बर्मिंघम, छह अगस्त (भाषा) भारतीय एथलेटिक्स दल ने आधिकारिक रूप से लंबी कूद जजों के उस फैसले को चुनौती दी जिसमें उन्होंने मुरली श्रीशंकर के चौथे प्रयास को फाउल करार कर दिया था जबकि इस एथलीट को लगा था कि इसने उन्हें यहां राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक दिला दिया होता।
रजत पदक विजेता श्रीशंकर ने शुरू में कहा था कि उन्हें लगा कि चौथे प्रयास वाली उनकी वैध कूद काफी ऊंची थी लेकिन इसे नयी ‘लेजर आधारिक तकनीक’ के कारण फाउल करार कर दिया गया। इस तकनीक को खेलों में इस्तेमाल किया जा रहा है।
इस घटना की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने पीटीआई से कहा, ‘‘भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई)ने इस फैसले (चौथी कूद के संबंध में) चुनौती दी थी। श्रीशंकर के पिता और एएफआई के एक शीर्ष अधिकारी वीडियो रैफरी और अन्य अधिकारियों से मिलने गये थे जो वहां मौजूद थे। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन वे (एएफआई अधिकारी) पूरी तरह संतुष्ट थे कि यह कूद फाउल थी। ’’
श्रीशंकर ने कहा था कि वह चौथी कूद को फाउल करार किये जाने से हैरान थे।
उन्होंने वर्चुअल बातचीत में कहा था, ‘‘मैं बहुत हैरान था, आप इसे (चौथी कूद) को फाउल नहीं कह सकते क्योंकि मैंने फाउल बोर्ड को पार नहीं किया था लेकिन उन्होंने (पिट साइड की अधिकारी) ने मुझे सही कूद की पॉजिशन बतायी, मेरे पैर का मूवमेंट भी। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर यह पिछली व्यवस्था होती जो पिछले वर्षों में चलती थी तो इसे फाउल नहीं कहा जा सकता था। ’’
भाषा नमिता मोना
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