नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कहा कि वह भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) नियमों में प्रस्तावित बदलावों पर विभिन्न पक्षकारों से मिली सूचनाओं पर गौर कर रही है और अभी इस पर फैसला नहीं लिया गया है.
इनमें नौकरशाहों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से संबंधित मामलों पर राज्य के अधिकारों को कम करने का प्रस्ताव है.
मौजूदा नियमों में आईएएस अधिकारियों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर केंद्र तथा राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा परस्पर विचार विमर्श की अनुमति मिली हुई है.
‘पीटीआई’ द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने इस संबंध में राज्यों से मिले पत्रों की प्रतियां साझा करने से इनकार कर दिया.
उसने ‘विश्वासपूर्ण संबंधों’ के कारण ऐसी सूचना के खुलासे से छूट देने वाले पारदर्शिता कानून के एक प्रावधान का हवाला देते हुए राज्य के जवाबों पर उठाए गए कदमों की जानकारियां भी साझा करने से इनकार कर दिया.
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने पिछले साल दिसंबर में भारतीय प्रशासनिक सेवा (काडर) नियमों, 1954 में बदलावों का प्रस्ताव दिया था, जिससे राज्यों से अधिकारियों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति की मांग करने वाले केंद्र के अनुरोध को ठुकराने की शक्तियां छीन ली जाएंगी. उसने राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों से इस पर टिप्पणियां मांगी थीं.
विभाग ने आरटीआई अर्जी पर अपने जवाब में कहा, ‘विभिन्न राज्य काडर/संयुक्त काडर तथा अन्य पक्षकारों से प्रस्ताव पर मिली टिप्पणियां/सूचनाएं अभी विचाराधीन हैं और भारत सरकार ने अभी इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है.’
उसने 29 अगस्त को दिए जवाब में कहा, ‘इसके मद्देनजर, जो सूचना मांगी गयी है वह विश्वासपूर्ण संबंध पर आधारित है और सूचना का अधिकार कानून, 2005 की धारा 8(1) की शर्तों के तहत इसके खुलासे से छूट मिली हुई है.’
विभाग के अधिकारियों ने कहा कि केंद्र में संयुक्त सचिव स्तर तक आईएएस अधिकारियों के घटते प्रतिनिधित्व की प्रवृत्ति देखी गयी है क्योंकि ज्यादातर राज्य केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रिजर्व (सीडीआर) के दायित्वों को पूरा नहीं कर रहे हैं तथा केंद्र में उनके द्वारा प्रायोजित अधिकारियों की संख्या बहुत कम है.
गौरतलब है कि आईएएस अधिकारियों को एक काडर आवंटित किया जाता है जो कोई राज्य या राज्यों का एक समूह या केंद्र शासित प्रदेश होता है. प्रत्येक काडर को सीडीआर की अनुमति दी जाती है ताकि अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर काम करने का अवसर मिले, जिससे उनका अनुभव बढ़ता है.
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने फरवरी में संसद को बताया था कि राज्य केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए पर्याप्त संख्या में अधिकारियों को नहीं भेज रहे हैं और इसके कारण सेवा नियमों में बदलाव करना पड़ रहा है.
अधिकारियों ने बताया कि कम से कम नौ राज्यों ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान ने प्रस्तावित संशोधनों पर आपत्ति जतायी है.
उन्होंने बताया कि ऐसी जानकारी है कि अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा तथा हिमाचल प्रदेश ने अपनी सहमति दे दी है.
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