scorecardresearch
Monday, 25 November, 2024
होमदेशभारत छोड़ो आंदोलन की जन्मभूमि रहा ‘अगस्त क्रांति मैदान’, जिसका अब इसका कायाकल्प किया जा रहा है

भारत छोड़ो आंदोलन की जन्मभूमि रहा ‘अगस्त क्रांति मैदान’, जिसका अब इसका कायाकल्प किया जा रहा है

जैसे-जैसे मुंबई भारत के आर्थिक केंद्र के रूप में उभरती गई, वैसे-वैसे स्वतंत्रता संग्राम में इसकी भूमिका को भुला सा दिया गया. एक नया अगस्त क्रांति मैदान अब इसके इतिहास को फिर से जीवंत बनाएगा.

Text Size:

मुंबई के अगस्त क्रांति मैदान को आजादी के 75वें महोत्सव से पहले और भारत छोड़ो आंदोलन की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 32 करोड़ रुपये का भव्य मेकओवर मिल रहा है. लेकिन उसके लिए पहले नगर निगम को शौचालय ब्लॉक, होर्डिंग और पार्क की गई कारों को रास्ते से हटाना होगा.

तभी इस ऐतिहासिक पार्क में भारत छोड़ो आंदोलन के जन्म को एक प्रस्तावित मेमोरियल वॉल, फ्रीडम ट्रेल और जीर्णोद्धार कार्य के साथ फिर से जीवंत किया जा सकता है.

इसी मैदान में 8 अगस्त 1942 को गांधी ने अंग्रेजों से भारत छोड़ने का आह्वान किया था. उनके शब्द- करो या मरो, हम या तो भारत को आजाद कराएंगे या फिर मर जाएंगे- देश भर में गूंज उठे थे.

और अब 80 साल बाद अगस्त क्रांति मैदान- इसे पुराने समय में गोवालिया टैंक मैदान कहा जाता था- एक नया रूप लेने के लिए तैयार है. SIES कॉलेज ऑफ आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स में इतिहास की विभागाध्यक्ष वर्षा मुले कहती हैं, ‘इतिहास को लोगों के सामने लाने की जरूरत है. मुंबई के हर नुक्कड़ और कोने का इतिहास है. इसे संरक्षित करने की जरूरत है.’

इस परियोजना में मैदान के अंदर बहाली का काम, स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक मेमोरियल वॉल और इसके बाहरी हिस्से के चारों ओर सौंदर्यीकरण किया जाना शामिल है. बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने 2 किलोमीटर लंबे मार्ग या ‘फ्रीडम ट्रेल’ की भी योजना बनाई है. यह रास्ता मैदान से होते हुए गिरगांव चौपाटी पर जाकर खत्म होगा.

हालांकि, भारी बारिश की वजह से योजना पटरी से उतरती नजर आ रही है. बीएमसी के सहायक नगर आयुक्त प्रशांत गायकवाड़ ने बताया, ‘हम 15 अगस्त तक मरम्मत का 50 फीसदी काम पूरा करना चाहते थे, लेकिन बारिश के कारण मामला अटक गया. 15 अगस्त तक बाहरी फुटपाथ और एंट्री तक का काम पूरा हो जाने की उम्मीद है.’


यह भी पढ़ें: ढोल-नगाड़े और मालाएं, मेडल जीतकर भारत पहुंचे खिलाड़ियों का दिल्ली एयरपोर्ट पर जोरदार स्वागत


इतिहास के साथ फिर से जुड़ें

इतिहासकारों का कहना है कि इस तरह की पहल से नई पीढ़ी को मुंबई के इतिहास से खुद को परिचित कराने में मदद मिलेगी.

8 अगस्त 1942 को गांधी जी के भाषण को सुनने के लिए उस समय के गोवालिया टैंक मैदान में 40,000 से ज्यादा लोग इकट्ठा हुए थे. गोवालिया शब्द गाय के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मराठी/गुजराती शब्द से आया है. मालिक अपनी गायों को नहाने के लिए इस तालाब में लाते थे. वो टैंक अभी भी जमीन के नीचे मौजूद है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस टैंक के ऊपर मैदान बनाया गया था.

