गुवाहाटी: कथित रूप से वेश्यालय चलाने के आरोप में मेघालय भाजपा के उपाध्यक्ष बर्नार्ड मारक की गिरफ्तारी, राज्य के विधानसभा चुनाव से लगभग छह महीने पहले सत्तारूढ़ गठबंधन मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस (एमडीए) में मौजूदा तनाव को दिखा रही है.
पुलिस ने मारक के फार्महाउस पर छापा मारा और कहा कि वह इसे एक वेश्यालय के तौर पर चला रहे थे. यह ऐसे समय में है जब भाजपा पहले से ही मुख्यमंत्री कोनराड संगमा पर निशाना साधने में लगी हुई है. पार्टी जिला परिषदों में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर मई से उनके इस्तीफे की मांग कर रही है. भाजपा ने सीएम पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया है.
इन घटनाक्रमों ने सत्तारूढ़ एमडीए पर असर तो डाला है. 2018 के विधानसभा चुनावों में, जब उनकी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का हिस्सा थी, संगमा ने उस राज्य में अलग से चुनाव लड़ने का फैसला किया था, जहां ईसाई आबादी का तीन-चौथाई हिस्सा है.
हालांकि चुनाव के बाद भाजपा ने संगमा की एनपीपी के साथ गठबंधन बनाने और राज्य में सरकार बनाने में मदद की थी, जबकि यह पार्टी कांग्रेस के बाद दूसरे नंबर पर थी. यह एक क्विड प्रो क्वो (किसी चीज के बदले में दिया गया फायदा) जैसा था. एक साल पहले 2017 में मणिपुर विधानसभा चुनाव में बीजेपी कांग्रेस के बाद दूसरे नंबर पर आई थी. एनपीपी और कुछ अन्य दलों ने तब मणिपुर में सरकार बनाने के लिए भाजपा को समर्थन दिया था.
दोनों सहयोगी दल- एनपीपी और बीजेपी, हाल के दिनों में पूर्वोत्तर में पार्टी के विस्तार के लिए मुकाबला करने में लगे हैं. इस साल फरवरी-मार्च में मणिपुर विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल एनपीपी ने अलग से चुनाव लड़ने का फैसला किया था. विधानसभा में बहुमत हासिल करने वाली भाजपा ने समर्थन की पेशकश के बावजूद एनपीपी को मणिपुर सरकार से बाहर रखने का फैसला किया था. मेघालय में अब बीजेपी कोनराड संगमा के नेतृत्व वाली सरकार पर दबाव बना रही है.
दिल्ली में भाजपा नेताओं के एक वर्ग का मानना है कि संगमा, 2018 की तरह ईसाई-बहुल राज्य में अलग से चुनाव लड़ने का फैसला कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर चुनाव के बाद गठजोड़ की गुंजाइश बनाए रख सकते हैं. यही कारण है कि बीजेपी संगमा को निशाने पर ले रही है और पार्टी का विस्तार करने की कोशिश कर रही है.
मौजूदा समय में मेघालय में सत्तारूढ़ गठबंधन में नेशनल पीपुल्स पार्टी (23 सीटें), यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी या यूडीपी (8 सीटें), पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (4 सीटें), बीजेपी (2 सीटें), हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (2 सीटें) और दो निर्दलीय शामिल हैं. संगमा के नेतृत्व वाली सरकार में भाजपा का एक मंत्री है.
मेघालय पुलिस ने बर्नार्ड मारक के फार्महाउस पर छापा मारा और उसके खिलाफ अनैतिक तस्करी का मामला दर्ज किया. राज्य भाजपा अध्यक्ष अर्नेस्ट मावरी ने इस कदम को मारक के खिलाफ ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ करार दिया.
मावरी ने एक बयान में कहा, ‘मैंने व्यक्तिगत रूप से तुरा और आसपास के इलाकों के जाने-माने व सम्मानित व्यक्तियों से बात की है और इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि श्री बर्नार्ड मारक को अन्यायपूर्ण तरीके से फंसाया गया और बदनाम किया गया है.’ मराक तुरा से जिला परिषद के सदस्य भी हैं.
एनपीपी के नेता उपमुख्यमंत्री प्रेस्टोन तिनसोंग ने दिप्रिंट से कहा कि ‘राजनीतिक प्रतिशोध का सवाल ही नहीं उठता.’
