नई दिल्ली: केंद्र सरकार के प्रमुख स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम का लाभ उठाने वाले राज्यों में तमिलनाडु सबसे आगे है. उसके बाद केरल और कर्नाटक का नंबर आता है, जो अपने पड़ोसी राज्य के पीछे चलते नजर आ रहे हैं. इसकी खास वजह इन राज्यों में मौजूद मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली है.
मोदीकेयर योजना के रूप में लोकप्रिय आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) एक राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा फंड है जिसमें कम आय वाले समुदाय का स्वास्थ्य बीमा कराया जाता है. यह हर पात्र परिवार को सालाना पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य कवर प्रदान करता है.
आकड़ें बताते हैं कि पीएमजेएवाई के तहत किए गए हर पांच दावों में से एक तमिलनाडु से है. योजना का सबसे बेहतर तरीके से फायदा उठाने वाले पांच दक्षिणी राज्यों में से सिर्फ कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के अनुसार, पीएमजेएवाई के तहत किए गए 3,67,39,1987 दावों में से 67,40,887 या लगभग 18 फीसदी तमिलनाडु से हैं. इसके बाद केरल (44,75,503) और कर्नाटक (34,66,884) आते हैं. इस योजना का सबसे कम फायदा उठाने वाले राज्यों की लिस्ट में सिक्किम (8,543) और अरुणाचल प्रदेश (2,700) सबसे नीचे थे. योजना के लिए सबसे कम दावे (245) केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप से आए थे.
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क्या है इसकी वजह
तमिलनाडु के प्रधान सचिव, स्वास्थ्य, पी. सेंथिल कुमार ने कहा, ‘राज्य में एक स्थापित प्रणाली ने राज्य को केंद्र की पीएमजेएवाई योजना का पूरा इस्तेमाल करने में काफी मदद की है. दरअसल यह मुख्यमंत्री की व्यापक स्वास्थ्य बीमा योजना की वजह से संभव हो पाया, जिसे 2009 में शुरू किया गया था और यह काफी हद तक पीएमजेएवाई के समान है.’
उन्होंने कहा, ‘हमारे पास पहले से ही निजी और सरकारी अस्पतालों का एक पैनल था. हमारे बीमा साझेदार भी बहुत अच्छे रहे हैं.’
तमिलनाडु के स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, राज्य की योजना के चलते कुछ विशेष बीमारियों और उसके इलाज के लिए प्रति परिवार पांच लाख रुपये तक के कवरेज के साथ कैशलेस अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि मौजूदा योजनाओं वाले राज्यों ने कुछ ‘स्पष्ट कारणों’ से बेहतर प्रदर्शन किया है. कर्नाटक में एक आरोग्य कर्नाटक योजना चल रही है जिसमें सूचीबद्ध अस्पतालों में विशिष्ट प्रक्रियाओं को शामिल किया गया था, जबकि केरल में करुणा आरोग्य सुरक्षा पद्धति योजना मौजूद है. गुजरात इस लिस्ट में चौथे नंबर पर है. वहां भी मुख्यमंत्री अमृतम नामक एक योजना चली आ रही है.
दिप्रिंट ने फोन और व्हाट्सएप के जरिए एनएचए के सीईओ आरएस शर्मा से संपर्क किया है. उनकी प्रतिक्रिया मिलने पर इस खबर को अपडेट कर दिया जाएगा.
सितंबर 2018 में केंद्र ने इस योजना को शुरू किया था. इसे लॉन्च करते समय जारी किए गए एक आधिकारिक बयान के अनुसार, ‘योजना का उद्देश्य अस्पताल में भर्ती होने के खर्च को कम करना, अधूरी जरूरतों को पूरा करना और पहचान किए गए परिवारों की गुणवत्तापूर्ण देखभाल और डे केयर सर्जरी तक पहुंच में सुधार करना है.’
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डायलिसिस के सबसे ज्यादा दावे
योजना की शुरुआत के बाद से अब तक 15,96,39,924 आयुष्मान भारत कार्ड जारी किए जा चुके हैं. किए गए दावों में से 63.23 लाख या लगभग 17 फीसदी क्लेम डायलिसिस के लिए किए गए थे. यह इस तथ्य के बावजूद है कि केंद्र 2016 से महंगी प्रक्रिया तक पहुंच को आसान बनाने के लिए एक राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम चला रहा है. इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में निजी क्षेत्र के डायलिसिस को शामिल नहीं किया गया है.
दूसरा सबसे ज्यादा क्लेम कोविड टेस्ट के लिए किया गया था. इसके लिए 40,55,973 दावे किए गए. एनएचए के अधिकारियों का कहना है कि हालांकि क्युमुलेटिव संख्या ज्यादा थी, लेकिन ये आंकड़े ज्यादातर 2020-21 के हैं, जब परीक्षण अब की तुलना में बहुत अधिक महंगे हुआ करते थे और लाभार्थियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कवर किया गया था कि कि जिन्हें भी टेस्ट की जरूरत है वो इसे बिना किसी देरी के करा सकें.
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