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Friday, 22 November, 2024
होमदेशअपराधआगरा: क्राइम पेट्रोल से प्रेरित होकर चचेरे भाई ने संजली को ज़िंदा जला दिया 

आगरा: क्राइम पेट्रोल से प्रेरित होकर चचेरे भाई ने संजली को ज़िंदा जला दिया 

आगरा पुलिस का कहना है कि संजली चाणक्य के चचेरे भाई योगेश ने ही उसे मारने की योजना बनाई थी, बाद में खुद उसने भी आत्महत्या कर ली. 

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नई दिल्ली: पिछले गुरुवार को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में 15 साल की संजली चाणक्य की मौत हो गई. संजली को आग लगाने वाले उसके 25 वर्षीय चचेरे भाई योगेश सिंह ने संजली की हत्या के कुछ घंटे बाद ही जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी.

प्रेस कांफ्रेंस में आगरा पुलिस के एसपी अमित पाठक ने बताया कि योगेश इस हत्या की योजना पिछले चार महीने से बना रहा था और ऐसा लगता है कि उसने इसकी प्रेरणा चर्चित टेलीविजन शो क्राइम पेट्रोल से ली थी, जिसे वह आदतन देखता था.

अमित पाठक ने कहा, ‘आग लगाना उसके स्वभाव में शामिल हो चुका था और उसने पहले भी अपने सर्टिफिकेट को जलाया था. वह हत्या के लिए पिछले कुछ महीने से पागल था. उसने इस हत्या की योजना पर बहुत ही बारीकियों से काम किया था.’

संजली के दलित होने से बन रहे जातीय समीकरण को पुलिस ने अपनी जांच में एक अलग एंगल दे दिया है.

अपराध के साथी

प्रथमदृष्टया जो बात सामने आई थी कि लाल रंग की मोटरसाइकिल से दो अज्ञात चालकों ने मंगलवार को संजली पर कालेज से घर लौटते वक्त हमला बोल दिया. जहां एक हमलावर ने संजली पर पेट्रोल छिड़का, वहीं दूसरे ने उसके ऊपर माचिस जला दी.

लेकिन पुलिस ने जब दो लोगों— योगेश के मामा का लड़का विजय और उसके बड़े भाई का साला आकाश को कस्टडी में लेकर पुछताछ की तब पता चला कि घटना के वक्त दो मोटरसाइकिल पर तीन लोग थे.

पहली मोटरसाइकिल विजय चला रहा था और उसके पीछे पेट्रोल और लाइटर लिए योगेश बैठा था. आकाश दूसरी बाइक पर था. अमित पाठक ने बताया, ‘योगेश ने परिवार वालों को इस घटना पर मौन रहने के लिए कहा था. इसके लिए उसने 15 हजार रुपये भी दिए थे.’

मकसद

वाट्सऐप चैट, फोन कॉल, हाथ से लिखे लेटर और संजली के स्कूल से घटनास्थल तक जाने की फोटो को योगेश के फोन में देखकर, पुलिस इस तथ्य पर पहुंची है कि योगेश संजली को कई महीनों से परेशान कर रहा था.

पाठक का कहना है, वह चाहता था कि संजली मॉडलिंग करे लेकिन जब संजली ने मना कर दिया तो वह बहुत गुस्सा हो गया. यहां तक कि योगेश की संजली को मनाने की कुछ बचकानी हरकतों ने उसके संजली के घर जाने पर रोक लगा दी. इस बात को जब पत्रकारों ने पूछा तो दोनों के परिवार वालों ने जवाब देने की जगह चुप्पी साध ली.

संजली के पिता हरेंद्र ने दिप्रिंट को बताया था कि उनकी बेटी स्कूल में अच्छा कर रही थी और आईपीएस बनने के सपने देखती थी. वहीं संजली की मां अनिता ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों परिवारों के बीच कोई झगड़ा नहीं है. लोग बेवजह रिश्तों को तूल दे रहे है.

आत्महत्या और सुराग

संजली के परिवार से वह अकेली नहीं है जिस पर योगेश ने हमला किया हो. संजली के पिता ने दिप्रिंट को बताया कि कुछ महीने पहले जब वह रात 8:30 बजे ऑफिस से घर लौट रहे थे, तब उन्हें भी दो अज्ञात हमलावरों ने पीछे से हमला किया था.

‘चार दिनों तक लगातार सूजन थी. मुझे लगा कि वे केवल छोटे मोटे उचक्के थे. मुझे यह कभी नहीं लगा कि कल को ये मेरी बेटी के साथ भी हो सकता है.’ उस समय तक कोई केस रजिस्टर्ड नहीं हुआ था.

पाठक ने प्रेस को बताया कि संजली के पिता पर हमले का जिम्मेदार योगेश ही था. ‘क्योंकि वह इसे एक मौके की तरह भुनाना चाहता था ताकि संजली के परिवार वालों को लगे कि वह उन्हें बचा रहा है. जिससे उसे उनके घर में घुसने को मिल जाए.’

पहले यह बात भी सामने आयी थी कि घटना के दिन योगेश का फोन सुबह 9 बजे से शाम 4:15 तक स्विच ऑफ था. जिसपर पाठक ने कहा, ‘यह बहुत ही संदेहास्पद है. क्योंकि वह लड़की से बराबर संपर्क में था.’
संजली की मौत के तुरंत बाद ही योगेश की आत्महत्या ने इस घटना में योगेश के किसी तरह जुड़े होने की बात पर पुलिस का शक और बढ़ा दिया था.