उन्होंने बताया, ‘मारक के मुताबिक सीएम उन्हें मारने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा लगता है मानों वह ये कहकर मामले का राजनीतिकरण करना चाह रहे हैं. यह बिल्कुल निराधार है. पुलिस को अपना काम करने दीजिए.’
वह मारक के इस आरोप की ओर इशारा कर रहे थे जिसमें उन्होंने कहा था कि संगमा ने अपने करीबी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को उन्हें गोली मारने का आदेश दिया है.
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एक ‘कमजोर’ गठबंधन
मई में राज्य भाजपा ने जिला परिषदों में धन के कथित दुरुपयोग की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की थी. वास्तव में मारक ने मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि ‘लोग निराश हैं और कॉनराड संगमा में विश्वास खो चुके हैं.’
यह पूछे जाने पर कि हालिया विवाद से सत्तारूढ़ गठबंधन पर क्या असर पड़ने की संभावना है, डिप्टी सीएम तिनसॉन्ग ने दिप्रिंट को बताया, ‘जहां तक एमडीए सरकार का सवाल है, हमें कोई समस्या नहीं है. सभी साथी बरकरार हैं. जांच पूरी होने तक इंतजार करें.’
राज्य भाजपा प्रमुख मावरी ने दिप्रिंट को बताया कि गठबंधन पर कोई भी फैसला पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व करेगा. ‘हमने सभी रिपोर्ट हाईकमान को भेज दी है, अभी तक इसपर कोई बातचीत नहीं हुई है.’
हालांकि बाद में मावरी ने इन घटनाओं से भाजपा और एनपीपी के बीच ‘तनावपूर्ण संबंध’ होने की संभावनाएं जताई.
राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने की उम्मीद करने वाले राजनीतिक टिप्पणीकार अवनेर मेडन परियाट ने दिप्रिंट को बताया कि भले ही दोनों पार्टियां राज्य स्तर पर ‘एक-दूसरे से लड़ती रहती हैं’ फिर भी वे राष्ट्रीय स्तर पर ‘अच्छे दोस्त’ बने हुए हैं.
उन्होंने आगे कहा, ‘राज्य के लिए फंडिंग का एकमात्र स्रोत केंद्र सरकार है. मुझे नहीं लगता कि यह (बर्नार्ड मारक विवाद) उनके संबंधों को लंबे समय के लिए प्रभावित करेगा. भाजपा बहुत पहले ही बाहर हो सकती थी. यूडीपी भी अब दावा कर रही है कि वे अकेले ही चुनाव लड़ेगी. ऐसा ही विचार तृणमूल कांग्रेस का है. लेकिन (राज्य में) गैर-गठबंधन सरकार के लिए कोई जगह नहीं है.
एक वरिष्ठ राजनेता ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि बीजेपी को राज्य में एनपीपी के समर्थन की जरूरत है.
नेता ने कहा, ‘एनपीपी ने राज्य में भाजपा को मात दी है. मेघालय में अकेले भाजपा कुछ नहीं कर सकती, जो हमने पिछले कई सालों में देखा है. भाजपा के दो विधायक (सनबोर शुलाई और ए.एल. हेक) अपनी लोकप्रियता के आधार पर जीते हैं, न कि पार्टी की.’
यूडीपी के महासचिव जेमिनो मावथोह ने कहा कि दोनों पार्टियों के बीच संबंधों में ‘एक व्यक्ति की वजह से’ खटास नहीं आएगी.
मावथोह ने कहा, ‘हमें इन सभी चीजों को अलग-अलग मामलों में देखना होगा.’ हालांकि उनकी अपनी पार्टी ने मेघालय एनर्जी कॉरपोरेशन लिमिटेड में अनियमितताओं के आरोपों पर अप्रैल में अपने सहयोगी एनपीपी की आलोचना की थी और एक स्वतंत्र जांच की मांग की थी.
उन्होंने कहा, ‘यूडीपी ने समय-समय पर सत्ताधारी सरकार के खिलाफ मुद्दे उठाए हैं, लेकिन जोर ‘स्थिरता’ पर रहा है.’
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2023 के चुनावों पर प्रभाव
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा अगले साल के चुनावों में दक्षिण तुरा से बर्नार्ड मारक को मैदान में उतारने की योजना बना रही है. फिलहाल इस क्षेत्र से कॉनराड संगमा निर्वाचित है, जिन्होंने 2021 के उपचुनाव में ये सीट जीती थी. मारक को पिछले साल गारो हिल्स क्षेत्र का भाजपा का संयोजक नियुक्त किया गया था.
