नयी दिल्ली, 16 जुलाई (भाषा) शीर्ष भारतीय गोला फेंक एथलीट तेजिंदरपाल सिंह तूर अमेरिका के यूजीन में चल रही विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप से पहले लगी ‘ग्रोइन’ चोट के कारण शनिवार को बर्मिंघम में होने वाले आगामी राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर हो गये।
एशियाई रिकॉर्डधारी तूर इस चोट के कारण यूजीन में अपनी स्पर्धा में हिस्सा नहीं ले सके। उन्हें यह चोट चार दिन पहले अमेरिका में चुला विस्टा में लगी जहां भारतीय टीम ने थोड़े समय के लिये ट्रेनिंग अभ्यास किया था।
उन्होंने स्पर्धा के लिये कुछ अभ्यास थ्रो फेंके लेकिन दर्द के कारण फिर हटने का फैसला किया।
तूर ने यूजीन से पीटीआई से कहा, ‘‘नहीं, मैं इस ग्रोइन चोट के कारण राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा नहीं ले पाऊंगा। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘चार दिन पहले चुला विस्टा में मेरे ग्रोइन मांसपेशियों में खिंचाव आ गया था और इससे मेरे प्रदर्शन पर काफी असर पड़ा। मैं रिहैबिलिटेशन करूंगा और भविष्य की प्रतियोगिताओं में मजबूत वापसी करूंगा। ’’
तूर को 28 जुलाई से आठ अगस्त तक चलने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के लिये 36 सदस्यीय भारतीय टीम में चुना गया था लेकिन उनका चयन कजाखस्तान में एक प्रतियोगिता के प्रदर्शन पर निर्भर था।
वह भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) द्वारा तय किये गये 20.50 मीटर के क्वालीफाइंग मानक से चूक गये थे। वह पिछले महीने चेन्नई में राष्ट्रीय अंतरराज्यीय चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने के दौरान 20.34 मीटर का थ्रो ही कर पाये थे। नौ जुलाई को चुला विस्टा में एक प्रतियोगिता में उन्होंने 19.96 मीटर का थ्रो किया था।
तूर को हालांकि कोसानोव मेमोरियल एथलेटिक्स प्रतियोगिता में हिस्सा लिये बिना ही भारत लौटना पड़ा क्योंकि उन्हें विश्व चैम्पियनशिप के लिये वीजा औपचारिकतायें पूरी करनी थीं।
तूर ने कहा कि उन्हें डर है कि चोट बढ़ सकती है इसलिये उन्होंने अंतिम समय में विश्व चैम्पियनशिप से हटने का फैसला किया।
तूर के नाम के आगे ‘नो मार्क’ (एनएम) लिखा हुआ था, उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह (ग्रोइन) चोट चुला विस्टा (अमेरिका) पहुंचने के बाद लगी थी। मैंने यह देखने के लिये दर्द अभी है या नहीं, कुछ ‘वार्म-अप’ थ्रो भी फेंके। थ्रो करते हुए मुझे दर्द महसूस हो रहा था इसलिये मैंने स्पर्धा से हटने का फैसला किया। ’’
एशियाई खेलों के मौजूदा स्वर्ण पदक विजेता ने कहा, ‘‘अगर मैं स्पर्धा में हिस्सा लेता तो मेरी चोट बढ़ सकती थी और यह ‘थर्ड ग्रेड’ की चोट बन सकती थी और मैं सात-आठ महीने के लिये बाहर हो जाता। ’’
भाषा नमिता आनन्द
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