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Wednesday, 20 November, 2024
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गालियां देती और पुरुषों को पीटती महिलाओं के लिए भी खुली है जेल, ये है कानून

कानून के मुताबिक आत्मरक्षा का अधिकार सभी को है. ऐसी स्थिति में पुरुष अगर अपनी रक्षा में महिला के साथ धक्का-मुक्की करता है तो उसके ऊपर कानूनी रूप से कोई मामला नहीं बनेगा.

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नई दिल्लीः श्रीकांत त्यागी ने महिला को धक्का दिया, गालियां दी. पुलिस में शिकायत दर्ज की गई. हो-हल्ला मचा और श्रीकांत त्यागी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा.

इस घटना पर बहस जारी ही थी कि शनिवार को एक और मामला सामने आ गया जिसमें एक महिला भव्या राय सोसायटी के पुरुष गार्ड को गालियां दे रही थी. ऐसी गालियां जो न लिखी जा सकती हैं और न ही सुनी जा सकती हैं. मामला नोएडा के सेक्टर 126 के जेपी विश टाउन सोसायटी का है. सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो में महिला क्षेत्र विशेष का नाम लेकर भी पुरुष गार्ड्स की गरिमा को ठेस पहुंचाने की कोशिश कर रही है. महिला कॉलर पकड़कर गार्ड को खींचती है और सबक सिखाने की धमकी भी देती है.

ऐसी ही एक घटना इसके कुछ दिन पहले आगरा में हुई थी. जहां गार्ड को एक महिला ने डंडों से सरेआम पीटा था. सेना से सेवानिवृत्त उन गार्ड्स का अपराध सिर्फ इतना था कि उन्होंने कुछ कुत्तों को भगाने की कोशिश की थी जो वहां रहने वाले लोगों को परेशान करते थे.

इसी तरह पिछले साल लखनऊ की एक घटना थी जिसमें एक महिला भरी रोड पर सभी के सामने एक कैब ड्राइवर को पीट रही थी और ड्राइवर लगातार यह बताने की कोशिश कर रहा था कि उसकी गलती नहीं है.

कोविड के वक्त में भी एक वीडियो काफी वायरल हुआ था जिसमें एक महिला अपने पति के साथ कार में थी और उसने मास्क नहीं लगा रखा था. उस वक्त अपनी निजी कार में भी दिल्ली में मास्क लगा के रखना कानूनी रूप से अनिवार्य था. लेकिन पुलिस द्वारा पूछे जाने पर महिला उन्हीं से झगड़ा करने लगी और कहने लगी कि जो करना है कर लो. बाद में पुलिसवाले महिला को थाने तो ले गए लेकिन इस वीडियो में भी वे अपना बचाव करते हुए ही दिखे.

ऊपर के इन मामलों में एक बात कॉमन है, वह यह कि तीनों ही पिटने वाले पुरुष सिर्फ और सिर्फ अपना बचाव कर रहे हैं, लेकिन न ही उन्होंने महिला को छुआ है और न ही महिला पर किसी तरह का वार किया है. अपने बचाव के लिए भी नहीं.

तो सवाल यह उठता है कि आखिर अगर एक महिला किसी पुरुष को सार्वजनिक रूप से पीट रही हो तो इन स्थितियों में पुरुष अपने बचाव में क्या कर सकता है. क्या वह उस महिला पर हाथ उठा सकता है या धक्का दे सकता है….


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क्या पुरुष अपने बचाव में कर सकता है हमला

कानून के मुताबिक आत्मरक्षा का अधिकार सभी को है. ऐसी स्थिति में पुरुष अगर अपनी रक्षा में महिला के साथ धक्का-मुक्की करता है तो उसके ऊपर कानूनी रूप से कोई मामला नहीं बनेगा. दिप्रिंट ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के वकील सुशील टेकरीवाल से बात की जिन्होंने बताया कि किसी पुरुष पर अगर कोई महिला हमला करती हो तो वो अपने बचाव यानी आत्मरक्षा में महिला पर हमला भी कर सकता है. ऐसी स्थिति में उसके ऊपर कोई भी मुकदमा या केस नहीं बनेगा.

उन्होंने बताया कि यहां तक कि अगर महिला के हाथ में कोई धारदार हथियार है जिससे पुरुष को गंभीर चोट लगी है या लग सकती है तो वह अपने बचाव में महिला पर हमला भी कर सकता है.

