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Wednesday, 20 November, 2024
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मोदी सरकार की योजनाएं, मौलिक कर्तव्य और योग : कैसे दिखेंगे DU के नए वैल्यू एडेड कोर्सेज

DU कार्यकारिणी परिषद ने इस साल शुरू किए जाने के लिए VACs की एक सूची को मंज़ूरी दे दी. लेकिन इस सूची की आलोचना हो रही है- ख़ासकर इसलिए कि ये रोज़गार क्षमता को बढ़ावा नहीं देती.

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नई दिल्ली: स्वच्छ भारत, फिट इंडिया, डिजिटल इंडिया, डिजीलॉकर, ई-हॉस्पिटल्स, ई-पाठशाला, भीम, और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत कौशल शिक्षा. नहीं, ये केवल केंद्र सरकार द्वारा की गई पहलक़दमियों की सूची नहीं है. ये दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुछ नए वैल्यू एडेड कोर्सेज (वीएसीज) हैं, जिन्हें बृहस्पतिवार को यूनिवर्सिटी की कार्यकारिणी परिषद ने अपनी मंज़ूरी दे दी.

एग्जिक्यूटिव काउंसिल द्वारा मंजूर कोर्सेज की प्रति जिसे दिप्रिंट ने देखा है, पता चलता है कि इस साल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत यूनिवर्सिटी के चार-वर्षीय प्रोग्राम (एफवाईयूपी) के रूप में शुरू किए गए, और ‘रोजगार क्षमता में वृद्धि’ के नाम पर बढ़ावा दिए गए ये नए कोर्स, उन छात्रों को पेश किए जाएंगे जो हर सेमेस्टर में इनमें से एक को चुन सकते हैं.

ये कोर्स इस शैक्षणिक सत्र से शुरू किए जाएंगे.

डीयू के प्रोफेसर्स ने दिप्रिंट को बताया कि हर कोर्स में दो क्रेडिट्स होंगे और कॉलेज ऐसे 24 विषयों में से जितने चाहें उतने चुन सकते हैं.

डीयू प्रोफेसर्स ने कहा कि विषयों का चयन कॉलेज के अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर और संसाधनों पर निर्भर करेगा.

उपरोक्त विषयों के अलावा, 24 पेपर्स में ‘गांधी और शिक्षा’, ‘सुखी रहने की कला’, ‘वैदिक गणित’, ‘इमोशनल इंटेलिजेन्स’, ‘डिजिटल सशक्तीकरण’, ‘योग’, ‘नैतिकता और संस्कृति’, ‘पंचकोष’, ‘व्यक्तित्व का समग्र विकास’, ‘साहित्य, संस्कृति और सिनेमा’ और ‘अंग्रेजी में भारतीय उपन्यास की पढ़ाई’ आदि शामिल हैं.

डीयू रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने दिप्रिंट को बताया कि इसका फोकस ये है कि छात्रों को उनके करिअर की शुरुआती अवस्था में ही मूल्यों से परिचित करा दिया जाए’.

उन्होंने कहा, ‘विषय सामग्री में भविष्य में बदलाव किए जा सकते हैं. फिलहाल ये सामग्री उपलब्ध उदाहरणों पर आधारित है. ये सामग्री समय के साथ विकसित होती जाएगी’.

लेकिन, वीएसीज के चयन की आलोचना की जा रही है. यूनिवर्सिटी के कुछ प्रोफेसर्स ने दिप्रिंट को बताया कि रोजगार क्षमता को बढ़ावा देना तो दूर, ये कोर्स छात्रों को रोजगार ढूंढ़ने के नजरिए से शिक्षित करने के हिसाब से भी डिजाइन नहीं किए गए हैं.

डीयू की अकादमिक परिषद के एक सदस्य असिस्टेंट प्रोफेसर मिथुराज धूसिया ने उस तरीके पर सवाल खड़े किए, जिससे कोर्स के विषयों के बारे में फैसला किया गया.

उन्होंने कहा, ‘ये कोर्स कैसे तय किए गए? शुरू में व्यक्तिगत विभागों ने अपनी ज़रूरतों के हिसाब से केंद्र द्वारा नियुक्त समिति को वीएसीज के लिए अपने सुझाव दिए थे. इन विषयों का चुनाव व्यक्तिगत विभागों की स्वायत्तता पर छोड़ दिया जाना चाहिए था’.