भारत छोड़ो आंदोलन/फोटो: अर्बन सेंटर मुंबई

बाद में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू होने के महीने के नाम पर इसका नाम बदलकर अगस्त क्रांति मैदान कर दिया गया. मुले ने बताया, ‘जब भारत छोड़ो का आह्वान किया गया, तो आम लोगों ने धार्मिक रूप से प्रतिक्रिया दी.’ उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में कई महिलाओं और छात्रों की भागीदारी देखी गई, जो एक बड़ी बात थी.

9 अगस्त को मैदान में जवाहरलाल नेहरू को भाषण देना था. इसके लिए वहां एक ध्वजारोहण कार्यक्रम तय किया गया था. गांधी को उस शाम शिवाजी पार्क में एक जनसभा को संबोधित करना था. लेकिन 9 अगस्त की तड़के सुबह नेहरू और गांधी सहित INC के कई प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया.

शहर के इतिहासकार और खाखी टूर्स के संस्थापक भरत गोथोस्कर कहते हैं, ‘जब सभी शीर्ष नेता गिरफ़्तार थे, युवाओं और महिलाओं ने उस संघर्ष में काफी साथ दिया. उनके योगदान को सबके सामने लाने की जरूरत है.’ वह मुंबई में हैरिटेज वॉक का आयोजन करते हैं.

भारत छोड़ों आंदोलन/फोटो: अर्बन सेंटर मुंबई

अरुणा आसफ अली, उषा मेहता और अन्य लोगों ने उनके काम को पूरा करने के लिए आगे कदम बढ़ाया. वे एक भूमिगत रेडियो चलाते थे. देशभक्ति से लबरेज जोशीली माहौल में अली ने लाठीचार्ज का सामना करते हुए बड़े साहस के साथ तिरंगा फहराया था.

मुले ने कहा कि उन्होंने जो काम किया, उसे क्लासरूम और लाइब्रेरी तक पहुंचाने की जरूरत नहीं है. “यह (भारत छोड़ो आंदोलन) एक महत्वपूर्ण घटना है, जो यहां (अगस्त क्रांति मैदान) से शुरू हुई. इसलिए इसे एक फिल्म या साउंड एंड लाइट शो के जरिए लोगों से रूबरू कराने की जरूरत है. इसे रोचक तरीके से अंग्रेजी और मराठी भाषाओं में सुनाया जाना चाहिए. न केवल आजादी से पहले बल्कि आजादी के बाद के सीन को भी रिक्रिएट करना होगा.


यह भी पढ़ें: सरकार की PM-JAY स्वास्थ्य योजना के तहत दूसरा सबसे बड़ा खर्च क्या है? सस्ता कोविड टेस्ट!


हर जगह इतिहास

यहां से महज थोड़ी दूर गांधी का आधिकारिक निवास- मणि भवन है. लगभग आधा किलोमीटर दूर गोकुलदास तेजपाल हाउस है, जहां दिसंबर 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई थी.

प्रस्तावित फ्रीडम ट्रेल गिरगांव चौपाटी में जाकर खत्म होती है. वहां लोकमान्य तिलक का अंतिम संस्कार किया गया था. मुंबई का दांडी मार्च भी गिरगांव चौपाटी पर हुआ था. इस सभी जगहों को ट्रैक में शामिल किया जाएगा.

क्विट इंडिया मूवमेंट/ अर्बन सेंटर मुंबई

गोथोस्कर ने बताया, ‘मुंबई ने खिलाफत आंदोलन या भारत छोड़ो आंदोलन जैसे स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ा योगदान दिया है. कई सालों तक अगस्त क्रांति एक आधार बनी रही.’

गोथोस्कर ने परियोजना के लिए बीएमसी को आगे आने के लिए कहा. वह कहते हैं, ‘हम अपने इतिहास से ज्यादा लंदन या पेरिस के बारे में जानते हैं. हम लोगों को यह एहसास दिलाने की कोशिश कर रहे हैं कि हमारे आसपास और भी बहुत कुछ है.’

