांच कैरेट का हीरा ही बुशरा के कद के लायक होगा: ‘फर्स्ट लेडी के लिए तीन कैरेट की अंगूठी को अपने पास रखना कोई बड़ी बात नहीं है, और यह उनके लिए (रियाज की बेटी के लिए) बड़ी बेकद्री की बात है कि वह एक ऐसा तोहफा भेज रहीं हैं जिसे कोई भी अपने पास रख सकता है.’

इससे भी अधिक नुकसानदेह एक और ऑडियो में, पीटीआई नेता अलीम खान बताते हैं कि कैसे इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस के पूर्व महानिदेशक असीम मुनीर को उस घटना के बाद उनके पद से हटा दिया गया था जब उन्होंने इमरान खान को जानकारी दी थी कि मलिक रियाज की तरफ से दिया गया हीरे का सेट रिश्वत के रूप में पीएम हाउस तक पहुंच गया है.‘ किस्मत की बात तो देखिए, वही लेफ्टिनेंट जनरल अब अगला सीओएएस (चीफ और आर्मी स्टाफ) बनने की सूची में सबसे ऊपर है.

अब यह एक बड़ी त्रासदी ही होगी अगर खान, तोशखाना से कई हीरों के सेट बेचे जाने के आगामी खुलासे के बाद भी उन्हें मालूम न होने का दावा करते रहते है. क्योंकि यह उनके लिए ऐसे मामले में कोई ख़ुशी की बात नहीं होगी. खासतौर पर तब जब उन्होंने पूरी कौम को बता रखा है कि कैसे मलेशिया के पूर्व वज़ीर-ए-आजम नजीब रजाक की बेगम महंगे नेकलेस और चूड़ियों की शौकीन थीं और अपने शौहर की तरह ही भ्रष्ट बर्ताव में लिप्त थीं.

वैसे उन्हें रिश्वतखोरी के आरोप में 10 साल की जेल की सजा हो चुकी है. बस बता ही रहीं हूं! खान साहेब की ही अक्लमंदी भरी बातों के खजाने से निकली यह बात भी भूलने लायक नहीं है : इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से पुलिस ने सवालात किये थे, विपक्ष ने नहीं – उनका गुनाह? उन्होंने राजकीय उपहार ले लिए थे.


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उम्माह के नेता!

साल 2018 में खर्च कम करने के नाम पर प्रधानमंत्री के घर से भैंस और बकरी की बिक्री के साथ जो सिलसिला शुरू हुआ था, वह अब मिस्टर और मिसेज खान दोनों के द्वारा अपने सभी राजकीय उपहारों को अपने पास बनाए रखने और बेचने के साथ एक पूरा-का-पूरा घोटाला बन गया है.

हमें पता है कि पूर्व वज़ीर-ए-आजम अक्सर शिकायत किया करते थे कि उनका मासिक मेहनताना नाकाफी है और वे इसमें अपना घर नहीं चला सकते. लेकिन क्या हालत इतने संजीदा थे कि उन्हें तोशखाने से महज 3,500 पाकिस्तानी रुपये का एक चाय का सेट भी निकालना पड़ा?

मज़हबियत के इर्द-गिर्द बनी एक नेता की ऐसी छवि की कल्पना करें, जिसे तस्बीहों के साथ और पाकिस्तान को मदीना का एक आदर्श राज्य बनाने के दावे के दम पर गढ़ा गया था. ऐसे में कौन बिना किसी झिझक के मक्का की तस्वीरों वाली उपहार में मिली घड़ी बेचता है? विडंबना यह है कि उन्हें पूर्व मुख्य न्यायाधीश आसिफ खोसा द्वारा सादिक और अमीन (सच्चा और ईमानदार) के रूप में प्रमाणित भी किया गया है. लोग अब ‘घड़ी चोर, घड़ी चोर’ के नारों से इमरान का पीछा कर रहे हैं. फिर भी पीटीआई को लगता है कि उसकी सबसे बड़ी समस्या गूगल पर ‘घड़ी चोर’ सर्च करने पर इमरान खान की तस्वीर दिखाया जाना है.

एक दशक से अधिक समय से, इमरान ने हजरत उमर को एक नेता के रूप में उद्धृत किया है, खुद को जवाबदेही के लिए सामने खड़ा किया है (‘अल्लाह ने मुझे सब कुछ दिया, मुझे कुछ नहीं चाहिए,’ इमरान अक्सर कहते थे), फटी सलवार-कमीज पहनने के किस्से सुनाएं हैं और खुद को अगले तैयप एर्दोगन के रूप में भी पेश किया है.

मुस्लिम उम्माह के सबसे बड़े नेता, जिन्होंने हरे रंग के पासपोर्ट को उसका सही सम्मान दिलाने का वादा किया था, के पास टमाटर, प्याज़ की कीमतों पर ध्यान देने का वक्त नहीं था क्योंकि वह ओएलएक्स के ब्रांड एम्बेसडर के रूप में काम करने में बहुत मशगूल थे. ताज्जुब तो मुझे इस बात का है कि पाकिस्तान के पीएम के द्वारा उनके तोहफों को ठगी किये जाने के बारे में उम्माह के असली नेता क्या महसूस कर रहे होंगें.

(अनुवाद: रामलाल खन्ना, संपादन: अलमिना खातून)

(नायला इनायत पाकिस्तान की फ्रीलांस पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल @nailainayat है. व्यक्त विचार निजी हैं.)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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