नई दिल्ली: ‘कनाडा प्रतिबंधित सिख संगठनों की तरफ से उसके देश में बार-बार किए जा रहे तथाकथित ‘खालिस्तान जनमत संग्रह’ का समर्थन नहीं करता है और न ही उसे मान्यता देता है. वह ‘अखंड भारत’ के पक्ष में है.’ भारत में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरन मैके ने दिप्रिंट से एक खास इंटरव्यू में यह बात कही.
इस साल मार्च में भारत में कनाडा के दूत के रूप में कार्यभार संभालने वाले मैके ने दिप्रिंट को बताया कि इस तरह के तथाकथित जनमत संग्रह को उनके देश में एक ‘निजी गतिविधि’ माना जाता है. कनाडा के कानूनों के अनुसार ‘लोगों को सभा करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है.’
साथ ही उच्चायुक्त ने यह भी कहा कि जस्टिन ट्रूडो सरकार दृढ़ता से ‘अखंड भारत’ के पक्ष में है और उसके लिए भारत के साथ खड़ी है.
मैके की टिप्पणी कनाडा में सिख चरमपंथी समूहों की 6 नवंबर को एक और जनमत संग्रह कराने की योजना बनाने से कुछ दिन पहले आई है. भारत पहले ही कनाडा से ऐसा होने से रोकने के लिए कह चुका है. पिछली बार 19 सितंबर को ब्रैम्पटन, ओंटारियो में एक जनमत संग्रह किया गया था. इसके बाद भारत ने बढ़ती भारत विरोधी घटनाओं और घृणा अपराधों को देखते हुए कनाडा के लिए एक ट्रेवल एडवाइजरी जारी की थी.
मैके ने कहा, ‘कनाडाई सरकार तथाकथित ‘खालिस्तान जनमत संग्रह’ को मान्यता नहीं देती है और न ही उसका समर्थन करती है. कनाडा भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता – एक अखंड भारत- का समर्थन करता है.’
उन्होंने जोर देकर कहा कि कनाडा के सुरक्षा और खुफिया अधिकारी ‘अपने भारतीय समकक्षों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. जब चरमपंथ और आतंकवाद की बात आती है तो भी ये एजेंसी भारत के साथ मिलकर काम करती है.’
उन्होंने कहा कि ओटावा भी कनाडा और भारत के बीच सीमा पार बढ़ते अपराधों को लेकर चिंतित है.
सितंबर में टोरंटो में स्वामीनारायण मंदिर में तोड़फोड़ के मुद्दे पर उच्चायुक्त ने कहा कि कुछ संदिग्धों को पकड़ा गया था. उन्होंने कहा, ‘कनाडा कानून के अनुसार चलने वाला देश है और हम कानून के तहत काम कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘कनाडा और भारत के बीच सीमा पार अपराध के बारे में भी हमारी कुछ चिंताएं हैं. पिछले एक साल में कनाडा में राष्ट्रीय पुलिस बल – रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) से बात करने के लिए भारत से एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने एक आउटरीच के लिए कनाडा का दौरा किया था. आरसीएमपी पिछले हफ्ते यहां एनआईए के साथ प्रशिक्षण अभ्यास पर काम कर रहा था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम एक साथ प्रभावी ढंग से सहयोग कर सकें.’
उन्होंने आगे बताया, ‘हमारे सभी सुरक्षा और खुफिया बलों के बीच दिन-प्रतिदिन सहयोग बना रहा है. आतंकवाद, उग्रवाद और सीमा पार अपराध के खिलाफ एक साथ खड़े होने के मामले में कोई भी कनाडा और भारत को अलग नहीं कर सकता है.’
भारत में 2020 के किसानों के विरोध-प्रदर्शनों पर ट्रूडो की टिप्पणी से दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो गया था. उनकी टिप्पणी को पीएम नरेंद्र मोदी सरकार के प्रति असंतोष पैदा करने के तौर पर देखा गया था. मैके ने कहा, ‘संबंध फिर से पटरी पर आ रहे है. हम इन संबंधों को पहले जैसा ही देखना चाहते हैं. मुझे पूरी उम्मीद है कि भारत सरकार भी ऐसा ही चाहती है. कभी-कभी हमारे जैसे दो बड़े लोकतंत्रों के बीच कुछ तनाव पैदा हो जाता है, इसे हम कूटनीति में अड़चन कहते हैं, जिससे निपटने की जरूरत होती है. हम उसे सुलझाने और बड़े मुद्दों पर ध्यान देने की कोशिश कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘दोनों देशों- कनाडा और भारत- के बीच लोकतंत्र होने और ऐसे देश होने के नाते जो बहुलवाद और कानून के शासन का समर्थन करते हैं, काफी समानता है.’