योजना

आजादी के बाद से अगस्त क्रांति मैदान को खेल के मैदान और मनोरंजन के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है.

अर्बन सेंटर फॉर मुंबई में वास्तुकार और बीएमसी द्वारा अनुबंधित सलाहकार पंकज जोशी के मुताबिक, मैदान को 1972 में अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया था. आज मैदान के छह हिस्से हैं. इसमें बच्चों के लिए एक खेल का मैदान, बुजुर्गों के लिए बैठने की जगह, एक स्मारक और 1970 में एक कमल के शीर्ष वाला स्तंभ खड़ा किया गया था.

परियोजना को दो चरणों में पूरा किया जाएगा. गायकवाड़ बताते हैं, पहले हिस्से में इसके आस-पास के इलाके की साज-सज्जा की जाएगी और किए गए हिस्सों को हटाकर फिर से पूरे मैदान को एक कर दिया जाएगा. यह 14 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा. दूसरे चरण (18 करोड़ रु.) में फ्रीडम ट्रेल पर काम होगा.

पहले चरण में गार्डन के पुराने स्वरूप को बहाल करने के लिए बेसाल्ट पत्थर का इस्तेमाल करके मैदान के आस-पास फिर से फुटपाथ तैयार किया जाएगा. अधिकारियों का कहना है कि अंदर जाने का रास्ता मिट्टी के मैकडैम का होगा.

गायकवाड़ ने कहा कि बीएमसी मौजूदा जल निकासी नेटवर्क में सुधार करने और इस क्षेत्र में भारी बारिश के पानी की निकासी को अपग्रेड करने पर विचार कर रही है, क्योंकि यह एक निचला इलाका है.

फ्रीडम वॉल

दूसरे चरण में फ्रीडम ट्रेल पाथवे पर काम किया जाएगा. इसके लिए बीएमसी ने अपने साथ मुंबई विश्वविद्यालय के इतिहास के प्रोफेसरों को जोड़ा है. ट्रेल में भारत छोड़ो आंदोलन के बारे में सूचना कियोस्क और भित्ति चित्र होंगे.

स्वतंत्रता संग्राम और उसमें शामिल लोगों की जानकारी के साथ मैदान के अंदर फ्रीडम वॉल भी लगाई जाएगी.

यह पाथवे लगभग 3 किमी लंबा होगा. 17 सालों तक मुंबई में गांधी का निवास स्थान रहे मणि भवन और चौपाटी में लोकमान्य तिलक स्मारक जैसे कुछ ऐतिहासिक स्थानों को कवर करेगा.

जोशी के मुताबिक, यह फ्रीडम ट्रेल, बोस्टन के अंतरराष्ट्रीय स्तर के फ्रीडम ट्रेल के अनुरूप होगा.

ट्रेल के दूसरी तरफ इतिहास पैनल होंगे और स्वतंत्रता दिवस सप्ताह के दौरान वहां झंडे लगाए जाएंगे.

जोशी ने कहा, ‘यह 8 से 15 अगस्त के एक सप्ताह को छोड़कर पूरे साल मुंबईकरों के लिए एक खुली जगह होगी. उस दौरान यहां स्वतंत्रता सप्ताह मनाया जाएगा. यहां तक कि ट्रेल भी आम लोगों के लिए पूरे साल खुला रहेगा.’

गायकवाड़ ने कहा कि बीएमसी की कोशिश 26 जनवरी 2023 तक कायाकल्प के ज्यादातर काम को पूरा करने की है. और अब से 18 महीने के भीतर फ्रीडम ट्रेल को भी पूरा कर लिया जाएगा.

दशकों से मुंबई बॉलीवुड की चमक और भारत की आर्थिक शक्ति के केंद्र के रूप में उभरती मुंबई की स्वतंत्रता के संघर्ष में भूमिका धुंधली पड़ती चली गई. इस तरह की पहल इसके इतिहास को फिर से जीवित कर देगी.

(इस फीचर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढें: ‘कुमकुम, लाल कपड़ा और दफनाने के लिए जमीन’: लंपी स्किन डिजिस से कच्छ में मरने वाली गायों को अंतिम विदाई


 

share & View comments