2018 के चुनावों में, मारक ने गारो हिल्स के दो विधानसभा क्षेत्रों से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था. लेकिन उन्हें दोनों में हार का मुंह देखना पड़ा. एक साल पहले, उन्होंने तुरा में एक ‘बीफ पार्टी‘ का आयोजन करने के बाद भाजपा छोड़ दी थी.
वह 2019 में फिर से पार्टी में शामिल हो गए और 2021 में गारो हिल्स ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के चुनावों में एनपीपी के सेमफोर्ड बी संगमा को हराकर तुरा सीट जीत गए. उस जीत ने एक बेल्ट में मारक की बढ़ती लोकप्रियता का संकेत दिया जिसे संगमा परिवार का पॉकेट बोरो माना जाता है. संगमा परिवार ने 1977 से तुरा संसदीय सीट से हर चुनाव जीता है, 1989 को छोड़कर जब कोनराड के पिता पी.ए. संगमा राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने चुनाव नहीं लड़ा था.
एनपीपी के एक नेता ने हालांकि जिला परिषद में मारक की जीत को कमतर आंकते हुए कहा कि लोगों ने जिला परिषद और विधानसभा चुनावों में अलग-अलग मतदान किया.
नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘विधानसभा चुनाव उससे काफी अलग होते हैं. मुख्यमंत्री होने के नाते, कॉनराड राज्य में काफी लोकप्रिय हैं.’
ताजा विवाद सामने आने से पहले ही भाजपा अगला चुनाव अकेले लड़ने की तैयारी करती दिख रही है. मार्च में मणिपुर में भाजपा की जीत के बाद मावरी ने मेघालय के लिए चुनावी बिगुल बजाया है.
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि हमारे राज्य (मेघालय) की जनता के लिए नई सरकार के गठन पर ध्यान देने और भाजपा के लिए तत्पर रहने का समय आ गया है.’
यह पूछे जाने पर कि बर्नार्ड मारक का मुद्दा विधानसभा चुनावों को कैसे प्रभावित कर सकता है, शिलांग के सिनॉड कॉलेज में राजनीति विज्ञान के सहायक प्रोफेसर बट्सखेम मायरबोह ने कहा कि हालांकि राज्य में भाजपा को प्रभावित करने की संभावना नहीं है लेकिन ‘तुरा में, यह पार्टी के लिए अच्छा नहीं होगा.’
उन्होंने कहा, ‘मेघालय में राजनीति बहुत अजीब है… यह हर निर्वाचन क्षेत्र में अलग है.’
विवाद सत्तारूढ़ गठबंधन को तो कमजोर कर ही रहा है, साथ ही यह कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों को- राज्य की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी– को फिर से इकट्ठा होने का एक अवसर भी दे रहा है.
टीएमसी नेता और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता मुकुल संगमा ने कहा कि ऐसी घटनाएं सरकार की विफलता का संकेत हैं. ‘अगर ऐसा हुआ है और यह आगे भी होता रहा तो यह इस बात का संकेत है कि राज्य में जो भी हो रहा है ये उसका छोटा सा हिस्सा है.’
24 जुलाई के एक बयान में कांग्रेस ने एनपीपी और यूडीपी पर ‘पिछले पांच सालों में सरकार के सभी गलत कामों’ को छिपाने की कोशिश करने का आरोप लगाया.
बयान में आगे कहा गया, ‘यह विश्वास करना मुश्किल है कि राज्य के गृह मंत्री, लखमेन रिंबुई और पुलिस को नहीं पता था कि क्या चल रहा है. इसमें और भी बहुत कुछ है जो सामने आना बाकी है. गृह मंत्रालय एक वरिष्ठ सदस्य के पास है, इसे देखते हुए यूडीपी का इस बारे में क्या कहना है.’
बयान में कहा गया, ‘गिरफ्तार भाजपा नेता ने मुख्यमंत्री के खिलाफ आरोप लगाते हुए कहा कि दक्षिण तुरा सागर में भाजपा से हार की संभावनाओं पर निराशा के चलते छापेमारी की गई थी. यह भी एक बड़ा महत्वपूर्ण तथ्य है, इसे भी समझना चाहिए.’
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