कनाडा के उच्चायुक्त ने दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते, संयुक्त सैन्य अभ्यास और छात्र वीजा जारी करने में कोविड के बाद के बैकलॉग पर भी बात की.
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कनाडा और भारत जल्द ही अंतरिम व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे
भारत और कनाडा ने इस साल मार्च में काफी समय से लंबित कंप्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (सीईपीए) वार्ता को फिर से शुरू किया है. दोनों पक्ष जल्द ही एक अंतरिम व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने पर सहमत हो गए हैं.
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और उनकी कनाडाई समकक्ष मैरी एनजी के बीच 11 मार्च को फिर से वार्ता शुरू हुई थी.
मैके ने कहा, ‘ये लंबे समय से चली आ रही व्यापारिक वार्ता है … लेकिन पिछले 12 वर्षों की तुलना में इस साल मार्च में हुई दोनों (व्यापार मंत्रियों) के बीच की बातचीत काफी आगे तक गई हैं. लेकिन अभी भी काफी कुछ कवर करना है, बहुत काम करना है.’
उन्होंने कहा, ‘मैं एहतियातन काफी आशावादी हूं. मुझे उम्मीद है कि वे पहले कदम के रूप में किसी तरह के प्रारंभिक प्रगति व्यापार समझौते (ईपीटीए) और फिर सीईपीए के साथ आने में सफल रहेंगे. वह काफी काफी जटिल सौदों पर सहमति बनाने के लिए वार्ता कर रहे हैं और साथ ही कुछ संवेदनशील मुद्दे भी होंगे और यही कारण है कि हम ईपीटीए के नजरिए पर काम कर रहे हैं कि पहले कम विवादास्पद मुद्दों सुलझाने का प्रयास किया जाएगा, जबकि कुछ अन्य मुद्दों पर काफी लंबे समय तक काम करना पड़ेगा.’
मैके ने बताया, ‘कनाडा एकमात्र जी 7 देश है जिसने हर दूसरे जी 7 देश के साथ व्यापार समझौते किए हैं … इसलिए हम जितना संभव हो उतना व्यापक और महत्वाकांक्षी होना चाहते हैं. इनमें से कुछ भारत के लिए नया आधार है, इसलिए मुझे लगता है कि ईपीटीए और बाद में सीईपीए में हम सब किस बात पर सहमत हो सकते हैं, इसे हल करने में थोड़ा और समय लगेगा.’
निवेश की सुरक्षा से संबंधित लंबित सौदे पर उन्होंने कहा, दोनों पक्षों को अभी यह फैसला करना है कि क्या यह बड़े व्यापार सौदे का हिस्सा होगा या एक अलग समझौता होगा.
मैके ने रेखांकित किया कि 51 देशों को कवर करने वाले कनाडा के मौजूदा 15 व्यापार समझौते इसे वैश्विक बाजारों से जोड़ते हैं जो लगभग 1.5 बिलियन उपभोक्ताओं का प्रतिनिधित्व करता है और 67 ट्रिलियन डॉलर का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद, निर्यातकों को वैश्विक अर्थव्यवस्था के 61 प्रतिशत तक प्रेफरेंशियल पहुंच प्रदान करता है.
अधिक संयुक्त सैन्य अभ्यास
कनाडा के उच्चायुक्त के मुताबिक, भारत और कनाडा संयुक्त सैन्य अभ्यास को बढ़ाने के तरीके तलाश रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘कनाडा पूरी तरह से एक इंडो-पैसिफिक देश है और हम एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक में विश्वास करते हैं. कनाडा और भारतीय सेनाएं ऑपरेशन ‘सी ड्रैगन’ (जनवरी में) के जरिए सहयोग कर रही थीं…हम इस रिश्ते को और मजबूत करना चाहेंगे.’
इस साल जनवरी में भारत अमेरिका, कनाडा, जापान, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया की नौसेनाओं में ‘सी ड्रैगन 22’– एक एंटी-सबमरीन युद्ध अभ्यास में शामिल हुआ था.
छात्र वीजा के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘हमारे पास छात्र वीजा आवेदनों पर कोविड के बाद का एक बहुत बड़ा बैकलॉग था … इसका कुछ भारतीय छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा. हम अब उस बैकलॉग से आगे निकल रहे हैं … हम जल्द ही नार्मल प्रोसेसिंग टाइम पर वापस आ जाएंगे.’ साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि 2019 में पूर्व-महामारी के स्तर की तुलना में इस साल वीजा आवेदनों में 55 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
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