चीन के राष्ट्रीय दिवस पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) को ‘बड़े संघर्ष’ के लिए तैयार रहने को कहा. शहीद दिवस पर काराकोरम थिएटर और तिब्बत पर ज़ोर दिया गया. और, क्या चीनी सरकारी मीडिया तिब्बत के लिए नया नाम ‘शीज़ांग’ इस्तेमाल करने जा रही है? भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर का कहना है कि चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हुए हैं. भारत में चीन के राजदूत ने चार प्रस्ताव दिए हैं. ‘चाइनास्कोप’ चीन और दुनिया भर से पिछले व्यस्त सप्ताह की राजनीतिक घटनाओं की खबरें देता है.
पिछले सप्ताह चीन में
इस साल 1 अक्टूबर को चीन के राष्ट्रीय दिवस समारोहों के अलग अर्थ थे क्योंकि सीसीपी की 20वीं कांग्रेस होने ही वाली है. आयोजनों से पहले जिनपिंग ने पार्टी की राजनीतिक विचारधारा की पत्रिका ‘किशि’ में 30 सितम्बर को एक लेख लिखकर अपनी राजनीति की दिशा का संकेत दे दिया. उन्होंने लिखा, ‘कॉमरेड! चीनी राष्ट्र के महान कायाकल्प के लक्ष्य को हासिल करने के हम आज जितने करीब, विश्वस्त और सक्षम हैं उतने इतिहास में कभी नहीं थे.’
शी ने सीसीपी को ‘महान संघर्ष’ की तैयारी करने के लिए कहा.
उन्होंने आगे कहा, ‘महान संघर्ष, महान मकसद और महान सपना आपस में जुड़े होते हैं, और वे आपस में संवाद करते हैं. उनमें, पार्टी के निर्माण की नयी महान परियोजना निर्णायक भूमिका अदा करती है.’
शी और सीसीपी के शीर्ष नेता थ्येन आनमन चौराहे पर राष्ट्रीय दिवस, जिसे शहीद दिवस भी कहा जाता है, के समारोहों में भाग लिया. ‘शिनहुआ न्यूज़’ ने खबर दी कि पूरा आयोजन सांकेतिक का था, जिसमें जिनपिंग ने चीनी जनता की मुक्ति के लिए बहादुरी के साथ अपनी क़ुर्बानी देने वाले सैनिक तथा असैनिक नायकों का सम्मान किया.
राष्ट्रीय दिवस पर स्टेट काउंसिल के भोज में प्रधानमंत्री ली केक्वियांग ने कहा कि जिनपिंग के नेतृत्व में चीन जबर्दस्त आंतरिक तथा अंतर्राष्ट्रीय दबावों के बावजूद आगे बढ़ने को संकलबद्ध है. इस आयोजन में जिनपिंग ने भाषण नहीं दिया.
ताइवान के मामले पर ली ने कहा कि चीन ‘उसके साथ शांतिपूर्ण तथा समन्वित संबंधों’ को आगे बढ़ाएगा, और उसे मुख्यभूमि से फिर से जोड़ने का लक्ष्य हासिल करके रहेगा. ताइवान को मुख्यभूमि से फिर से जोड़ने का लक्ष्य राष्ट्र के महान कायाकल्प के मुख्य लक्ष्यों में शामिल है.
पूरे चीन में लोगों ने ‘गोल्डन’ सप्ताह की छुट्टी के साथ राष्ट्रीय दिवस मनाया. शहीद दिवस पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की सभी शाखाओं ने थिएटर अतीत के सम्मान में तमाम थिएटर कमांडों में समारोह आयोजित किए. राष्ट्रीय दिवस के बारे में खबरें देते हुए सरकारी मीडिया ने लद्दाख के पार काराकोरम को पीएलए के लिए एक उल्लेखनीय बताया. गलवान में हुई टक्कर में चीन की सरकारी सूची के अनुसार जो चार चीनी सैनिक मारे गए थे उन्हें भी याद किया गया.
पीएलए ने राष्ट्रीय दिवस पर भारत को एक और संकेत दिया. शिनजियांग सैन्य जिले की रेड आर्मी डिवीजन ने लद्दाख क्षेत्र में स्पंगुर सो झील के बगल क्विडीजियांगेला चौकी पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया. यह खबर 2 अक्टूबर को ‘पीएलए डेली’ के पहले पन्ने पर प्रकाशित की गई.
