नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला से चुनाव कानून संशोधन अधिनियम को चुनौती देने वाली उनकी याचिका के साथ दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने सुरजेवाला को उच्च न्यायालय जाने की छूट दी.
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘चूंकि जनहित याचिका याचिकाकर्ता द्वारा चुनाव कानून संशोधन अधिनियम की धारा 4 और 5 की वैधता को चुनौती देती है, एक प्रभावी वैकल्पिक उपाय उच्च न्यायालय के समक्ष है. हम अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं.’
शीर्ष अदालत में याचिका दायर करते हुए सुरजेवाला ने कहा था कि कार्डों को जोड़ने से ‘नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होता है और यह असंवैधानिक है और संविधान के विपरीत है.’
कांग्रेस नेता ने अपनी याचिका में कहा कि आधार और मतदाता पहचान पत्र का लिंक पूरी तरह से “तर्कहीन” है क्योंकि आक्षेपित संशोधन दो पूरी तरह से अलग दस्तावेजों को जोड़ने का इरादा रखता है, आधार कार्ड निवास का प्रमाण है और ईपीआईसी / मतदाता पहचान पत्र नागरिकता का एक प्रमाण है.
याचिका में कहा गया है कि आधार डेटा को इलेक्ट्रॉनिक इलेक्टोरल फोटो पहचान पत्र डेटा के साथ जोड़ने से मतदाताओं का व्यक्तिगत और निजी डेटा एक वैधानिक प्राधिकरण को उपलब्ध होगा और मतदाताओं पर एक सीमा लागू करेगा, यानी मतदाताओं को अब यह स्थापित करना होगा.
इसने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ के मामले में अपने फैसले में कहा था कि निजता का अधिकार, यानी निजी डेटा को गोपनीय रखने का अधिकार और सरकार या किसी वैधानिक निकाय को उपलब्ध नहीं कराया जाएगा, कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़कर, प्रत्येक नागरिक के लिए एक मौलिक अधिकार की गारंटी है.
सुरजेवाला ने अपनी याचिका में कहा कि कार्डों को जोड़ने से मतदाता निगरानी और मतदाताओं के निजी संवेदनशील डेटा के व्यावसायिक फायदा उठाने की संभावना भी बढ़ सकती है.
बयान में कहा गया है, ‘स्थिति इस तथ्य से और बुर बन जाएगी कि वर्तमान में नागरिकों के डेटा की सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं है.’
चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, वोटर आईडी के साथ आधार को जोड़ने को अधिकृत करता है, जिसे लोकसभा ने दिसंबर 2021 में ध्वनि मत से पारित किया था.
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