नई दिल्ली: इंडोनेशिया के बाली में मंगलवार 15 नवंबर को वार्षिक जी20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत हुई, जिसमें कई वैश्विक नेता शामिल हुए. सम्मेलन में कोविड-19 वैश्विक महामारी और यूक्रेन पर रूस के हमले से उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा की गयी. इसके साथ ही सम्मलेन में अन्य कई वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा की गयी.
शिखर सम्मेलन के शुरू होने से पहले इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने आयोजन स्थल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया.
PM @narendramodi arrives at the @g20org Summit. He was welcomed by President @jokowi. The Summit will witness extensive deliberations on ways to overcome important global challenges. It will also focus on ways to further sustainable development across our planet. pic.twitter.com/G6dv1RmGue
— PMO India (@PMOIndia) November 15, 2022
प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘शिखर सम्मेलन में महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों से निपटने के तरीकों पर व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया जाएगा. हमारे ग्रह पर सतत विकास को आगे बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा की जाएगी.’
प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से भी बातचीत की.
PM Shri @narendramodi and President @EmmanuelMacron interact during the @g20org Summit in Bali. pic.twitter.com/vE2fqUL2H8
— BJP LIVE (@BJPLive) November 15, 2022
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘एक साथ उभरें, मजबूती से उभरें. इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने जी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया. खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा और स्वास्थ्य सहित समसामयिक वैश्विक चुनौतियों पर आज विस्तृत चर्चा की जाएगी.’
जी20 शिखर सम्मेलन 15-16 नवंबर को आयोजित हो रहा है.
पीएम मोदी ने खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर जी20 वर्किंग सेशन को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैंने बार-बार कहा है हमें कूटनीति के रास्ते से यूक्रेन के युद्ध को रोकना चाहिए.’
भारत को ‘बुद्ध और गांधी की पवित्र भूमि’ के रूप में संबोधित करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि अगले वर्ष जब G20 की बैठक होगी, तो वे पूरी दुनिया को साथ में शांति का एक मजबूत संदेश देंगे.
महामारी के दौरान की समस्याओं के बारे में बात करते हुए, पीएम ने कहा कि भारत ने अपने 1.3 बिलियन नागरिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की है, साथ ही कई देशों को जरूरत के समय खाद्यान्न की मदद भी की है.
पीएम मोदी ने कहा कि सभी G20 देशों को खाद और खाद्यान्न दोनों की आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर और सुनिश्चित बनाए रखने के लिए आपसी समझौता करना चाहिए.
At the @g20org Summit this morning, spoke at the session on Food and Energy Security. Highlighted India’s efforts to further food security for our citizens. Also spoke about the need to ensure adequate supply chains as far as food and fertilisers are concerned. pic.twitter.com/KmXkeVltQo
— Narendra Modi (@narendramodi) November 15, 2022
खाद्यान्न के साथ-साथ पीएम मोदी ने ऊर्जा के सन्दर्भ में भी बात की, उन्होंने कहा ‘भारत स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण के लिए प्रतिबद्ध है. 2030 तक हमारी आधी बिजली नवीकरणीय स्रोतों से पैदा होगी.’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ‘भारत जी-20 अध्यक्षता के दौरान इन सभी मुद्दों पर वैश्विक सहमति के लिए काम करेंगे.
जी20 शिखर सम्मेलन में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने विश्व नेताओं को संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पालन करने और ‘युद्ध’ को समाप्त करने का आह्वान किया. उनका इशारा रूस-यूक्रेन संघर्ष की ओर था.
विडोडो ने कहा, ‘दुनिया के लोगों के प्रति सभी नेताओं की जिम्मेदारी बनती है. जिम्मेदार होने का मतलब संयुक्त राष्ट्र चार्टर का ‘लगातार’ पालन करना है.’
इंडोनेशिया जी20 समूह का वर्तमान अध्यक्ष है. भारत एक दिसंबर से औपचारिक रूप से जी20 की अध्यक्षता संभालेगा.
इंडोनेशिया ने करीब एक साल पहले जी20 की अध्यक्षता संभालते हुए ‘एक साथ उभरें, मजबूती से उभरें’ का नारा दिया था, जो उस समय कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रकोप की मार झेल रही दुनिया के लिए एकदम उपयुक्त था.
हालांकि, आज यह नारा थोड़ा कम प्रासंगिक प्रतीत हो रहा है. खासकर तब, जब रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद विश्व आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है और खाद्य एवं ऊर्जा स्रोतों की कमी का संकट मंडरा रहा है.
जी-20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं.
जी20 वैश्विक आर्थिक सहयोग का एक प्रभावशाली संगठन है. यह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है.
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