(योषिता सिंह)
संयुक्त राष्ट्र, 21 जुलाई (भाषा) संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है कि श्रीलंका की आर्थिक स्थिति की ओर विश्व को तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि न केवल मानवीय एजेंसियों बल्कि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और अन्य देशों को भी संकट से जूझ रहे इस देश की मदद के लिए आगे आना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र विशेषज्ञों ने श्रीलंका में आसमान छूती मुद्रास्फीति, जिसों की ऊंची कीमतें, ऊर्जा की कमी, बढ़ते ईंधन संकट और गहराती आर्थिक स्थिति को लेकर चिंता जताई है। इन मुश्किल हालातों के बीच श्रीलंका अभूतपूर्व राजनीतिक संकट का भी सामना कर रहा है।
विशेषज्ञों ने कहा, ‘‘श्रीलंका के गंभीर आर्थिक संकट की ओर दुनिया को तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। मानवीय एजेंसियों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों, निजी ऋणदाताओं और अन्य देशों को श्रीलंका की मदद के लिए आगे आना चाहिए।’’
विदेशी मुद्रा भंडार के पूरी तरह ‘सूखने’ के बाद श्रीलंका ईंधन, खाद्य और अन्य जरूरी वस्तुओं की भारी कमी का सामना कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में विदेशी कर्ज एवं मानवाधिकार की स्वतंत्र विशेषज्ञ आतिया वारिस ने कहा कि ‘‘हमने देशों के कर्ज में डूबने के गंभीर परिणामों को समय-समय पर देखा है जो वैश्विक वित्तीय प्रणाली में ढांचागत खामियों को उजागर करता है और मानवाधिकारों के क्रियान्वयन को प्रभावित करता है।’’
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