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Friday, 29 March, 2024
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भारतीय नौसेना के नए झंडे पर छत्रपति शिवाजी की मुहर ने ली औपनिवेशिक काल के सेंट जॉर्ज क्रॉस की जगह

साल 1950 के बाद से यह चौथी बार है जब नौसेना के निशान में बदलाव किया गया है. पीएम ने कहा आज हमने अपने औपनिवेशिक अतीत का परित्याग कर दिया है.

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कोच्चि: भारतीय नौसेना को शुक्रवार को अपना नया ‘भारतीयकृत’ नौसैनिक एनसाइन (निशान) मिला, जिसमें औपनिवेशिक काल के सेंट जॉर्ज क्रॉस को मराठा शासक छत्रपति शिवाजी की शाही मुहर से प्रेरित एक लंगर के ऊपर टिके हुए राष्ट्रीय प्रतीक को शामिल करते हुए एक नीले अष्टकोणीय आकार से बदल दिया गया है.

इस नए एनसाइन (प्रतीक ध्वज) का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोच्चि में भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत की कमीशनिंग (नौसेना में शामिल किये जाने) के दौरान किया गया है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कमीशनिंग सेरेमनी (प्रवर्तन समारोह) में दिए गए अपने संबोधन में कहा, ‘आज हमने अपने औपनिवेशिक अतीत का परित्याग कर दिया है.’

इस सप्ताह की शुरुआत में, प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा था कि नौसेना की यह नया एनसाइन ‘औपनिवेशिक अतीत से दूर … समृद्ध भारतीय समुद्री विरासत के अनुरूप’ होगा.

नौसेना का पुराना एनसाइन सेंट जॉर्ज के क्रॉस का प्रतीक माने जाने वाली क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर लाल धारियों – जिनके इन्टरसेक्शन (मिलने के स्थान) पर भारत का राष्टीय प्रतीक सुपरइम्पोज (अध्यारोपित) किया गया था- के साथ एक सफेद झंडा था. इसके ऊपरी कैंटन में स्टाफ (ध्वजदंड) के ठीक बगल में तिरंगे को स्थान दिया गया था.

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दिप्रिंट ने पहले खबर दी थी नए एनसाइन में एक लंगर का चित्रण करने वाला नवल क्रेस्ट (नौसैनिक ढाल) शामिल है.


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नए नौसैनिक एनसाइन का महत्व

नए नौसैनिक एनसाइन में अब दो मुख्य घटक शामिल हैं – ऊपरी बाएं कैंटन में शामिल राष्ट्रीय ध्वज, और फ्लाई साइड (स्टाफ से दूर) के केंद्र में एक नौसेना नीला-सुनहला अष्टकोण.

यह अष्टकोण जुड़वां सुनहरी सीमा रेखाओं वाला है जो स्वर्णिम राष्ट्रीय प्रतीक (लायन कैपिटल ऑफ अशोक – नीली देवनागरी लिपि में ‘सत्यमेव जयते’ के साथ रेखांकित) को घेरे हुई हैं. यह अष्टकोण एक लंगर के ऊपर टिका हुई और एक ढाल के ऊपर सुपरइम्पोज है.

ढाल के नीचे, अष्टकोण के भीतर, गहरे नीले रंग की पृष्ठभूमि में बने एक सुनहरे बॉर्डर वाला रिबन है, जहां भारतीय नौसेना का आदर्श वाक्य ‘सम नो वरुणः’ सुनहरी देवनागरी लिपि में अंकित है.

अष्टकोण के भीतर शामिल डिजाइन को भारतीय नौसेना के क्रेस्ट से लिया गया है, जिसमें फाउल्ड एंकर (उलझे हुए लंगर), जो औपनिवेशिक विरासत से जुड़ा हुआ है, को भारतीय नौसेना की दृढ़ता को रेखांकित करते हुए एक क्लियर एंकर (सुलझे हुए लंगर) के साथ बदल दिया गया है. अष्टकोणीय आकार का गहरा नीला रंग भारतीय नौसेना की नीले पानी में संचालन करने की क्षमताओं को दर्शाता है.

