गाजियाबाद: गेट पर गार्ड के साथ हुई गुस्से की घटनाएं, फिर रोड पर हुई गुस्से की घटनाओं के बाद अब पार्किंग को लेकर गुस्से की घटना. दिल्ली एनसीआर में पिछले कुछ हफ्तों से हम ऐसी कई घटनाएं देख रहे हैं. हाल की घटना है दिल्ली से सटे गाजियाबाद की जहां पार्किंग से जुड़े झगड़े के चलते एक 35 साल के व्यक्ति की हत्या कर दी गई. अरुण सिंह उर्फ वरुण एक किसान और दिल्ली पुलिस से दरोगा की पोस्ट से रिटायर हुए कंवर पाल सिंह के बेटे थे, अरुण सिंह पर बुरी तरह ईंट से वार किए गए जिसके बाद उनकी मौत हो गई.
सड़क पर जाते एक व्यक्ति ने इस घटना का वीडियो बनाया जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. कोई भी अरुण की मदद करने के लिए सामने नहीं आया. वीडियो में देखा गया कि अरुण सड़क पर नीचे पड़े हैं और दो लोग उनके पास खड़े हैं तभी एक आदमी ईंट उठाता है और उनके सिर पर लगातार ईंट से वार करता है.
इस हत्या की खूब चर्चा हो रही है जिसके साथ यह भी कहा जा सकता है कि गाजियाबाद बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है. अरुण की हत्या उनके घर से लगभग 6 किलोमीटर दूर लोनी रोड पर हुई. घटना स्थल पर अब भी गाड़ी के टूटे कांच के टुकड़े मौजूद हैं. घटनास्थल पर किसी तरह के बेरीगेट नहीं लगे थे और जिस ढाबे के बाहर यह घटना हुई वो बंद है. पास के लोगों ने बताया कि मालिक ढाबा बंद करके चला गया है.
घटनास्थल के पास मौजूद दुकानदार और निवासियों ने घटना के बारे में ज्यादा कुछ भी पता होने से इनकार कर दिया है. “यह पहली बार है जब ऐसी घटना हुई है. लोगों में कोई सहनशीलता नहीं बची है.” अपने चार दोस्तों के साथ एक अन्य होटल के बाहर बैठे 54 वर्षीय बिजेंद्र कहते हैं.
सड़क के ठीक सामने, वहीं एक पेड़ के नीचे चारपाई और कुर्सियों पर लोगों का ग्रुप बैठा है. उन्हीं में से एक शख्स कहता है, ‘इस घटना से पूरे इलाके में निराशा फैल गई है.’
पूरा मामला
25 अक्टूबर को अरुण सिंह अपनी पत्नी और दो बच्चों को भाई दूज के लिए मोहन नगर छोड़ने गए थे. वहीं से वह अपने दोस्त दीपक के साथ खाने के लिए निकल गए इस बीच दीपक ने संजय रावत नाम के एक आदमी को भी अपने साथ बुला लिया. दीपक अरुण के ही गांव का रहने वाला है, दोनों पिछले दो महीने से एक साथ जिम जा रहे थे जिसके बाद दोनों की दोस्ती गहरी हो गई. अरुण संजय रावत को नहीं जानता था, संजय की उम्र लगभग 40 साल है और वह एक प्राइवेट नौकरी करता है.
तीनों जब ढाबे पर पहुंचे तो उन्होंने सड़क पर अपनी गाड़ी पार्क कर दी और जब खाकर बाहर लौटे तो देखा एक दूसरी कार इस तरह पार्क की गई है कि अरुण अपनी गाड़ी ( सफेद रंग की सेंट्रो) का दरवाजा नहीं खोल पा रहे हैं, इसी बात को लेकर दूसरी गाड़ी वाले से झगड़ा हो गया, जिसमें अरुण की जान चली गई.
पुलिस अभी तक यह स्थापित नहीं कर पाई है कि क्या यह पार्किंग विवाद था जो हत्या में बदल गया था. गाजियाबाद पुलिस के मुताबिक रात करीब नौ बजे चार-पांच लोगों का एक दल ढाबे पर पहुंचा. भोजनालय के सामने दो समूहों में विवाद हो गया, लेकिन जो हुआ उसका सटीक विवरण अभी तक पता नहीं चल पाया है.
पुलिस अधीक्षक सिटी-2, ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया, ‘हमलावरों का पता लगाने के लिए सात से आठ टीमों का गठन किया गया है. हमने कुछ लोगों को हिरासत में लिया है. यह अपनी तरह का पहला मामला है. इस क्षेत्र में इस तरह की घटनाएं पहले कभी नहीं देखी गईं.’
इस बीच, कुछ सूत्रों का दावा है कि यह पूरी घटना शराब के सेवन से भी जुड़ी है.
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं का एक तेज और तनावपूर्ण महानगरीय जीवन शैली से बहुत कुछ लेना-देना है जो अब शहर से गांवों तक पहुंच गई है.स्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज, नई दिल्ली में एडल्ट एंड जेरियाट्रिक साइकियाट्री के वरिष्ठ सलाहकार डॉ ओम प्रकाश कहते हैं, ‘हम दिन प्रति दिन और अधिक असहिष्णु होते जा रहे हैं. अधिकार की भावना ऐसी समस्याएं पैदा कर सकती है. लोगों को दूसरों के बारे में सोचने की जरूरत है. क्रोध की ये आदतें बाद में मानसिक बीमारी में बदल सकती हैं.’
वहीं टिप्पणीकार संतोष देसांई कहते हैं कि ये मेटेरियल सक्सेस और सोशल मीडिया के एडिक्शन से भी जुड़ा है जिसके वजह से लोगों को लगता है कि जो भी वो कहते हैं और करते हैं वह सही है और वैसा ही होना चाहिए.
लगभग 40-50 पुरुष कुंवर पाल सिंह के घर पर अंतिम सम्मान देने के लिए इकट्ठा हुए थे. वे चारपाई पर बैठे थे और कुंवर पाल सिंह को दिलासा दे रहे थे, सिंह अपने बेटे के लिए न्याय चाहते हैं. वो कहते हैं, ‘मेरा बेटा एक साधारण आदमी था. उसके सिर में ईंट के टुकड़े मिले हैं. हम चाहते हैं कि आरोपी पकड़ा जाए. उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए.’
उनका दावा है कि दीपक और संजय मौके से फरार हो गए. वो कहते हैं, ‘उन्होंने पुलिस को फोन नहीं किया, न ही उन्होंने उसे अस्पताल ले जाने की कोशिश की.’
हालांकि दीपक ने अरुण के परिवार को फोन किया. उसके दो भाई मौके पर पहुंचे, जहां उन्होंने देखा कि वह जमीन पर पड़ा है, खून बह रहा है. तब तक पुलिस भी पहुंच चुकी थी और अरुण को जीटीबी अस्पताल ले जाया गया, जहां पहुंचने पर उसे मृत घोषित कर दिया गया.
अरुण के भाई अनिरुद्ध कहते हैं, ‘उन्होंने इसे खून में लथपथ वहीं छोड़ दिया अगर वे उसे समय पर अस्पताल ले जाते तो उसकी जान बच सकती थीं.’
एडिशनल एसपी ज्ञानेंद्र सिंह कहते हैं, ‘उनके बयान मेल नहीं खा रहे हैं और हम उनसे पूछताछ कर रहे हैं.’
गाजियाबाद पुलिस ने तेला मोड़ थाने में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 427 (नुकसान पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया है.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें-गुजरात के इस कैफे को क्यों पसंद है प्लास्टिक कचरा, वजह जानकर होगा गर्व