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Saturday, 23 November, 2024
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‘IIT से पढ़े हुए, देशद्रोह का आरोप’ : कौन हैं BJP MP से उलझने वाले देवघर के IAS, DC मंजूनाथ भजंत्री

झारखंड में कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया है कि भजंत्री एक ‘ईमानदार’ और नियम- कानून मानने वाले प्रशासक हैं, जिनके निलंबन की मांग दुबे ने बार-बार की है.

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नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबी माने जाने वाले देवघर के डिप्टी कमिश्नर मंजूनाथ भजंत्री के बीच एक बड़ा विवाद छिड़ा हुआ है.

दुबे ने दिप्रिंट को बताया कि भजंत्री ने उनके खिलाफ 37 एफआईआर दर्ज की हैं और ‘व्यक्तिगत व राजनीतिक स्तर पर मेरे साथ लड़ाई लड़ रहे हैं’. उधर आईएएस अधिकारी ने जोर देकर कहा कि सभी प्राथमिकी ‘महत्वपूर्ण’ हैं अन्यथा उन्हें रद्द कर दिया जाता.

दोनों के बीच करीब एक साल से चली आ रही लड़ाई तब और तेज हो गई जब भजंत्री ने दुबे, उनके दो बेटों, भाजपा सांसद मनोज तिवारी और अन्य के खिलाफ कथित तौर पर देवघर हवाई अड्डे के हवाई यातायात नियंत्रण (एटीसी) कक्ष से 31 अगस्त को एक चार्टर्ड उड़ान की निकासी के लिए मजबूर करने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई.

दुबे ने दावा किया कि उनके पास सभी जरूरी अनुमतियां थीं और भजंत्री ने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा का उल्लंघन किया है.’ कुछ दिनों बाद दिल्ली पुलिस ने सांसद की शिकायत के आधार पर देशद्रोह और राष्ट्रीय सुरक्षा में हस्तक्षेप करने के लिए आईएएस अधिकारी के खिलाफ ‘जीरो प्राथमिकी’ दर्ज की.

इन एफआईआर के साथ-साथ ट्विटर पर एक-दूसरे पर आरोपों की बौछारों का सिलसिला भी चलता रहा.

दुबे ने पिछले हफ्ते सोरेन के साथ भजंत्री की नजदीकी की ओर इशारा करते हुए ट्वीट किया था, ‘आप मुख्यमंत्री के साथ अपनी चाटुकारिता जारी रखें और खुश रहें.’

भजंत्री ने अपनी ओर से पहले दुबे को चुनौती देते हुए लिखा था, ‘1. आपको एटीसी कक्ष में प्रवेश करने के लिए किसने अधिकृत किया? 2. आपके दो बच्चों को एटीसी कक्ष में प्रवेश करने के लिए किसने अधिकृत किया? 3. आपके समर्थकों को एटीसी बिल्डिंग में प्रवेश करने के लिए किसने अधिकृत किया?

A file photo of BJP leaders Nishikant Dubey (left) and Manoj Tiwari (right) | ANI
भाजपा नेता निशिकांत दुबे (बाएं) और मनोज तिवारी (दाएं) की फाइल फोटो | एएनआई

फिर दुबे ने हवाई अड्डे की घटना से संबंधित एएफआईआर को रद्द करने के लिए भजंत्री के खिलाफ अदालत का रुख किया, जबकि भजंत्री ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) को पत्र लिखकर दुबे के कथित उल्लंघनों के बारे में बताया और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

झारखंड में कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया है कि भजंत्री एक ‘ईमानदार’ और नियम- कानून मानने वाले प्रशासक हैं, जिनके निलंबन की मांग दुबे ने बार-बार की है. उधर भाजपा नेता का दावा है कि उन्हें एक ‘पक्षपातपूर्ण अधिकारी’ द्वारा परेशान किया जा रहा है.

निलंबन की मांग, एफआईआर

आईआईटी-बॉम्बे से बी.टेक स्नातक और एक साधारण ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले मंजूनाथ भजंत्री झारखंड कैडर के 2011 बैच के आईएएस अधिकारी हैं.

उन्हें 2020 के अंत में झारखंड में सर्विस से पहले मोदी सरकार के तहत, राज्य मंत्री, रेल के निजी सचिव और नीति आयोग के उपाध्यक्ष सहित विभिन्न पदों पर प्रतिनियुक्त किया गया था.

भजत्री को देवघर के उपायुक्त और जिला चुनाव अधिकारी (डीईओ) के रूप में नियुक्त किया गया था, वहां उनका सामना गोड्डा निर्वाचन क्षेत्र के लोकसभा सांसद दुबे के साथ हुआ. उनके निर्वाचन क्षेत्र में देवघर, दुमका और गोड्डा जिले आते हैं.

ऐसा लगता है कि अप्रैल 2021 में देवघर जिले में स्थित मधुपुर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के दौरान ही इन दोनों के बीच संघर्ष छिड़ना शुरू हो गया था.

इन चुनावों में भजंत्री ने चुनाव आयोग (ईसी) को एक पत्र भेजा, जिसमें आरोप लगाया गया कि दुबे ने आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन किया है.

छह महीने बाद अक्टूबर 2021 में झारखंड के मुख्य चुनाव अधिकारी ने चुनाव आयोग को सूचित किया कि भजंत्री के इशारे पर दुबे के खिलाफ पांच अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गईं. इनमें चुनाव खत्म होने के महीनों बाद एमसीसी का उल्लंघन शामिल था.

