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Tuesday, 5 November, 2024
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कैसे दिल्ली के चिड़ियाघर में अफ्रीकी हाथी शंकर लड़ रहा है अकेलेपन की लड़ाई

दिल्ली हाई कोर्ट ने हाथी शंकर के रहने की स्थिति का निरीक्षण करने का आदेश दिया है, जो 1998 में जिम्बाब्वे से भारत को एक उपहार रूप में मिला था और तब से दिल्ली के चिड़ियाघर में रहता है.

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नई दिल्ली: एक 16 वर्षीय एक्टिविस्ट की याचिका पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली के चिड़ियाघर में एक अफ्रीकी हाथी शंकर के रहने की स्थिति का निरीक्षण करने का आदेश दिया है.

जिम्बाब्वे का एक उपहार, 25 वर्षीय, जिसका नाम पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के नाम पर रखा गया था, उसे भारत को 1998 में एक उपहार के रूप में दिया गया था – यह भारत में रहने वाले दो अफ्रीकी हाथियों में से एक है. वहीं दूसरा, रेम्बो, मैसूरु के चिड़ियाघर में रखा गया है.

जब वे भारत पहुंचे, तो शंकर के साथ एक महिला साथी, बॉम्बेई भी थी, जिसकी 2005 में मृत्यु हो गई थी. तब से शंकर अकेले अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है.

याचिका में एक्टिविस्ट निकिता धवन ने शंकर को छोड़ने और पुनर्वास की मांग की है. धवन ने अदालत को बताया कि दिल्ली के चिड़ियाघर, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में अपनी बात रखने के बाद उन्होंने कानूनी सहारा लिया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि एकांत में रखे जाने के बाद से जानवर तनाव में था.

पिछले बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए, अदालत की एक पीठ ने हाथी को अफ्रीका वापस भेजने की संभावना से इंकार कर दिया, और प्रतिवादियों दिल्ली चिड़ियाघर, केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए), और पशु कल्याण बोर्ड – से से पूछा क्या शंकर को एक अभयारण्य में भेजा जाये या उसके लिए एक साथी मिल सकता है.

अदालत ने कहा, ‘हम आपको हाथी को दक्षिण अफ्रीका ले जाने की अनुमति नहीं देंगे. हम इसकी अनुमति नहीं दे सकते हैं. यह हमारी संपत्ति है. चिंता न करें, हम उसकी ठीक से देखभाल करेंगे.’

धवन का प्रतिनिधित्व करते हुए, अधिवक्ता धनंजय ग्रोवर ने दिप्रिंट को बताया, ‘हाथी के हित को ध्यान में रखने के लिए अदालत के आश्वासन को हाई लाइट करने की आवश्यकता है. इसको स्थानांतरित करना बेहतर है या नहीं, यह विशेषज्ञों के लिए तय करने वाला मामला है, लेकिन उच्च न्यायालय ने कहा है कि वह वही करेगा जो जानवर के लिए सबसे ठीक है.’

हालांकि, दिल्ली चिड़ियाघर के कई कर्मचारी (सेवारत और पूर्व) दोनों – ने दिप्रिंट को बताया कि शंकर सहित हाथियों की देखभाल करते समय केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) द्वारा निर्धारित सभी दिशानिर्देशों का पालन किया जाता है, एनिमल वेलफेयर के बदलते नियम कारण हाथी के एकान्त कारावास को समाप्त करने के लिए समाधान सीमित होने के कारण सीमित हैं.’

अदालत द्वारा अनिवार्य निरीक्षण 31 अगस्त को निर्धारित अगली सुनवाई से पहले होने की संभावना है.

दिल्ली के चिड़ियाघर में दुर्व्यवहार और उपेक्षा का इतिहास रहा है. 2017 में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) द्वारा गठित एक समिति ने पाया कि चिड़ियाघर ने 2016-2017 के बीच हुई जानवरों की मौतों की संख्या को दबा दिया था, और उन जानवरों को अवैध रूप से पकड़े गए अन्य जानवरों द्वारा बदल दिया गया था.

2019 में, चिड़ियाघर ने अदालत में स्वीकार किया था कि वह चिड़ियाघर में रहने वाले जानवरों की सही संख्या की पहचान नहीं कर सका है.

‘अक्सर पीटा जाता है, दिन में 17 घंटे जंजीरों में जकड़ कर रखा जाता है’

धवन की याचिका में आरोप लगाया गया है कि शंकर – अफ्रीकी हाथी, जिसके कान उसके एशियाई समकक्ष की तुलना में बड़े हैं – उसे ‘अक्सर पीटा जाता है, दिन में 17 घंटे जंजीर से बांधा जाता है और उसके पास घूमने के लिए पर्याप्त जगह नहीं होती है.’

ग्रोवर ने कहा, ‘मेडिकल जांच से पता चलता है कि शंकर की हालत ठीक नहीं है और वह लगातार असामान्य व्यवहार दिखा रहा है, जो दर्शाता है कि वह तनावग्रस्त है.’

बंदी जानवरों में आम है जो उन परिस्थितियों में रहते हैं जो उनके प्राकृतिक निवास स्थान से मिलते-जुलते नहीं हैं, असामान्य व्यवहार को दोहराते हैं, यह अपरिवर्तनीय मूवमेंट को भी संदर्भित करता है.

