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Sunday, 3 November, 2024
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किसानों को गांजे की खेती से कैसे रोका जाए? नकद सहायता रोक सकती है तेलंगाना सरकार

अधिकारी का कहना है कि सरकार किसानों के लिए ये अनिवार्य करने जा रही है कि लोकप्रिय रायतु बंधु योजना के तहत लाभार्थी बनने के लिए उन्हें बताना होगा कि वो क्या उगाने जा रहे हैं.

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हैदराबाद: तेलंगाना सरकार उन किसानों पर कार्रवाई कर रही है जो भांग के पौधों की खेती कर रहे हैं (जिनसे साइकोएक्टिव ड्रग गांजा या चरस निकाली जाती है) और उसने ऐसे सौ से अधिक लोगों की पहचान की है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

इन किसानों को राज्य की लोकप्रिय नकदी सहायता स्कीम ‘रायतु बंधु’ के लाभार्थियों की सूची से निकाल दिया गया है और इन पर स्वापक औषधि और मनःप्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 के तहत मुकदमा कायम किया गया है.

राज्य कृषि विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, ऐसा पहली बार हुआ है कि किसानों को ऐसे आधार पर रायतु बंधु लाभार्थियों की सूची से निकाला गया है. किसानों पर स्वापक औषधि और मनःप्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 के तहत मुकदमा भी कायम किया गया.

तेलंगाना मुख्य सचिव सोमेश कुमार ने पिछले हफ्ते एक राज्य-स्तरीय नार्कोटिक्स समन्वय की अध्यक्षता करने के बाद ऐलान किया था कि राज्य सरकार ने गांजे की खेती करने वाले किसानों के लिए ‘रायतु बंधु’ के फायदों को बंद करने का फैसला किया है. उन्होंने आगे कहा कि ये कदम राज्य में गांजे की खेती और उसके इस्तेमाल के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई का एक हिस्सा है.

राज्य पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एम महेंदर रेड्डी ने, जो उस बैठक में शामिल थे, कहा कि सभी चिन्हित अभियुक्तों पर निवारक नजरबंदी कानून, 1950 के तहत मुकदमा चलाया जाएगा.

राज्य आबकारी आयुक्त सरफराज अहमद ने दिप्रिंट को बताया कि उनकी टीमों ने ऐसे 114 किसानों की पहचान की है जिनपर मुकदमा कायम किया गया है और आगे की कार्रवाई के लिए उनके नामों की सूची राजस्व विभाग को भेज दी गई है.

उन्होंने आगे कहा, ‘114 किसानों की सूची जनवरी 2021 से अप्रैल 2022 तक की है. ये किसान पूरे प्रदेश में फैले हुए हैं. किसी एक जगह पर बड़े पैमाने पर खेती नहीं है, ये बहुत छितरी हुई है. उनमें से कुछ को गांजे के करीब 50 पौधे उगाते हुए पाया गया और कुछ के पास 100 से अधिक पौधे थे. कुछ मामलों में हमने पाया कि उन्होंने खेतों में बाहर की ओर धान उगाया हुआ था और खेत के अंदर छोटी मात्रा में गांजा उगाया था’.

आबकारी विभाग के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि कुछ मामलों में किसानों को पुलिस से मिली खबर के आधार पर पकड़ा गया. ऐसी भी मिसालें हैं जिनमें स्थानीय निवासियों ने गांजा उगाने वालों के खिलाफ पुलिस में शिकायतें दर्ज कराई हैं. जिला प्रशासन ऐसी गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं.

आबकारी आयुक्त अहमद ने बताया कि जहां कुछ किसान हैदराबाद से सटे जिले संगारेड्डी के नारायणखेड़ कस्बे में पकड़े गए, वहीं कुछ दूसरे प्रदेश राजधानी के एक दूसरे पड़ोसी जिले कामारेड्डी से पकड़े गए. उन्होंने आगे कहा कि बाकी का संबंध जयशंकर भूपालपल्ली जिले और नालगोंडा जिले के चित्याला इलाके से है.

अहमद ने कहा, ‘ये जिले हैदराबाद से बहुत दूर नहीं हैं. हमने उनमें (किसानों) से कुछ की पहचान तेलंगाना के उत्तर-पश्चिमी जिलों में भी की है. ये क़वायद तब शुरू की गई जब पिछले साल मुख्यमंत्री ने राज्य में गांजे के खतरे को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया. उनके निर्देशों के बाद हमने उसे जमीनी स्तर से ही खत्म करने का फैसला किया’.

सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्र समिति के विधान परिषद सदस्य और रायतु बंधु समिति अध्यक्ष पल्ला राजेश्वर रेड्डी ने दिप्रिंट को बताया कि गांजे की खेती करने वाले किसानों की पहचान अब एक ‘निरंतर कवायद’ रहेगी.

उन्होंने आगे कहा, ‘विभागों (आबकारी, पुलिस) को निर्देश दिए गए हैं कि उन्हें ऐसी सूचियां नियमित अंतराल पर भेजनी होंगी और उनपर तुरंत कार्रवाई की जाएगी’.


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रायतु बंधु स्कीम केसीआर के दिमाग की उपज

तेलंगाना मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के दिमाग की उपज रायतु बंधु स्कीम, किसानों के लिए एक प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना है, जिसे 2018 में उस साल के प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले शुरू किया गया था.

योजना के तहत सरकार केवल जमीनों के मालिक किसानों- खासकर छोटे और मझोले किसानों को कुछ शर्तों और नियमों के तहत खरीफ और रबी फसलों के सीजन के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराती है. किसानों को हर सीजन के लिए 5,000 रुपए प्रति एकड़ मिलते हैं.

तेलंगाना सरकार अभी तक इस योजना पर लगभग 50,000 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है. सरकारी रिकॉर्ड्स के अनुसार करीब 66 लाख किसान रायतु बंधु लाभार्थी हैं.

हैदराबाद-स्थित सूचना अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता रॉबिन ज़कियस ने दिप्रिंट को बताया, ‘ये स्कीम किसी भी तरह की खेती पर लागू है और इसके लिए सबूत की जरूरत नहीं है. पहले सरकार सभी प्रकार की जमीनों के लिए रायतु बंधु जारी कर रही थी. लेकिन हाल ही में उसने बंजर जमीनों के लिए योजना को वापस ले लिया है’.

सूबे के रायतु बंधु विभाग के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि अभी ये स्पष्ट नहीं है कि ये 114 किसान कितने समय से स्कीम के लाभार्थी बने हुए थे: ‘हम अभी उतने विस्तार में नहीं गए हैं’.

उन्होंने आगे कहा, ‘ये भी है कि स्कीम का फायदा उठाने के लिए किसी को भी सिर्फ अपनी खेती की जमीनों के मालिकाना हक का सबूत देना होता था, ये बताना अनिवार्य नहीं था कि वो किस तरह की फसल उगा रहे हैं. इसलिए वो भी एक कारण हो सकता है जिससे किसान स्कीम से लाभान्वित हो रहे थे’.


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अनिवार्यता की शर्त

राज्य कृषि विभाग के एक और अधिकारी ने, नाम छिपाने की शर्त पर कहा कि सरकार किसानों के लिए अनिवार्य करने पर विचार कर रही है, कि रायतु बंधु लाभार्थी बनने के लिए उन्हें बताना होगा, कि वो कौन सी फसल उगा रहे हैं.

अधिकारी ने आगे कहा, ‘ऐसा पहली बार हुआ है कि लाभार्थियों को सूची से हटाया गया है. विभाग इस पर पिछले साल से विचार कर रहा था, और इसे लेकर कई दौर की बैठकें भी हो चुकी हैं. पहली सूची (जनवरी 2021 से जनवरी 2022 तक) हमें मार्च में भेजी गई थी. अपडेट की हुई एक और सूची हमें मई में भेजी गई जिसमें 114 किसानों के नाम थे. ज़िला कलेक्टरों ने भी इस विषय पर लिखकर प्रकाश डाला था’.

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में छोटे और मझोले किसानों के साथ काम करने वाले एक किसान संगठन, रायतु स्वराज्य वेदिका के सह-संस्थापक किरन विस्सा की राय थी कि गांजे की खेती बहुत व्याप्त नहीं है, और ये बहुत छितरी हुई है.

विस्सा ने दिप्रिंट को बताया, ‘अपने फील्ड दौरों के दौरान हमें महबूबनगर में ऐसे दो मामले मिले. एक मामले में, गांजे के पौधे बस खेतों की मेढ़ों पर पाए गए, खेत के अंदर नहीं, और किसान ने दावा किया कि उसे बिल्कुल पता नहीं था कि उसकी मेढ़ों पर वो पौधे कैसे उग आए. एक और मामले में, किसान ने ऐसे तीन पौधे अपने घर में उगा रखे थे. वो इन्हें क्यों उगा रहे हैं इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं है, और ये भी नहीं कहा जा सकता कि इस समय इसकी खेती बहुत व्याप्त है’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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