नयी दिल्ली, 16 जुलाई (भाषा) शिकागो एक्सचेंज शुक्रवार देर रात को लगभग तीन प्रतिशत मजबूत बंद होने के कारण दिल्ली तेल तिलहन बाजार में शनिवार को लगभग सभी तेल तिलहन कीमतों में सुधार आया जबकि सामान्य कारोबार के बीच सरसों तेल तिलहन के भाव साधारण गिरावट दर्शाते बंद हुए।
बाजार सूत्रों ने कहा कि शिकॉगो एक्सचेंज कल रात लगभग तीन प्रतिशत मजबूत बंद हुआ था जिसका असर शनिवार के कारोबार में बाकी तेल तिलहन कीमतों पर दिखा। सामान्य कारोबार के बीच सरसों तेल तिलहन के भाव गिरावट के साथ बंद हुए।
सूत्रों ने कहा कि लगभग डेढ़ दो महीने पहले कच्चा पामतेल (सीपीओ) के कांडला डिलीवरी का भाव 2,040 डॉलर प्रति टन का था। यह भाव (अगस्त शिपमेंट का) इस समय टूटकर लगभग 1,000 डॉलर प्रति टन रह गया है। शुल्क सहित खुदरा बाजार में इसका भाव फिलहाल लगभग 86.50 रुपये किलो बैठेगा। उल्लेखनीय है कि लाखों टन तेल आयात होने की प्रक्रिया में हैं। दूसरी ओर सरसों का इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लगभग 5,050 रुपये क्विन्टल था जो अगली बिजाई के समय 200-300 रुपये क्विन्टल के बीच बढ़ने का अनुमान है। उस हिसाब से सरसों तेल का भाव आगामी फसल के बाद लगभग 125-130 रुपये किलो रहने का अनुमान है। अब जब बाजार में सीपीओ तेल लगभग 86.50 रुपये किलो होगा तो 125-130 रुपये में सरसों की खपत कहां होगी। सूत्रों ने कहा कि तेल तिलहन में आत्मनिर्भर होने के बजाय देश आयात पर ही निर्भर होता जाता दीखता है। देश के प्रमुख तेल तिलहन संगठनों को सरकार से खाद्य तेलों का शुल्क मुक्त आयात करने की मांग करने के बजाय, सरकार को उचित सलाह देकर तेल तिलहन उत्पादन बढ़ाने और आत्मनिर्भरता पाने की ओर प्रेरित करना चाहिये। उनकी यह जिम्मेदारी भी बनती है कि वे समय समय पर सरकार को बतायें कि कौन सा फैसला देश के तिलहन उत्पादकों के हित में है और कौन उसके नुकसान में है।
शुक्रवार को सरकार ने सीपीओ के आयात शुल्क मूल्य में 100 रुपये क्विन्टल की कमी की जबकि सोयाबीन डीगम का आयात शुल्क मूल्य 50 रुपये प्रति क्विन्टल और पामोलीन तेल का आयात शुल्क मूल्य 200 रुपये प्रति क्विन्टल कम किया है।
सूत्रों ने कहा कि एक तरफ आयात शुल्क मूल्य घटाया जा रहा है, वहीं विदेशों में तेल तिलहन के बाजार टूट रहे हैं और आयात शुल्क भी घटाया गया है। सूत्रों ने कहा कि यह सारी स्थितियां देश को पूरी तरह आयात पर निर्भरता की ओर ले जा सकता है।
सूत्रों ने कहा कि आयातक और तेल उद्योग पहले से भारी नुकसान के रास्ते पर हैं। ऐसे में सरकार को अपना हर कदम फूंक फूंक के उठाना होगा। पिछले दिनों सरकार के निर्देश दिये जाने और खुदरा तेल कारोबारियों के आश्वासन के बावजूद अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में कितनी कमी हुई है, इस बारे में सरकार को कोई ठोस कदम उठाना चाहिये।
शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 7,170-7,220 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,895 – 7,020 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,250 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,710 – 2,900 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 14,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,280-2,360 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,320-2,425 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 17,000-18,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,100 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,850 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,600 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 10,950 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,850 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,400 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 11,300 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 6,275-6,325 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज 6,025- 6,075 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश पाण्डेय
पाण्डेय
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