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Friday, 22 November, 2024
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LAC पर नजर, चीन की भारत के दावे वाले अक्साई चिन से होते हुए हाईवे बनाने की योजना

एक्सप्रेसवे एलएसी के हॉट स्प्रिंग्स, देपसांग मैदानों और गलवान घाटी जैसे हिसंक झड़प वाले विवादित क्षेत्रों के पास से भी होकर गुजर सकता है.

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नई दिल्ली: भारत के साथ दो साल से चल रहे सीमा गतिरोध के बीच, चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास एक नया राजमार्ग बनाने जा रहा है. यह हाईवे अक्साई चिन के विवादित क्षेत्र और पूर्वी लद्दाख में मौजूदा हिंसक झड़प वाले क्षेत्रों से भी होकर गुजर सकता है.

चीन के इस कदम ने भारतीय रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान का चौकन्ना कर दिया है जो घटनाक्रम पर पैनी नजर बनाए हुए है.

नियोजित राजमार्ग शिनजियांग प्रांत को तिब्बत से जोड़ेगा. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क संपर्क से क्षेत्र में चीन का रणनीतिक संपर्क बढ़ जाएगा लेकिन यह भारत के लिए चिंता का विषय होगा.

G695 राष्ट्रीय एक्सप्रेसवे के रूप में जाना जाने वाला यह राजमार्ग चीन के नए राष्ट्रीय कार्यक्रम में प्रस्तावित 345 निर्माण योजनाओं में से एक है. जिसका लक्ष्य 2035 तक कुल 461,000 किलोमीटर राजमार्ग और मोटरमार्ग का निर्माण करना है.

हाईवे, चीन को जरूरत पड़ने पर एलएसी पर सैनिकों को तेजी से तैनात करने और आगे बढ़ने में कारगार साबित होगा. एलएसी पर तैनात पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों के लिए आसान प्रबंधन भी सुनिश्चित करने में सहायक रहेगा.

भारतीय रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि उन्होंने रिपोर्ट देखी है और घटनाक्रम पर उनकी नजर बनी हुई है. उन्होंने बताया कि चीन एलएसी और उसके आस-पास के इलाके में जिस बड़े बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है, हाईवे उस योजना की ही एक हिस्सा है.

उन्होंने कहा कि भारत ने भी अपनी सीमा के आस-पास बुनियादी ढांचे का निर्माण तेज कर दिया है. इस योजना में नई सड़कों और सुरंगों के अलावा अन्य कई विकास के काम शामिल हैं जो सीमावर्ती गांवों के जीवन को आसान बना देंगे और सैनिकों की गतिविधियों में तेजी लाने में भी मददगार साबित होंगे.

G695 अक्साई-चिन क्षेत्र में चीन द्वारा बनाए जाने वाला दूसरा राजमार्ग होगा. पहला हाईवे G219 है जिसे 1955 में पूरा किया गया था. G695 के निर्माण का निर्णय चीन में एलएसी के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों पर अपनी कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए लंबे समय से चली आ रही चर्चा और बातचीत पर विराम लगाता है.

रिपोर्ट के अनुसार, प्रस्तावित हाईवे ‘दक्षिणी तिब्बत के कोना काउंटी से होकर गुजर सकता है. यह क्षेत्र एलएसी पर विवादित भारत-तिब्बत सीमा के ठीक उत्तर में स्थित है.’ साथ ही यह चीन के एक महत्वपूर्ण सैन्य शिविर कंबा काउंटी और नेपाल सीमा के पास ग्यारोंग काउंटी से भी होकर गुजरेगा.

हालांकि इसका विवरण अभी स्पष्ट नहीं हैं लेकिन कहा जा रहा है कि राजमार्ग हॉट स्प्रिंग्स, देपसांग मैदान और गलवान घाटी जैसे उन क्षेत्रों के पास से भी होकर गुजर सकता है जो 24 महीने से अधिक समय से भारत-चीन सीमा गतिरोध के बीच हिंसक झड़प का केंद्र बने रहे हैं. वह गलवान घाटी ही थी जहां 2020 में भारत और चीन दोनों के सैनिक आपस में भिड़ गए था. इस संघर्ष में दोनों पक्षों के कई सैनिकों की जान गई थी.

पिछले रविवार को भारत और चीन ने एलएसी पर गतिरोध का समाधान खोजने के लिए कोर कमांडर वार्ता के 16वें दौर की बातचीत की लेकिन यह बिना किसी तत्काल समाधान के साथ खत्म हो गई थी. दोनों ही देशों ने इस बात पर जोर दिया कि बातचीत के जरिए जल्द ही विवाद का हल निकाला जाना चाहिए. एक संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने खुलकर अपने विचार रखे और इसके अलावा दोनों देश संपर्क में रहने और राजनयिक माध्यमों की मदद से बातचीत बनाए रखने और शेष मुद्दों को पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर जल्द से जल्द काम करने पर सहमत हुए.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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