कोलकाता: 3 जुलाई को कोलकाता के कालीघाट इलाके में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निजी आवास में कथित तौर पर तोड़फोड़ करने वाले हाफिजुल मोल्ला को सोमवार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. सुरक्षा में हुई चूक की जांच कर रहे जांचकर्ताओं को इसके पीछे एक ‘बड़ी साजिश’ का शक है.
वकील सौरिन घोषाल ने दिप्रिंट को बताया कि कोलकाता पुलिस ने मामले में 300 गवाहों से पूछताछ की और कोलकाता के पास उत्तर 24 परगना जिले के बशीरहाट और हसनाबाद इलाकों में छापेमारी की. मोल्ला हसनाबाद का रहने वाला है.
घोषाल ने कहा कि पुलिस इस हाई-प्रोफाइल मामले से जुड़े एक ‘रैकेट’ की भी जांच कर रही है.
उन्होंने कहा कि कोलकाता पुलिस पहली बार मामले में जांच के लिए ‘गेट पैटर्न’ का इस्तेमाल करेगी – एक फोरेंसिक मेथड जिसका इस्तेमाल आरोपी व्यक्ति की चाल और विशेषताओं का सीसीटीवी कैमरों से मिले विजुअल से मिलान करने के लिए किया जाता है.
दिप्रिंट से वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा कि मोल्ला ने ‘छह महीने तक मुख्यमंत्री के आवास की पूरी तरह से रेकी’ की थी. पिछले तीन महीने की सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद पता चला कि वह घर के आस-पास घूमता रहा था.
अधिकारियों ने कहा कि मोल्ला स्थानीय निवासियों और पुलिस अधिकारियों से इतनी अच्छी तरह परिचित था कि सीएम आवास के आसपास ड्यूटी पर मौजूद लोगों में से किसी को भी संदेह नहीं था कि वह कुछ गड़बड़ कर सकता है.
मोल्ला को कालीघाट पुलिस ने 3 जुलाई को गिरफ्तार किया, जब वह कथित तौर पर ममता के निजी आवास की चारदीवारी को फांदकर अंदर खड़ी गाड़ियों के पास छिप गया था. सुबह करीब 8 बजे, जब ड्यूटी पर तैनात सुरक्षा अधिकारी शिफ्ट बदल रहे थे तो वह गाड़ियों के पीछे छिपा हुआ था और पकड़ा गया.
मोल्ला पर आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) और 458 (चोट, मारपीट या गलत इरादों से पूरी तैयारी के बाद रात में घर में घुसना या घर में तोड़फोड़ करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
कोलकाता में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में कोलकाता पुलिस की दलील के मुताबिक आरोपी कम से कम 11 सिम कार्ड का इस्तेमाल कर रहा था. बांग्लादेश, झारखंड और कर्नाटक से भी मामले के तार जुड़े होने की जांच की जा रही है.
वकील घोषाल ने कहा कि मोल्ला ने अपने फोन पर सीएम के आवास की तस्वीरें लीं और उन्हें व्हाट्सएप के जरिए कुछ लोगों को भेजा. लेकिन अदालत के समक्ष उनकी पहचान का खुलासा नहीं किया गया.
मोल्ला की तरफ से केस लड़ने वाले अधिवक्ता विकास गुचैत ने दिप्रिंट को बताया.’कोलकाता पुलिस ने मामले में किसी अन्य संदिग्ध को गिरफ्तार नहीं किया है. अभी भी उसकी जांच कर रही है. इसलिए मैंने आज उसकी न्यायिक हिरासत का विरोध नहीं किया है.’ गुचैत को राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा नियुक्त किया गया है.
उन्होंने कहा, ‘कोलकाता पुलिस ने राजस्थान के एक पुराने मामले की भी जांच शुरू कर दी है जिसमें हाफिजुल को गिरफ्तार किया गया था. मामले की डिटेल्स अब तक साझा नहीं की गईं हैं.’
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ममता के कालीघाट घर की किलेबंदी
पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री को कोलकाता पुलिस द्वारा ‘Z+’ श्रेणी की सुरक्षा दी जाती है. राज्य में समान सुरक्षा पाने वाले एकमात्र अन्य व्यक्ति ममता के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी हैं.
एक ‘Z+’ सुरक्षा कवर में महिलाओं सहित 20 से अधिक सशस्त्र पुलिसकर्मी शामिल हैं. मुख्यमंत्री की सुरक्षा में लगी टीम की तैयारियों का एडवांस में जायजा लिया जाता है, जिसमें किसी भी घटना या यात्रा से पहले सुरक्षा अभ्यास शामिल होता है.
