नई दिल्ली: श्रीलंका में चीनी राजदूत क्यूई जेनहोंग की टिप्पणी पर कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने शनिवार को कड़ी प्रतिक्रिया दी है. भारतीय उच्चायोग ने कहा है कि उनके विचार बुनियादी राजनयिक शिष्टाचार का उल्लंघन है और यह शायद एक व्यक्तिगत विशेषता या एक बड़े राष्ट्रीय रवैए को दर्शाता है.
भारतीय उच्चायोग ने यह भी कहा कि श्रीलंका के उत्तरी पड़ोसी के बारे में क्यूई का दृष्टिकोण उनके अपने देश के व्यवहार जैसे हो सकता है.
लगातार कई ट्वीट्स में उच्चायोग ने श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह के लिए एक चीनी जासूसी पोत पर क्यूई की टिप्पणी का भी जिक्र किया है.
उच्चायोग ने चीन की ऋण-जाल कूटनीति की रिपोर्ट पर टिप्पणी की है और कहा कि ‘अपारदर्शिता और ऋण-चालित एजेंडा अब विशेष रूप से छोटे देशों के लिए एक बड़ी चुनौती है.’
उच्चायोग ने कहा कि अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका को किसी दूसरे देश के एजेंडे को पूरा करने के लिए अनावश्यक दबाव या विवादों की नहीं बल्कि समर्थन की जरूरत है.
उच्चायोग ने ट्वीट किया ‘हमने चीनी राजदूत के बयान पर ध्यान दिया है. बुनियादी राजनयिक शिष्टाचार का उनका उल्लंघन एक व्यक्तिगत विशेषता हो सकती है या एक बड़े राष्ट्रीय रवैये को दर्शाती है. श्रीलंका के उत्तरी पड़ोसी के बारे में उनका दृष्टिकोण उनके अपने देश के व्यवहार से जैसा हो सकता है. भारत, हम उन्हें विश्वास दिलाते हैं, बहुत अलग है. एक कथित वैज्ञानिक अनुसंधान पोत की यात्रा के लिए एक भू-राजनीतिक संदर्भ को थोपना सस्ता बहाना है.’
➡️We have noted the remarks of the Chinese Ambassador. His violation of basic diplomatic etiquette may be a personal trait or reflecting a larger national attitude.(1/3)
— India in Sri Lanka (@IndiainSL) August 27, 2022
आगे लिखा, ‘अस्पष्टता और ऋण-संचालित एजेंडा अब एक बड़ी चुनौती है, खासकर छोटे देशों के लिए. हालिया घटनाक्रम एक चेतावनी है. श्रीलंका को समर्थन की जरूरत है, न कि किसी दूसरे देश के एजेंडे को पूरा करने के लिए अवांछित दबाव या अनावश्यक विवादों की.’
भारत ने पहले चीन के इस टिप्पणियों को खारिज कर दिया था कि उसने कोलंबो पर एक उच्च तकनीक वाले चीनी अनुसंधान पोत की यात्रा को हंबनटोटा बंदरगाह पर स्थगित करने के लिए दबाव डाला था. उसने कहा कि श्रीलंका एक संप्रभु देश है और अपने स्वतंत्र निर्णय लेता है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘हम भारत के बारे में उन बयानों को खारिज करते हैं. श्रीलंका एक संप्रभु देश है और अपने स्वतंत्र निर्णय लेता है.’
बागची ने कहा कि भारत अपने सुरक्षा हितों से जुड़ा सबसे अच्छा फैसला करेगा और यह क्षेत्र की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रख कर होगा, खासतौर से सीमावर्ती क्षेत्रों में.
गौरतलब है कि चीनी राजदूत ने एक बयान में भारत के बारे में प्रतिकूल टिप्पणी की थी. उन्होंने जहाज ‘युआन वांग 5’ की वैज्ञानिक अनुसंधान गतिविधियों के बारे में कहा था कि तथाकथित ‘सुरक्षा चिंताओं’ पर आधारित बाहरी बाधा लेकिन कुछ ‘ताकतों’ के बिना किसी सबूत के श्रीलंका की संप्रभुता और स्वतंत्रता में पूरी तरह से हस्तक्षेप है.
सीलोन टुडे की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रीलंका वर्तमान में आईएमएफ से अपने विदेशी मुद्रा संकट से उबरने के लिए तीन बिलियन अमरीकी डॉलर के ऋण पर बातचीत कर रहा है जबकि ‘जी 7’ देश श्रीलंका के कर्ज के पुनर्गठन पर सहमत हुए हैं.
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