नयी दिल्ली, एक नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग (डीएमसी) के पूर्व अध्यक्ष जफारुल इस्लाम खान की वह अपील खारिज कर दी है जिसमें उन्होंने इस पद के लिए वेतन बढ़ाकर दो लाख रुपये प्रति माह करने के 2018 के मंत्रिमंडल के फैसले के तहत फायदे दिए जाने का निर्देश देने का आग्रह किया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रह्मण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि आयोग के पदाधिकारियों का वेतन बढ़ाना निश्चित तौर पर राज्य का नीतिगत फैसला है और अदालतों को तब तक इसमें हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए जब तक कि यह मनमाना न हो।
पीठ ने खान की अपील खारिज कर दी और एकल पीठ के उस फैसले को बरकरार रखा कि उनकी याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
एकल पीठ ने कहा था कि 19 जुलाई 2020 को पद छोड़ने वाले याचिकाकर्ता ने दिल्ली सरकार की 2021 की अधिसूचना को चुनौती नहीं दी है जो कहती है कि संशोधित वेतन अधिसूचना की तारीख से प्रभावी होगा।
उच्च न्यायालय ने कहा कि उसे एकल पीठ के आदेश में कोई गलती नहीं मिली। पीठ ने कहा, ‘‘एक आयोग के पदाधिकारी के वेतन में बढ़ोत्तरी निश्चित तौर पर राज्य का नीतिगत फैसला है और अदालतों को राज्य के नीतिगत फैसलों में तब तक हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए जब तक कि वह मनमाना या अतार्किक न लगे।’’
गौरतलब है कि डीएमसी के पूर्व अध्यक्ष ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि उन्हें समेकित आधार पर वेतन में वृद्धि से जुड़ी अधिसूचना का लाभ नहीं दिया गया और यह गैरकानूनी तथा मनमानी है।
भाषा गोला माधव
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