पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने ईसाई महिला को मौत की सजा के फैसले को पलटकर तुरंत रिहा करने आदेश दिया है.
इस्लामाबाद/नई दिल्ली: पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को आसिया बीबी को बरी कर दिया और इस्लामी समूहों द्वारा उन्हें मृत्युदंड देने की मांग के बीच तुरंत रिहा करने का आदेश दिया. आसिया एक ईसाई महिला हैं, जिन्हें ईशनिंदा के आरोपों में निचली अदालतों ने मृत्युदंड की सजा सुनाई थी.
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की रहने वाली आसिया पांच बच्चों की मां हैं. उन्हें 2010 में ईशनिंदा के लिए दोषी ठहराया गया था और फांसी पर लटकाने की सजा सुनाई गई थी. दरअसल आसिया पर अपने पड़ोसियों के साथ झगड़े के दौरान पैगंबर मोहम्मद के नाम को बिगाड़ कर बोलने का आरोप था.
पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद पाकिस्तान में जगह जगह हिंसा भड़क उठी है और लोग सड़कों पर उतर आए हैं. पंजाब और सिंध प्रांत में धारा 144 लागू की गई है. हिंसा से निपटने के लिए जगह जगह पुलिस बल तैनात किए गए हैं.
जियो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधान न्यायाधीश साकिब निसार की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मृत्युदंड की सजा के खिलाफ आसिया की 2014 में दाखिल अपील पर सुनवाई की. पीठ में न्यायमूर्ति आसिफ सईद खोसा और न्यायमूर्ति मजहर आलम खान मियांखेल शामिल थे.
न्यायमूर्ति निसार ने कहा, ‘अपील मंजूर की जाती है. मृत्युदंड की सजा रद्द कर दी गई है. आसिया बीबी को दोषों से बरी किया जाता है.’
उन्होंने कहा कि अगर आसिया किसी अन्य मामले में वांछित नहीं हैं तो वह तुरंत लाहौर के समीप शेखपुरा स्थित जेल से मुक्त होकर जा सकती हैं. आसिया फैसला सुनाए जाने के समय अदालत में मौजूद नहीं थीं.
यह फैसला सर्वोच्च न्यायालय के प्रवेश द्वार पर तैनात दंगा पुलिस और बम विशेषज्ञों के साथ कड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच सुनाया गया. कमरे के अंदर सुरक्षा बनाए रखने के लिए आतंक रोधी दस्ते के निशस्त्र कमांडों तैनात थे.
आसिया 2014 में लाहौर उच्च न्यायालय में दाखिल अपील हार गई थीं. 2015 में सर्वोच्च न्यायालय ने मृत्युदंड आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि वह अपील को देखेगा और उसके बाद फैसला सुनाएगा.
(समाचार एजेंसी आईएएनएस से इनपुट के साथ)