जहां से मुख्यमंत्री के काफिले को गुजरना होता है, सुरक्षा अधिकारी उस जगह पर नजर बनाए रखते हैं और स्थल को साफ करते हैं. वैकल्पिक मार्गों को भी बैक-अप के लिए सुरक्षित रखा जाता है. सीएम के काफिले का हिस्सा बनने वाले वाहनों में एक एम्बुलेंस और फायर टेंडर शामिल हैं. किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पास के अस्पताल की जानकारी भी उनके पास होती. सभी ड्यूटी अधिकारियों की पहचान की जाती है और उन्हें सुरक्षा पास दिए जाते हैं.
ममता के कालीघाट आवास के चारों ओर सीसीटीवी कैमरे और वॉच टावर हैं. परिसर के बाहर और अंदर पुलिस बंकर हैं. कोलकाता पुलिस की विशेष शाखा के अधिकारी वर्दी और सिविल ड्रेस में ड्यूटी पर मौजूद रहते हैं.
मुख्यमंत्री के आवास की ओर जाने वाली सड़क पर बैरिकेड्स लगे हैं और हर उस वाहन की जांच की जाती है जिनके पास प्रवेश पास नहीं होता है. लेकिन ये सभी उपाय 3 जुलाई को विफल होते दिखे.
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शीर्ष पुलिस अधिकारी का तबादला
सुरक्षा में भारी चूक के मद्देनजर राज्य सुरक्षा निदेशक, आईपीएस अधिकारी विवेक सहाय को 6 जुलाई को पद से हटा दिया गया और उनकी जगह आईपीएस अधिकारी पीयूष पांडे को लाया गया है.
मार्च 2021 में जब नंदीग्राम में एक चुनाव प्रचार के दौरान ममता के पैर में चोट लगी थी, तब भारत के चुनाव आयोग ने सहाय को निलंबित कर दिया था. एक बयान में आयोग ने कहा था, ‘Z+ सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति की सुरक्षा के लिए निदेशक, सुरक्षा के रूप में अपने प्राथमिक कर्तव्य के निर्वहन में पूरी तरह से विफल रहने के लिए उसके खिलाफ एक सप्ताह के भीतर आरोप तय किए जाने चाहिए.’
उसी साल मई में तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के एक दिन बाद ममता ने सहाय का निलंबन वापस ले लिया.
कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत कुमार गोयल और बल के अन्य शीर्ष अधिकारियों ने सुरक्षा चूक के मद्देनजर कई बार मुख्यमंत्री के आवास का दौरा किया. पुलिस सूत्रों ने कहा, जांच के दौरान अधिकारियों को कुछ ‘ब्लाइंड स्पॉट’ भी मिले जो सीसीटीवी निगरानी में नहीं थे.
आठ पुलिस अधिकारियों के विशेष जांच दल को अब मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया है. इस टीम का नेतृत्व संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) कर रहे हैं. मामला कालीघाट पुलिस से कोलकाता पुलिस के जासूसी विभाग को ट्रांसफर कर दिया गया है. कोलकाता पुलिस ने अभी तक इस मामले को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है.
पिता ने कहा, मीडिया से उसकी गिरफ्तारी के बारे में पता चला
मोल्ला के परिवार का दावा है कि वह मानसिक रूप से बीमार है और उसका कोलकाता के सरकारी एसएसकेएम अस्पताल में इलाज चल रहा है.
दिप्रिंट से बात करते हुए, उसके पिता मोइनुल मोल्ला ने कहा: ‘हमें मीडिया से पता चला कि मेरे बेटे को गिरफ्तार कर लिया गया है. उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. एक बार उसने नबन्ना (राज्य सचिवालय) में भी घुसने की कोशिश थी. तब शिबपुर पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था. मैंने उन्हें डॉक्टर का पर्चा दिखाया और फिर उसे उसी दिन रिहा कर दिया गया.’
30 साल का मोल्ला शादीशुदा है और उसकी एक चार साल की बेटी है. उसके पिता एक किसान हैं और उसके तीन भाई हैं. वह हसनाबाद के नारायणपुर गांव के अशरिया में रहता है.
वह पेशे से ड्राइवर है और बशीरहाट और हावड़ा के बीच ट्रक और कार चलाता है. उसकी पत्नी जैस्मिन बीबी ने कहा, ‘मेरे पति कार चलाते थे और हफ्तों पहले उन्हें घर से निकाल दिया गया था.’ कोलकाता पुलिस ने परिवार के बयान दर्ज कर लिए हैं.
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