नौसेना ने अपने एक एक बयान में कहा है कि जुड़वां अष्टकोणीय सीमा रेखाएं शिवाजी महाराज राजमुद्रा या छत्रपति शिवाजी की मुहर से प्रेरणा लेती हैं, जिन्होंने ‘एक ताकतवर नौसैनिक बेड़े का निर्माण किया जिसने उस समय इस क्षेत्र में काम कर रही यूरोपीय नौसेनाओं की तरफ से अनिच्छा से ही सही पर काफी प्रशंसा अर्जित की थी.’

अष्टकोणीय आकार आठ दिशाओं (चार मुख्य दिशाएं और चार अंतर-मुख्य दिशाएं) का भी प्रतिनिधित्व करता है, जो भारतीय नौसेना की वैश्विक पहुंच का प्रतीक है.

नौसेना ने कहा कि अष्टकोण सौभाग्य, अनंत काल, नवीकरण का प्रतीक है और सभी दिशाओं से सकारात्मक ऊर्जा खींचता है.

इसमें कहा गया है, ‘इस प्रकार नौसेना का नया सफेद एनसाइन ‘भारत की गौरवशाली समुद्री विरासत में निहित होने के साथ-साथ हमारी नौसेना की वर्तमान क्षमताओं को भी प्रतिबिंबित करता है.’

वाजपेयी सरकार के दौर सहित चार बार बदला गया है एनसाइन

साल 1950 के बाद से यह चौथी बार है जब नौसेना के एनसाइन में बदलाव किया गया है.

26 जनवरी 1950 को, जब भारत एक गणतंत्र बना यो नौसेना के क्रेस्ट और झंडों का विधिवत ‘भारतीयकरण’ किया गया. हालांकि यूनियन जैक को भारत के तिरंगे से बदल दिया गया था, हालांकि, फिर भी इसके झंडों (एनसाइन और डिस्टिंग्विशिंग फ्लैग्स) में ब्रिटिश विरासत का स्पर्श – लाल सेंट जॉर्ज क्रॉस के रूप में – बरकरार रखा गया.

एक ओर जहां उत्तर-औपनिवेशिक काल के दौरान, अन्य पूर्व-औपनिवेशिक नौसेनाओं ने अपने नए एनसाइन और झंडों में लाल सेंट जॉर्ज क्रॉस को त्याग दिया था, वहीं भारतीय नौसेना ने इसे 2001 तक बरकरार रखा.

आख़िरकार 15 अगस्त 2001 को अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार द्वारा एनसाइन के डिजाइन को बदल दिया गया था और क्रॉस ने भारतीय नौसेना के ध्वज से अपना स्थान खो दिया.

नौसेना के एनसाइन को बदलने का विचार 1970 के दशक की शुरुआत में वाइस एडमिरल विवियन बारबोज़ा की तरफ से आया था. एडमिरल बारबोजा बाद में भारतीय नौसेना से पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में सेवानिवृत्त हुए.

हालांकि, अप्रैल 2004 में – यूपीए सरकार के शपथग्रहण से एक महीने पहले – मूल एनसाइन को कुछ अतिरिक्त बदलावों के साथ फिर से अपना लिया गया था क्योंकि नौसेना के भीतर इस तरह की शिकायतें मिली थीं कि नौसेना के क्रेस्ट का नीला रंग आकाश और समुद्र से अलग नहीं दिखता था. इसके इंटरसेक्शन में भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक को जोड़े जाने के साथ ही एनसाइन को वापस से सेंट जॉर्ज क्रॉस वाले डिज़ाइन में बदल दिया गया.

फिर, साल 2014 में, देवनागरी लिपि में लिखे हमारे राष्ट्रीय आदर्श वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ को शामिल किये जाने साथ एनसाइन, और साथ ही नवल क्रेस्ट को भी, अपग्रेड कर दिया गया था.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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