दुबे ने देवघर के डिप्टी कमिश्नर की ‘दुर्भावनापूर्ण मंशा’ का हवाला देते हुए इसकी शिकायत भी की थी.

इसके बाद चुनाव आयोग ने शिकायत दर्ज करने में देरी के कारणों की जांच की. और आखिरकार वह भजंत्री के उस सबमिशन से संतुष्ट नहीं हुए, जिसमें कहा गया था कि ‘अपराध कभी नहीं मरता.’

दिसंबर 2021 में एक विस्तृत आदेश में चुनाव आयोग ने झारखंड सरकार को निर्देश दिया कि वह भजंत्री को डीसी के पद से हटा दें और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करें. इसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास है.

दुबे पर एक एफआईआर, ट्विटर पर भजंत्री के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणी करने से भी संबंधित थी, जिसमें उन्हें ‘झामुमो का एजेंट’ कहा गया था.

चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा, ‘यह आरोप लगाया गया है कि निशिकांत दुबे ने उपरोक्त पोस्ट में लिखा है कि श्री मंजूनाथ भजंत्री चुनावी दौर में झामुमो के एजेंट के तौर पर काम कर रहे थे. इस मामले में एक प्रकार से डीईओ की आलोचना की गई है… और यह आदर्श आचार संहिता के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करती है.’

झारखंड सरकार ने चुनाव आयोग से भजंत्री के बारे में अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की, जिसे बाद में खारिज कर दिया गया. राज्य ने अभी तक भजंत्री के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है, जो देवघर के डिप्टी कमिश्नर बने हुए हैं.

बेशक, यह झगड़े का अंत नहीं था.

इस जुलाई में दुबे ने देवघर में भाजपा की एक रैली के आयोजन स्थल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की एक साथ होर्डिंग लगाने के लिए भजंत्री के निलंबन की मांग की थी.

उन्होंने यह भी ट्वीट किया था कि डिप्टी कमिश्नर ‘गुंडा राज के चरम स्तर पर पहुंच गए हैं.’

नियंत्रण से बाहर हुई लड़ाई

दिप्रिंट से बात करते हुए दुबे ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ सभी प्राथमिकी ‘प्रेरित’ थीं, जबकि भजंत्री ने जोर देकर कहा कि उनमें से हर एक एफआईआर कानूनों के उल्लंघन किए जाने की वजह से दर्ज की गई हैं.

दुबे ने कहा, ‘मैं 2009 में सांसद बना. 2009 और 2020 के बीच, आदर्श आचार संहिता उल्लंघन से संबंधित कुछ शिकायतों को छोड़कर मेरे खिलाफ कोई मामला नहीं था. लेकिन पिछले एक साल में देवघर डीसी ने मेरे और मेरे परिवार के सदस्यों के खिलाफ 37 मामले दर्ज किए हैं.’

उन्होंने बताया, ‘तीन जिले हैं – दुमका, देवघर और गोड्डा – जो मेरे निर्वाचन क्षेत्र गोड्डा के अंतर्गत आते हैं. मेरे खिलाफ दुमका और गोड्डा में एक भी शिकायत नहीं है, देवघर में तीन दर्जन एफआईआर हैं. तो क्या मैं सिर्फ देवघर में विलेन बन जाता हूं?’

हालांकि भजंत्री ने दिप्रिंट को बताया कि दुबे एक ‘आदतन अपराधी’ हैं और अगर मुझे लगेगा कि कानून तोड़े जा रहे हैं तो मैं मामले दर्ज करना जारी रखुंगा.

भजंत्री ने कहा, ‘उन्होंने नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया है. अगर नियम तोड़े गए तो मैं और मेरा प्रशासन शिकायत दर्ज करता रहेगा. उनके खिलाफ दर्ज हर प्राथमिकी सच से जुड़ी है. वह अदालत में जा सकते हैं और उन्हें चुनौती दे सकते हैं. अगर वह एफआईआर किसी से प्रेरित होकर दर्ज कराई गईं हैं तो वह उन्हें रद्द करने की भी मांग कर सकते हैं. मैं अन्य जिलों के बारे में नहीं जानता, लेकिन में कानून का उल्लंघन होते देखूंगा तो कार्रवाई करूंगा.’

दुबे ने दावा किया है कि केंद्र में भजंत्री का साल भर का कार्यकाल अपमान से भरा हुआ था. भाजपा सांसद ने आरोप लगाया, ‘मंजूनाथ भजंत्री केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थे और उन्हें भ्रष्टाचार के लिए रेल मंत्रालय से उनके कैडर में वापस भेज दिया गया था.’

हालांकि, भजंत्री ने इस आरोप को ‘बकवास’ कहकर खारिज कर दिया.

आईएएस अधिकारी ने कहा, ‘मैंने (प्रथम) नीति आयोग के उपाध्यक्ष के निजी सचिव के रूप में कार्य किया. लेकिन मैं एक ऐसे मंत्रालय में सेवा करना चाहता था जिसमें सार्वजनिक-सरकार की भागीदारी अधिक हो. मैंने ऐसे पद की मांग करते हुए पीएमओ को लिखा और मुझे सुरेश अंगड़ी, (तत्कालीन) रेल राज्य मंत्री के पीएस के रूप में तैनात कर दिया गया. वह एक सज्जन व्यक्ति थे. लेकिन उनकी मृत्यु कोविड से हो गई.’

‘रेलवे ने मुझे एक और मंत्री के साथ बने रहने के लिए कहा. लेकिन मैं उनकी (अंगड़ी) की मौत के बाद बहुत दुखी था. मैं जारी नहीं रख सका और अपने कैडर में वापस जाने की मांग की.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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