क्विडीजियांगेला चौकी को उसके पास की चट्टान पर रंगे गए विशाल चीनी झंडे के कारण जाना जाता है और चीनी सरकारी मीडिया में उस स्थान को ‘पार्टी ध्वज पहाड़’ कहा जाता है.
पीएलए के मीडिया नेटवर्क ने 1 अक्टूबर को एक वीडियो जारी किया जिसमें सीमा गार्डों को सिक्किम के पार गांबा काउंटी की गश्त लगाते हुए दिखाया गया है. पिछले साल सितंबर में जिनपिंग ने गांबा काउंटी में तैनात बटालियन के सैनिकों को पत्र लिखा था और तिब्बत मिलिटरी रीज़न रेजीमेंट की गांबा बटालियन को ‘प्लेटू फ़्रंटियर गार्ड मॉडल कैंप’ नाम दिया था. उस पत्र को अब गामबा जोंग शहर के संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है. पीएलए के एक रिपोर्टर ने गांबा में तैनात सैनिको को जिनपिंग द्वारा भेजा गया पत्र गश्ती गार्ड के साथ सिक्किम सीमा की यात्रा के दौरान दिखाया.
सीसीपी की 20वीं कांग्रेस दो सप्ताह बाद ही होने वाली है और इससे पहले चीनी सरकारी मीडिया ने जोरदार प्रचार शुरू कर दिया है. उसने इस कांग्रेस में भाग लेने जा रहे प्रतिनिधियों की पूरी सूची प्रकाशित कर दी है.
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उस दौरान पीएलए में नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है. पीएलए के मामलों के जानकार, अमेरिका स्थित रॉड ली ने चीन के सैन्य नेतृत्व में परिवर्तन के बारे में कुछ भविष्यवाणी की है.
इस बीच, चीन का सरकारी मीडिया अंग्रेजी के लेखों में, तिब्बत का पिन्यिन नाम ‘शीजांग’ प्रचारित करने की कोशिश कर रहा है. अब तक वह उस क्षेत्र को तिब्बत कहा करता था, जिसे तिब्बती भाषा में ‘बोड’ कहा जाता है. इस परिवर्तन को तिब्बत के चीनीकरण की कोशिश माना जाता है.
‘ग्लोबल टाइम्स’ की खबरों में ‘शीजांग’ नाम का जब-तब जिक्र किया जा रहा है. जनवरी में एक खबर प्रकाशित की गई थी कि चीन तिब्बत की पैंगोंग झील के ऊपर एक पुल बना रहा है, जिसके कारण सीमा पर भारत के साथ तनाव पैदा हो गया है. चाइना मीडिया प्रोजेक्ट के डेविड बाण्डुर्स्कि ने लिखा है कि ‘चीन के दूसरे प्रांतों के मुक़ाबले शीजांग पिछड़ा हुआ है, कि विकास के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण बहुत जरूरी है.’
यह नयी बात नहीं है, चीनी राजनयिकों ने ट्विटर पर तिब्बत को ‘शीज़ांग’ लिखना शुरू कर दिया है. बेलफास्ट में चीन के वाणिज्य दूत झांग मेफांग ने लिखा— ‘पीएलए की शीज़ांग मिलिटरी कमांड के अधीन सैनिकों ने पीआरसी की स्थापना की 73वीं वर्षगांठ पर शनिवार की सुबह झंडोत्तोलन समारोह किया.’
लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि केवल अंग्रेजी के ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने यह शुरू किया है, जबकि ‘चाइना डेली’ और ‘पीपुल्स डेली’ तिब्बत नाम ही लिख रहे हैं. चीनी विदेश मंत्रालय ने ‘शीज़ांग’ नाम का इस्तेमाल 2022 के प्रारंभ से शुरू किया.
परिवर्तन के शुरुआती संकेत तिब्बत के मामले में संपूर्ण परिवर्तन के संकेत दे सकते हैं. अभी ऐसे ठोस सबूत नहीं हैं कि किसी बुनियादी परिवर्तन की शुरुआत कर दी गई है.
चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट की खबरें कुछ समय से आ रही हैं. लेकिन अब रेनमिनबी के नाम से पुकारी जाने वाली मुद्रा युआन ने भी डॉलर के मुक़ाबले रेकॉर्ड गिरावट दर्ज की है. ब्लूमबर्ग ने खबर दी— ‘युआन की कीमत विदेश में डॉलर के मुक़ाबले रेकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई, जबकि देश में इसकी कीमत 2008 के वित्तीय संकट के बाद से इतनी नहीं गिरी थी.’ युआन की गिरावट की दो वजहें हो सकती हैं. अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण हाथ कस रहा है और चीनी अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही है.
