कानपुर (उप्र), 20 जुलाई (भाषा) सिख विरोधी दंगों के दौरान सामूहिक हत्याओं के मामलों की जांच कर रहे विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) ने एक इमारत में आग लगाने के आरोप में पांच और लोगों को गिरफ्तार किया है। इस घटना में तीन लोगों की मौत हो गई थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
दिल्ली में 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद हुई हिंसा के सिलसिले में एसआईटी अब तक 27 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।
पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) बालेंदु भूषण सिंह की अध्यक्षता वाली एसआईटी ने बुधवार को किदवई नगर के निराला नगर से यह गिरफ्तारी की।
डीआईजी सिंह ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश पर 27 मई, 2019 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित एसआईटी सिख विरोधी दंगों के मामलों की जांच कर रही है और संदिग्धों को पकड़ने के प्रयास जारी हैं।
उन्होंने बताया कि एसआईटी ने 96 लोगों की पहचान मुख्य संदिग्धों के रूप में की थी, जिनमें से 23 की मौत हो चुकी है। अधिकारी ने कहा कि तीन दर्जन से अधिक संदिग्धों का विवरण एकत्र किया गया और इससे एसआईटी को अब तक 27 आरोपियों को पकड़ने में मदद मिली है।
बुधवार को गिरफ्तार आरोपियों की पहचान किदवई नगर निवासी अनिल कुमार पांडे (61), श्रीराम उर्फ बग्गड़ (65), मुस्तकीम (70), अब्दुल वहीद (61) और इरशाद खान (60) के रूप में हुई है।
डीआईजी ने बताया कि गिरफ्तार किए गए पांचों आरोपी 1984 में दर्जनों अन्य लोगों के साथ मिलकर गुरुदयाल सिंह के घर में आग लगाने के लिए निराला नगर पहुंचे थे।
उन्होंने बताया कि गुरुदयाल के घर में किराएदार के रूप में 12 परिवार रहते थे और हमले के दौरान तीन लोगों को जिंदा जला दिया गया था। उन्होंने कहा कि राजेश गुप्ता के रूप में पहचाने गये एक दंगाई की भी दोनों तरफ से चली गोली में मौत हो गई थी।
भूषण सिंह ने बताया,“हम दिल्ली, पंजाब और राजस्थान में बसे गवाहों के जरिये 96 प्रमुख संदिग्धों की पहचान करने के बाद 11 मामलों की जांच कर रहे हैं। एसआईटी ने यह भी पाया कि 23 (व्यक्ति) पहले ही मर चुके हैं।”
उल्लेखनीय है कि एसआईटी का गठन 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामलों की फिर से जांच करने के लिए किया गया था, जिसके कारण सबसे ज्यादा प्रभावित शहरों में शुमार कानपुर में 127 लोग हताहत हुए थे।
भाषा सं जफर शफीक
शफीक
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