प्लान

पाठक ने खुलासा किया कि योगेश ने अपना मोटरसाइकिल इस्तेमाल नहीं किया था बल्कि वह आगरा के लालऊ से 10 किलोमीटर दूर से खरीद कर लाया था.

इसके बाद पुलिस ने जो कि हत्या की जांच के लिए विभिन्न विभागों के 40 अधिकारियों का एक वाट्सऐप ग्रुप बनाई थी, उसके मदद से जब लाइसेंस प्लेट नंबर ट्रैक करना चाहा तो पता चला कि वह बदल दिया गया है.

केवल यही नहीं, पाठक का कहना है, ‘तीनों युवक जब पेट्रोल खरीदने गए थे तो उन्होंने अपनी पोजिशन बदली थी. उन लोगों ने कपड़े बदले, यहां तक कि जूते और अपनी पहचान छिपाने के लिए चेहरे पर मास्क लगा लिया था.’

योगेश ने 1200 के जूते खरीदे और वह इसे मर्डर के बाद फेंकना नहीं चाहता था, इसलिए उसने घटनास्थल की रेकी करने गए इंसान से जूते बदल दिए.

राष्ट्रीय राजमार्ग 39, जहां संजली को जलाया गया था उसका मंगलवार से पहले तीन बार सर्वे (निरीक्षण) किया गया था. एसपी ने बताया कि एक फुलप्रूफ प्लान बनाया गया था और उन लोगों ने मीटिंग स्थल भी ढूंढ लिया था.

संजली को पेट्रोल से जलाने से पहले योगेश ने दस्ताने भी पहन लिए थे जिससे कि कनस्तर पर हाथ के निशान न पड़े. लाइटर जो कि पुलिस के लिए एक अहम सुराग था, वह आम लाइटर नहीं था बल्कि वह घरेलू चूल्हे में इस्तेमाल किया जाने वाला लाइटर था. उसमें से एक योगेश के घर से पाया गाया.

पुलिस ने इस केस को सुलझाने के लिए पेट्रोल पंप पर सड़क की तरफ लगे सीसीटीवी फुटेज की मदद ली.

एसपी अमित पाठक ने बताया, ‘चूंकि यह एक ग्रामीण इलाका है इसलिए सीसीटीवी कैमरे की कमी होने से हमारा काम कठिन हो गया. लेकिन जब हमने पेट्रोल पंप की दुकान पर लगे कैमरे को खंगालना शुरू किया तो शीशे पर पड़ने वाली रिफलेक्शन से बाहर तेल भरवा रहीं मोटरसाइकिलों और कारों के बारे में पता लग गया. वहां से हमने मोटारसाइकिलों के आवागमन का पता लगाया.’

योगेश के घर से बरामद हुआ नोटबुक भी एक अहम सुराग है जिसके कुछ पन्ने गायब थे और उसपर संजली का नाम भी लिखा था. पाठक ने कहा, ‘हमें ब्लैंक सर्टिफिकेट भी मिला है जो कि संजली ने साइकिल के साथ कंपटीशन में जीता था. योगेश को पास यह पाया जाना कोई साधारण सी बात नहीं है.’ योगेश के खिलाफ पहले से कोई आपराधिक रिकार्ड दर्ज नहीं है.

जातीय समीकरण

चूंकि संजली दलित परिवार से आती थी इसलिए भीम आर्मी और अन्य राजनीतिक दलों ने इसे जातीय मुद्दा बनाना चाहा है. भीम आर्मी ने मंगलवार को आगरा बंद का ऐलान कर दिया और इसके चार दिन पहले भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद ने चुनौती देते हुए कहा था, ‘अगर दोषी पकड़े नहीं गए तो हम भारत बंद करेंगे, जैसा कि 2 अप्रैल को किया था.’

इसके कुछ ही घंटे बाद वे भीम आर्मी के 30 सदस्यों के साथ संजली के घर पहुंचे थे. आजाद ने स्थानीय लोगों और प्रेस वालों को संबोधित करते हुए कहा था, ‘मुझे पूरा भरोसा है कि दोषी पकड़े जाएंगे, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो पूरी भीम आर्मी सड़कों पर उतर कर धरना प्रदर्शन करने के लिए तैयार है. अगर किसी को बख्शा गया तो हम उसके साथ नहीं खड़े होंगे.’

आजाद द्वारा किए गए अन्य ट्वीटों में इस बात का आरोप लगाया गया है कि मीडिया और सरकार इस वारदात की ओर ध्यान नहीं दे रही है क्योंकि पीड़िता दलित थी. संजली के हत्यारों को मृत्यु की सजा दिलाने के लिए भीम आर्मी ने छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में जगह-जगह कैंडिल मार्च निकालें.

अनुसूचित जाति राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष और आगरा के सांसद राम शंकर कठेरिया ने पीड़िता के परिवार वालों को दस लाख रुपये देने का मुआवजा देने की घोषणा की.

वहीं 800 से ज्यादा छात्रों ने शनिवार को आगरा के पंचकुइयां आगरा डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ऑफिस के सामने ‘संजली को न्याय दो’ की मांग के साथ मार्च निकाला. उन लोगों का कहना है कि यह प्रदर्शन किसी जाति या समुदाय को लेकर नहीं, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा और मृत संजली के न्याय के लिए है.

(यह रिपोर्ट अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
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