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Friday, 22 November, 2024
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‘शहरी नक्सलियों’ ने सरदार सरोवर बांध को रोके रखा, पर्यावरण के नाम पर विकस नहीं होने दे रहे : मोदी

प्रधानमंत्री ने विभिन्न राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों से आग्रह किया कि सुनिश्चित करें कि व्यवसाय को सुगम बनाने या जीवन को आसान बनाने वाली परियोजनाओं को केवल पर्यावरण के नाम पर अनावश्यक रूप से रोका ना जाए.

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अहमदाबाद (गुजरात): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि राजनीतिक समर्थन प्राप्त ‘शहरी नक्सलियों व विकास विरोधी तत्वों’ ने गुजरात में नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध के निर्माण को कई वर्षों तक रोके रखा और यह कहते हुए अभियान चलाते रहे कि यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगा.

प्रधानमंत्री ने विभिन्न राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों से आग्रह किया कि सुनिश्चित करें कि व्यवसाय को सुगम बनाने या जीवन को आसान बनाने वाली परियोजनाओं को केवल पर्यावरण के नाम पर अनावश्यक रूप से रोका ना जाए.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ऐसे ‘शहरी नक्सली’ अब भी सक्रिय हैं और पर्यावरण के नाम पर विकास परियोजनाओं को बाधित करने के लिए विभिन्न संस्थान उनका समर्थन कर रहे हैं.

उन्होंने राज्य सरकारों से ‘ऐसे लोगों की साजिशों से निपटने’ के लिए पर्यावरण संबंधी मंजूरी देने के वास्ते संतुलित दृष्टिकोण अपनाने को कहा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार यानी आज गुजरात में नर्मदा जिले के एकता नगर में राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उद्घाटन किया.

सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘राजनीतिक समर्थन प्राप्त शहरी नक्सलियों व विकास विरोधी तत्वों ने गुजरात में नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध के निर्माण को कई वर्षों तक रोके रखा और यह कहते हुए इसके खिलाफ अभियान चलाते रहे कि यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगा. इस विलंब के कारण भारी धन राशि का नुकसान हुआ. अब जब बांध बनकर तैयार है, तो आप देख सकते हैं कि उनके दावे कितने खोखले थे.’

मोदी ने कहा कि इस परियोजना के पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के दावे के विपरीत, बांध के आसपास का क्षेत्र अब पर्यावरण प्रेमियों के लिए एक ‘तीर्थ क्षेत्र’ बन गया है.

मोदी मशहूर ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ और इस 182 मीटर ऊंचे स्मारक के आसपास बने प्रतिष्ठित पर्यटक आकर्षणों जैसे जंगल सफारी, फूलों की घाटी आदि का जिक्र कर रहे थे.

नक्सलवाद के प्रति सहानुभूति रखने वालों के साथ-साथ कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए कुछ राजनीतिक खेमे अक्सर ‘शहरी नक्सली’ (अर्बन नक्सल) शब्द का इस्तेमाल करते हैं.

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पिछले महीने आरोप लगाया था कि ‘शहरी नक्सलियों’ ने राज्य तथा कच्छ क्षेत्र को पानी व विकास से वंचित करने के लिए सरदार सरोवर बांध के निर्माण का विरोध किया था. उन्होंने सामाजिक कार्यकर्ता एवं ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ की नेता मेधा पाटकर को ‘शहरी नक्सली’ करार दिया था.

प्रधानमंत्री मोदी ने मंत्रियों को आगाह करते हुए कहा कि ये शहरी नक्सली अब भी सक्रिय हैं और पर्यावरण के नाम पर विकास परियोजनाओं को बाधित करने के लिए विभिन्न संस्थान उनका समर्थन कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘ ये लोग न्यायपालिका और विश्व बैंक तक को प्रभावित कर परियोजनाओं को बाधित करते हैं. मैं आप लोगों से आग्रह करता हूं कि ‘व्यवसाय को सुगम बनाने’ या ‘जीवन को आसान बनाने’ वाली परियोजनाओं को केवल पर्यावरण के नाम पर अनावश्यक रूप से न रोका जाए.’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘राज्यों को ऐसे लोगों की साजिशों से निपटने के लिए पर्यावरण संबंधी मंजूरी देने के वास्ते संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए.’

विभिन्न परियोजनाओं को पर्यावरण संबंधी मंजूरी मिलने में विलंब पर नाखुशी जताते हुए मोदी ने कहा कि मंजूरी जल्दी दिए जाने पर ही तेजी से विकास होगा. इसे बिना किसी समझौते के किए जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘करीब छह हजार पर्यावरण संबंधी मंजूरी के आवेदन और करीब 6500 वनीय मंजूरी के आवेदन विभिन्न राज्यों में लंबित हैं. जैसा कि आप सभी को पता है, ऐसे विलंब से परियोजना की लागत बढ़ती है. हम सभी को इसमें लगने वाले समय को कम करने की जरूरत है. केवल जिसकी जरूरत हो, उसे ही लंबित रखा जाना चाहिए.’

उन्होंने कहा कि पर्यावरण मंजूरी देने की प्रक्रिया में तेजी लाना आर्थिक व पर्यावरण दोनों क्षेत्रों के लिए अच्छा होगा.

प्रधानमंत्री ने हाल ही में दिल्ली में बनाई गई ‘प्रगति मैदान टनल’ का जिक्र किया, जिससे वहां यातायात बेहतर हुआ है. उन्होंने कहा, ‘इस टनल का इस्तेमाल करके हर साल वाहन करीब 55 लाख लीटर ईंधन बचा रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘इससे कार्बन उत्सर्जन में 13,000 टन की कमी आई है. इसके लिए अन्यथा छह लाख पेड़ों की जरूरत पड़ती. फ्लाईओवर, सड़कें और रेलवे संबंधी परियोजनाएं कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करती हैं. पर्यावरण संबंधी मंजूरी देते समय इन पहलुओं को भी ध्यान में रखना चाहिए.’

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर वन कर्मियों को प्रशिक्षण देने, जंगल में आग लगने की घटनाओं से निपटने के तंत्र को मजबूत करने, सूखे पत्तों जैसे जंगल के कचरे का उपयोग करके औद्योगिक ईंधन का उत्पादन करने और बेहतर परिणाम के लिए सहभागी एवं एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने पर भी जोर दिया.

उन्होंने राज्यों से खराब एवं पुराने सरकारी वाहनों को कबाड़ में बदलकर केंद्र की वाहन कबाड़ नीति को लागू करने का आह्वान किया, ताकि यह प्रक्रिया शुरू की जाए.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि राज्य, जितना संभव हो सके, अपने सरकारी वाहनों में जैव ईंधन का उपयोग करके जैव-ईंधन नीति को अमल में लाना शुरू करें. हमें नीतियों को अपनाने और उन्हें जमीनी स्तर पर लागू करने की जरूरत है. ईंधन में इथेनॉल मिलाने से किसानों को भी मदद मिलेगी क्योंकि उनके खेत का कचरा उनके लिए आय का स्रोत बन जाएगा.’

मोदी ने राज्यों से संसाधनों के अनुकूल उपयोग वाली अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकोनॉमी) को बढ़ावा देने अपील की, जिससे उनके मुताबिक देश को बेहतर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में और एकल उपयोग वाले प्लास्टिक को खत्म करने में मदद मिलेगी.


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