ग्रोवर ने कहा, ‘आमतौर पर, अफ्रीकी हाथी 20 से 50 किलोमीटर जमीन को कवर करते हैं, लेकिन शंकर को चलने के लिए केवल 4,930 वर्ग मीटर जमीन (लगभग 70 मीटर की भुजा वाले वर्ग के बराबर) मिलती है.

ऑनलाइन याचिकाओं के लिए एक पोर्टल Change.org पर पोस्ट किए गए वीडियो में, शंकर को हाथियों के बीच असामान्य व्यवहार का संकेत – शंकर को सिर हिलाते हुए देखा जा सकता है.

धवन की याचिका में दिल्ली चिड़ियाघर के लिए लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए 2020 की अधिसूचना का भी हवाला दिया गया है, जिसमें केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने उल्लेख किया है कि अफ्रीकी हाथी को ‘अलग-थलग रखा जाता है, जिसके पैर उसके बाड़े में जंजीर से बंधे होते हैं.’

याचिका में कहा गया है, ‘पूछताछ करने पर, हमें पता चला कि जानवर ज्यादातर समय जंजीर से जकड़ा हुआ है.’

धवन की याचिका में कई पशु चिकित्सकों के हलफनामे भी शामिल हैं, जिन्होंने शंकर की स्थिति पर देखा, वीडियो, फोटो और अपने बाड़े के भीतर जानवर के दूर के अवलोकन पर अपनी राय को बताया.’

डॉक्टर मणिलाल वल्लियाते, डॉ मिनी अरविंदन और डॉ नितिन कृष्णगौड़ा की दिसंबर 2021 की एक रिपोर्ट में पाया गया कि शंकर के व्यवहार से संकेत मिलता है कि उसे लंगड़ापन, पैर की बीमारी है और अलगाव के कारण ‘गंभीर असामान्य व्यवहार के लक्षण’ दिखाई देते हैं.’

एक अन्य वन्यजीव पशुचिकित्सक, डॉ शांतनु कलांबी ने कहा कि तस्वीरों में दिख रही हाथी की त्वचा ‘घावों के साथ सूखी दिखाई दे रही थी, यह दर्शाता है कि जानवर के पास नहाने के लिए कीचड़ और रेत की कमी है.’


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‘प्राकृतिक आवास को बनाने की पूरी कोशिश की’

हालांकि, दिल्ली चिड़ियाघर के अधिकारियों ने इन दावों का खंडन करते हुए दोहराया कि उन्होंने केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा जारी सभी प्रासंगिक दिशानिर्देशों का पालन किया और शंकर के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच सुनिश्चित की. ये दिशानिर्देश जानवरों के कल्याण के लिए शर्तों को निर्धारित करते हैं, जैसे कि न्यूनतम स्थान की आवश्यकता, भोजन और पुनर्वास के लिए कदम.

उन्होंने कहा, ‘हमने शंकर को उनके बाड़े में अधिक समृद्ध किया है. मिट्टी के स्नान के लिए एक तालाब और पर्याप्त मिट्टी है; पेड़, स्टंप, घास. हमने इसके प्राकृतिक आवास को बनाने की पूरी कोशिश की है. दिल्ली चिड़ियाघर के निदेशक धर्मदेव राय ने कहा, ‘केवल उस समय’ अफ्रीकी हाथी को जंजीर में बांधा जाता है, जब वह ‘आसव की अवधि में प्रवेश करता है.’

आसव एक ऐसी अवधि है जब एक नर हाथी के प्रजनन हार्मोन में वृद्धि होती है, और यह आक्रामक व्यवहार की विशेषता है जो मनुष्यों के लिए घातक हो सकता है.

चिड़ियाघर की पूर्व निदेशक डॉ सोनाली घोष ने सहमति व्यक्त की.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘यह सच नहीं है कि उसे दिन के अधिकांश समय तक जंजीर में बांधकर रखा जाता है. पिछले साल नवंबर में, हमने शीर्ष पशु चिकित्सकों द्वारा उसकी जांच की, जिनमें से सभी ने कहा कि वह स्वस्थ है. हम इस बात से सहमत हैं कि शंकर अकेले हैं, उन्हें अभी एक साथी के अधिकार से वंचित किया जा रहा है, जिसे हमने सुगम बनाने की कोशिश की है.’

हालांकि, एक और अफ्रीकी हाथी लाना एक जटिल प्रस्ताव है.

केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा 2009 के एक दिशानिर्देश में चिड़ियाघरों में हाथियों के बंदी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और सभी बंदी हाथियों को पुनर्वासित करने और यदि संभव हो तो वन्यजीव अभयारण्यों में छोड़ने की आवश्यकता है. केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, तकनीकी रूप से, एक और हाथी को कैद में रखने की अनुमति देने के लिए एक अपवाद बना सकता है, बशर्ते उसके जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो.

चिड़ियाघर के अधिकारियों ने पहले शंकर के लिए एक साथी की व्यवस्था करने की कोशिश की है, लेकिन ऐसे सभी प्रयास विफल हो गए हैं.

घोष ने कहा, ‘हम नहीं जानते कि शंकर हमें जंगल से दिया गया था या कैद से. उसे जंगल में छोड़ना विकल्प नहीं है. सबसे अच्छा हम चिड़ियाघर में उसकी देखभाल कर सकते हैं और कोशिश करें और उसके लिए एक साथी खोजें.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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