नयी दिल्ली, दो अगस्त (भाषा) कैग ने पूरी क्षमता से काम नहीं करने और केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (सीईआरसी) के निर्धारित मानदंडों को हासिल करने में विफल रहने को लेकर एनटीपीसी की इकाई कांटी बिजली उत्पादन निगम लिमिटेड की खिंचाई की है।
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने एक बयान में कहा कि उसने संसद में एक रिपोर्ट पेश की है, जिसमें कांटी बिजली उत्पादन निगम लिमिटेड (केबीयूएनएल) के परिचालन प्रदर्शन, दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) और श्रीनगर लेह ट्रांसमिशन सिस्टम के ताप बिजलीघरों में ईंधन प्रबंधन पर तीन अनुपालन ऑडिट पैरा शामिल हैं।
बिहार राज्य बिजली बोर्ड के बिजली संयंत्र को पुनर्जीवित करने और देश की बिजली आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए केबीयूएनएल की स्थापना की गई थी।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘कंपनी हालांकि, अपने संचालन के 15 वर्षों के बाद भी पूरी क्षमता से काम करने में असमर्थ है और इसके संचालन में बाधा बनी हुई है।’’
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी सीईआरसी द्वारा निर्धारित मानदंडों को हासिल करने में विफल रही।
चरण-2 के तहत परियोजनाओं में देरी हुई, जिसके चलते समय और लागत बढ़ गई। स्वीकृत लागत से वास्तविक लागत 65 प्रतिशत (2,063 करोड़ रुपये) अधिक हो गई।
ताप बिजलीघरों में ईंधन प्रबंधन के बारे में कैग ने कहा कि अधिकतर बिजलीघरों में दैनिक कोयला भंडार की स्थिति कई मौकों पर अत्यधिक गंभीर या गंभीर स्तर तक पहुंच गई थी।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘डीवीसी कोयले की कमी के कारण बिजली पैदा नहीं करने से 739.71 करोड़ रुपये अर्जित नहीं कर सकी। नियमों से परे कोयले के पारगमन और हैंडलिंग के चलते भी 201.92 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। कोयले के उच्च ग्रेड के कारण डीवीसी ने 323.34 करोड़ रुपये का नुकसान का बोझ ग्राहकों पर डाला।’’
मानक से अधिक ईंधन तेल की खपत के कारण डीवीसी को 62.41 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
भाषा पाण्डेय रमण
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