दुनिया की खबरों में चीन
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर यूक्रेन युद्ध के मामले में भारत की प्रतिक्रियाओं को लेकर उभरते मतभेदों को दूर करने के लिए पिछले सप्ताह वाशिंगटन डीसी में थे. वहां उन्होंने कहा कि चीन के साथ भारत के संबंधों को सामान्य नहीं कहा जा सकता, जैसा कि भारत में चीन के राजदूत सुन वेईडोंग भी कह चुके हैं. जयशंकर ने कहा, ‘देखिए, मेरा ख्याल है कि अगर किसी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता कुछ कहते हैं तो मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि आप संबंधित देश के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से भी प्रतिक्रिया लीजिए.’
सुन ने इससे पहले कहा था कि ‘गलवान घाटी की वारदात के बाद जो आपात जवाब दिया गया उसके बाद’ और कहा सीमा पर की स्थिति ‘सामान्य’ हो गई है. सुन ने भारत-चीन संबंधों के लिए चार प्रस्ताव भी दिए.
पहला यह कि दोनों देश ‘आपसी समझदारी और भरोसा को बढ़ावा दें’. दूसरा, दोनों की जीत के लिए आपसी सहयोग हो. तीसरा, ‘मतभेदों और संवेदनशील मसलों का उचित निपटारा हो’. चौथा, ‘तालमेल और साझीदारी को मजबूत किया जाए’. ये चारों प्रस्ताव अस्पष्ट हैं, जो चीन पहले भी दे चुका है.
समन्वित समीक्षा के प्रकाशन के बाद ब्रिटेन ने इंडो-पैसिफिक के मामले से अपने आंतरिक जुड़ाव के बारे में राजनयिक समुदाय को संदेश देने की कोशिश की है. अब प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस के नये विदेश मंत्री जेम्स क्लीवर्ली ने एक सार्वजनिक भाषण में यह संदेश देने की कोशिश की है.
सिंगापुर के मिलकेन इंस्टीट्यूट के एशिया सम्मेलन में क्लीवर्ली ने कहा, ‘चूंकि चीन दुनिया में बड़ी भूमिका निभा रहा है और आर्थिक वृद्धि को गति दे रहा है, उसने शब्दशः करोड़ों लोगों को गरीबी से मुक्ति दिलाई है. लेकिन अपने जीवन में चीन को देखते हुए जो सबक सीखा है वह यह है कि जब चीन वैश्विक नियमों और मूल्यों से हट कर रूस जैसे आक्रमणकारी देशों के साथ मिल जाता है तब दुनिया में उसकी हैसियत गिरती है. अब चीन के ऊपर है कि वह किस दिशा में आगे बढ़ता है.’
पिउ रिसर्च सेंटर का जनमत आकलन चीन के बारे में दुनिया के बदलते विचार का विश्वसनीय पैमाना है. पिउ के पिछले सर्वेक्षणों से जाहिर है कि चीन के बारे में दुनिया भर में नजरिया नकारात्मक होता जा रहा है. लेकिन हमें यह नहीं मालूम कि यह नजरिया शी जिनपिंग से किस हद तक जुड़ा है. अब पिउ ने निष्कर्ष दिया है कि जिनपिंग के राज में चीन के बारे में दुनिया के विचार नकारात्मक हुए हैं. स्वीडन और उसके बाद फ्रांस उन देशों की सूची में सबसे ऊपर हैं जहां के लोग जिनपिंग पर ‘एकदम भरोसा नहीं’ करते. रिपोर्ट कहती है कि ‘अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में जब लोगों से पूछ गया कि वे चीन के बारे में सोचते हैं तब उन्हें क्या ख्याल आता है, तो कुछ लोगों ने खासकर जिनपिंग के नेतृत्व का जिक्र किया.’
(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
(लेखक एक स्तंभकार और एक स्वतंत्र पत्रकार हैं जो वर्तमान में स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज. लंदन यूनिवर्सिटी में चीन पर ध्यान केंद्रित करते हुए अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में एमएससी कर रहे हैं. वह पहले बीबीसी वर्ल्ड सर्विस में चीन मामलों के मीडिया पत्रकार थे. वे @aadilbrar से ट्वीट करते हैं. व्यक्त विचार निजी हैं.)
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