हालांकि, इस मामले में ‘बर्डन ऑफ प्रूफ’ यानी कि अपराध को सिद्ध करने का अधिकार पुरुष पर ही है इसलिए यह काफी महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि इस बात का सबूत मौजूद हो कि महिला ने पहले हमला किया था.

जब उनसे पूछा कि ऐसे मामलों में दोषसिद्धि की दर यानी कि कन्विक्शन रेट कितना है तो उन्होंने कहा कि चूंकि किसी को गाली देना या धक्का-मुक्की करना या थप्पड़ मारना बहुत गंभीर अपराध नहीं है इसलिए ऐसे मामलों में आराम से महिला की ज़मानत हो जाती है.

वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट की एडवोकेट सुमन पाण्डेय का कहना था आईपीसी की धारा 96 से 106 के बीच आत्मरक्षा का अधिकार सभी को दिया गया है जो कि जेंडर न्यूट्रल है, यानी कि इसका जेंडर से कोई लेना-देना नहीं है. ऐसे में अपने बचाव में महिला के हाथ को रोकने की कोशिश की जा सकती है. अपने बचाव में अनचाहे तौर पर किसी महिला को चोट भी लग जाती है तो चूंकि वह बिना महिला को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से और आत्मरक्षा में उठाया गया कदम है इसलिए पुरुष के ऊपर कोई मामला नहीं बनेगा. हालांकि, बेहतर यही होगा कि अपना बचाव करते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज की जाए या कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाए.

लग सकती हैं कौन-कौन सी धाराएं

दिल्ली हाईकोर्ट की एडवोकेट सुमन पाण्डेय का कहना है कि अगर सामान्य चोट है तो महिला के ऊपर आईपीसी की धारा 323 (किसी को जानबूझकर नुकसान पहुंचाने के लिए दंड), जबकि गंभीर चोट होने पर धारा 324 (गैर जमानती अपराध) लग सकता है.

इसके अलावा ऐसे मामलों में महिला के ऊपर आईपीसी की धारा 321 (जानबूझकर किसी को नुकसान पहुंचाना), 355 (गुस्से में या अन्यथा किसी को अपमानित करने के उद्देश्य से उस पर हमला करना या आपराधिक बल का प्रयोग करना), 159 (उपद्रव करना), 160 (उपद्रव करने के लिए सजा) और 504 (किसी भी व्यक्ति को अपमानित करने, गाली देने या किसी अन्य व्यक्ति को धमकी देने के लिए संदर्भित करता है) वगैरह लग सकती है. उनका यह भी कहना है कि ऐसे मामलों में कई महिलाओं को सजा हुई है. धारा 504 सिद्ध होने पर व्यक्ति को 2 साल या अधिक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकता है.


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क्या पुरुष के लिए भी समान है कानून

इस मामले में यह जानना जरूरी है कि पुरुष और महिला के मामले में कानून तो एक है लेकिन उसके व्यावहारिक प्रयोग में कई बार झुकाव थोड़ा अलग होता है. किसी को थप्पड़ मारना, गाली देना या धक्का-मुक्की करना बहुत ही हल्के अपराध की श्रेणी में आता है लेकिन अगर किसी महिला को कोई पुरुष धक्का देता है तो उसके ऊपर गरिमा को ठेस पहुंचाने (Outrage of Modesty of Women) का मामला बन सकता है जो कि संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) है और इन मामलों में ‘बर्डन ऑफ प्रूफ’ यानी दोष को सिद्ध करने भार पुरुष पर ही है यानी कि पुरुष को ही सिद्ध करना पड़ेगा कि पहले महिला ने झगड़ा शुरू किया था.

क्या कर सकते हैं

हालांकि, महिला के साथ धक्का-मुक्की करने के बाद महिला अगर पहले पुलिस को फोन कर देती है तो संज्ञेय अपराध होने के नाते पुरुष के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी और अगर पुरुष भी एफआईआर करता है तो क्रॉस एफआईआर दर्ज होगा जिसके बाद पुलिस मामले की जांच करेगी और उसी के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी. ऐसी स्थिति में बेहतर कदम यह हो सकता है कि अगर कोई महिला किसी पुरुष पर हमला करती है तो वह अपने को बचाते हुए 100 नंबर पर पुलिस को सूचित कर दे ताकि इस बात के प्रमाण रहें कि पुरुष की तरफ से मामला संज्ञान में लाया गया था.


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