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कोर्सेज में क्या है

दिप्रिंट द्वारा देखे गए सिलेबस से पता चलता है कि वीएसी कोर्सेज में बहुत सारे उप-विषय हैं. मसलन, ‘गांधी और शिक्षा’ विषय में कौशल के जरिए विकास तथा स्थानीय आवश्यकता-आधारित शिक्षा, एनईपी 2020 में कौशल शिक्षा और गांधी, आत्मनिर्भरता पर गांधी के विचार (स्वावलंबी शिक्षा) तथा समकालीन शिक्षा नीति में इसकी झलक आदि शामिल होगी. कोर्स के व्यावहारिक हिस्से में छात्रों को स्वच्छता मिशन या कौशल शिक्षा के लिए किसी एक जगह को अपनाना होगा.

‘फिट इंडिया’ कोर्स में फिट इंडिया, शारीरिक गतिविधियां, स्वास्थ्य और फिटनेस, और फिटनेस के संकेतकों पर मोदी सरकार की पहलकदमियों का अध्ययन शामिल है. विषय की आवश्यक पढ़ाई की सूची में सरकार की ‘फिट इंडिया’ वेबसाइट भी शामिल है.

‘वैदिक गणित’ के कोर्स के अंतर्गत छात्रों को वैदिक गणित के जरिए जोड़, घटाव और भाग करना सिखाया जाएगा. पेपर के व्यावहारिक हिस्से में छात्रों से ‘वैदिक गणित’ पर कार्यशालाएं आयोजित कराई जाएंगी, जिससे उनके दिमाग से गणित का डर निकाला जा सके.

दिप्रिंट ने जो सिलेबस देखा है उसके अनुसार, ‘स्वच्छ भारत’ के तहत छात्रों को ‘स्वच्छ भारत अभियान के महत्व’ से अवगत कराया जाएगा.

छात्र सभी परिवारों (2014 बनाम 2022) में स्वच्छता कवरेज, तथा खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) गांवों का भी अध्ययन करेंगे. आवश्यक पठन सामग्री में स्कीम पर सरकारी साहित्य शामिल है.

‘संविधान और मौलिक कर्तव्य’ के पेपर में मौलिक अधिकार शामिल नहीं हैं- उसकी बजाय, कोर्स डॉक्युमेंट में कहा गया है कि पेपर का लक्ष्य छात्रों को ये सिखाना है कि ‘रोज़मर्रा के राष्ट्रीय जीवन में बुनियादी मूल्यों और कर्तव्यों की भावना को कैसे लागू किया जाए’.

‘मौलिक कर्तव्यों’ के कोर्स में बहुत से उप-विषय होंगे जैसे ‘धार्मिकता और कर्तव्य चेतना की प्राचीन भारतीय धारणाओं पर चिंतन’, और ‘मौलिक कर्तव्य- अनुच्छेद 51ए [(ए) – (के)] और मौलिक कर्तव्यों की क़ानूनी स्थिति- न्यायिक दृष्टिकोण’ आदि.

प्रोफेसरों की आपत्ति

जिन प्रोफेसरों से दिप्रिंट ने बात की, उनकी दलील थी कि ये कोर्स छात्रों की शिक्षा में कोई मूल्यवर्धन नहीं करते.

एक डीयू के प्रोफेसर और एग्जिक्यूटिव काउंसिल के पूर्व सदस्य राजेश झा ने कहा कि ये कोर्स सरकारी योजनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘प्रोफेसर्स होने के नाते हम चाहेंगे कि हमारे छात्रों को उन मूल्यों के बारे में पढ़ाया जाए, जिन्हें उनकी शिक्षा के साथ जोड़ा जा सके. सिर्फ पढ़ाने के उद्देश्य से मूल्यों को पढ़ाने से ये काम नहीं होगा’.

धूसिया ने भी दिप्रिंट से कहा कि मूल्यों को किसी कोर्स के विषय के साथ जोड़ना होगा.

उन्होंने कहा, ‘ये कोर्स ऐसा नहीं करते. मसलन, साहित्य, संस्कृति और सिनेमा पेपर में दूसरी भाषाओं के सिनेमा को शामिल नहीं किया गया है, यहां विविधता का विचार गायब है. इसे पढ़ने वाला छात्र मानकर चलेगा कि सिनेमा के नाम पर केवल हिंदी सिनेमा है, लेकिन फिर तमिल, तेलुगू और मलयालम सिनेमा का क्या?’

डीयू रजिस्ट्रार गुप्ता इन आरोपों को ख़ारिज करते हैं.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘ये कोर्स छात्रों को जीवन के मूल्य सिखाते हैं. कोर्स की अवधि के दौरान हम इनमें और विषय शामिल करेंगे. ये कोर्स कौशल वृद्धि पर हैं जिनका संबंध छात्रों की रोज़गार क्षमता से है’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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