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Sunday, 22 December, 2024
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महाराष्ट्र राजनीतिक संकट में सुप्रीम कोर्ट ने सुनी शिंदे और ठाकरे गुटों की दलीलें

शिंदे कैंप की एक और ठाकरे खेमे की पांच याचिकाएं अयोग्यता कार्यवाही, अध्यक्ष के चुनाव, व्हिप की मान्यता, फ्लोर टेस्ट और अन्य से जुड़ी हैं.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना पार्टी के नियंत्रण और महाराष्ट्र में हालिया राजनीतिक संकट से जुड़े पार्टी के दोनों खेमों द्वारा दायर याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई शुरू की.

इस संकट के कारण राज्य में महाविकास अघाड़ी (कांग्रेस-शिवसेना-एनसीपी) सरकार को गिर गई थी.

एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे खेमों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और हेमा कोहली की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि समय कोई मुद्दा नहीं है लेकिन कुछ मसले अहम संवैधानिक मुद्दे हैं जिन्हें सुलझाया जाना चाहिए.

शिंदे कैंप की एक और ठाकरे खेमे की पांच याचिकाएं अयोग्यता कार्यवाही, अध्यक्ष के चुनाव, व्हिप की मान्यता, फ्लोर टेस्ट और अन्य से जुड़ी हैं.

उद्धव ठाकरे के खेमे का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगर इस मामले को स्वीकार किया जा सकता है तो इस देश की हर चुनी हुई सरकार को गिराया जा सकता है.

सिब्बल ने कहा, ‘अगर 10वीं अनुसूची के तहत पाबंदियों के बावजूद राज्य सरकारों को गिराया जा सकता है तो लोकतंत्र खतरे में है.’

इस बीच, एकनाथ शिंदे कैंप के वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि अयोग्यता की कार्यवाही से आंतरिक पार्टी लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया है. उन्होंने ठाकरे खेमे द्वारा दायर याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है और अगले हफ्ते तक सुनवाई स्थगित करने को कहा है.

सिब्बल ने दलील देते हुए कहा, ‘शिवसेना के चालीस सदस्यों को उनके आचरण से पार्टी की सदस्यता छोड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया गया है. आधिकारिक व्हिप के उल्लंघन में बीजेपी द्वारा अध्यक्ष के रूप में पेश किए गए उम्मीदवार के लिए मतदान करके, उन्होंने अयोग्यता को आकर्षित किया है. आधिकारिक व्हिप का उल्लंघन कर विश्वास मत में मतदान करके उन्हें अयोग्य ठहराया गया है.

उन्होंने आगे कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट मामलों की सुनवाई कर रहा था तो राज्यपाल को नई सरकार को शपथ नहीं दिलानी चाहिए थी.

उन्होंने कहा, ‘पार्टी द्वारा नामित आधिकारिक व्हिप के अलावा किसी अन्य व्हिप को मान्यता देना दुर्भाग्यपूर्ण है.’

सिब्बल ने कहा कि राजनीतिक दल का मुद्दा ही सवालों के घेरे में है. जब अयोग्य सदस्य किसी व्यक्ति का चुनाव करते हैं और वे अयोग्य ठहराए जाते हैं, तो चुनाव ही खराब होता है.

सिब्बल ने पूछा, ‘सरकार को चुनने वाले लोगों के फैसले का क्या होता है.’

उन्होंने कहा कि दलबदल को रोकने के लिए जो अनुसूची का इस्तेमाल किया गया है उसका प्रयोग दलबदल को भड़काने के लिए किया गया है. दसवें शेड्यूल को उलट-पुलट कर दिया गया है. हर दिन की देरी लोकतांत्रिक फैसलों पर कहर ढाएगी. उन्होंने कहा कि एक नाजायज सरकार को एक दिन रहना चाहिए.


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‘बागी गुट ने की थी हटाने की मांग’

शिवसेना के पूर्व मुख्य सचेतक सुनील प्रभु की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि गुवाहाटी के लिए प्रस्थान करने से एक दिन पहले पार्टी के बागी गुट के सदस्यों ने विधानसभा उपाध्यक्ष को ई-मेल भेजकर उन्हें (सुनील प्रभु) हटाने की मांग की थी.

महाराष्ट्र विधानसभा में शिंदे गुट को मिले बहुमत को ‘अनुचित बहुमत’ करार देते हुए सिंघवी ने कहा, ‘यह ई-मेल एक अनधिकृत ई-मेल आईडी से भेजा गया था. विधानसभा उपाध्यक्ष ने इस पर रोक लगा दी और कहा था कि इसे रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया गया है.’

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि लोकतंत्र में लोग एकजुट हो सकते हैं और प्रधानमंत्री से कह सकते हैं कि ‘माफ करें, आप पद पर अब और नहीं रह सकते हैं.’

उन्होंने कहा कि अगर कोई नेता पार्टी के भीतर ही समर्थन (बहुमत) जुटाता है और बिना पार्टी छोड़े (नेतृत्व से) प्रश्न उठाता है तो यह दलबदल नहीं है.

उन्होंने बेंच से कहा कि अगर एक राजनीतिक दल में बड़ी संख्या में लोग यह महसूस करते हैं कि अन्य व्यक्ति को उनका नेतृत्व करना चाहिए, तो इसमें क्या गलत है?

चीफ जस्टिस ने कहा, ‘शुरुआत में मुझे कुछ संदेह हुआ था. यह राजनीतिक रूप से एक संवेदनशील मामला है और मैं नहीं चाहता कि यह संदेश जाए कि हम पक्षपात कर रहे हैं.’

चीफ जस्टिस के नेतृत्व वाली बेंच ने 11 जुलाई को उद्धव ठाकरे गुट के विधायकों को अंतरिम राहत प्रदान करते हुए महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से कहा था कि वह उनकी अयोग्यता के अनुरोध वाली याचिका पर आगे कार्रवाई नहीं करें.


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