नई दिल्ली: चीन के सबसे पुराने राजनीतिक कैदियों में से एक वांग बिंगझांग के परिवार के सदस्यों का दावा है कि उनके चीन में प्रवेश पर ‘अनौपचारिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है. उनका यह भी कहना है कि चीनी अधिकारियों ने वांग को पठन-पाठन (पढ़ने) की सामग्रियों और ‘बेहतर भोजन’ से भी वंचित कर रखा है.
एक पेशेवर डॉक्टर के रूप में काम करने वाले 74- वर्षीय वांग साल 2002 के बाद से चीन के ग्वांगडोंग प्रांत में आतंकवाद और जासूसी के आरोप में जेल में बंद हैं.
चीन में लोकतंत्र के लिए एक प्रमुख हिमायती रहे वांग ने 1970 और 80 के दशक में चीन में लोकतंत्र को स्थापित करने के लिए समर्पित पहले विदेशी संगठन ‘चाइनीज अलाइयेन्स फॉर डेमॉक्रेसी’, और इसके साथ ही इसी उद्देश्य के लिए समर्पित एक पत्रिका ‘चीन स्प्रिंग’, के सह-संस्थापक के रूप में ख्याति प्राप्त की थी.
जून 2002 में, अमेरिका के एक स्थायी निवासी वांग चीनी कामगारों से मिलने के लिए वियतनाम गये थे, जब कथित तौर पर चीनी गुप्त पुलिस द्वारा उनका अपहरण कर उन्हें चीन ले जाया गया, जहां उन्हें एक बंद कमरे में चलाए गये मुकदमे का सामना करना पड़ा. अंततः उन्हें दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई; इधर संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) ने बार-बार उनकी हिरासत को ‘मनमाना‘ करार दिया है.
वांग पिछले दो दशकों से बिना इंटरनेट या टेलीफोन सुविधा के एकांत कारावास में रह रहे हैं. बाहरी दुनिया से उनका एकमात्र संबंध उनके अपने नज़दीकी परिवार (पति या पत्नी, भाई-बहन, बच्चों) को पत्र लिखने और उनके द्वारा मिलने आने (जब भी इसकी अनुमति मिले) के माध्यम से ही होती है.
हालांकि, वांग के बेटे टाइम्स (37) ने एक विशेष साक्षात्कार में दिप्रिंट को बताया कि चीनी अधिकारियों ने हाल के वर्षों में उनकी चाची और बहन के वीजा आवेदनों को नियमित रूप से खारिज ही किया है.
अमेरिका में रहने वाले और पेशे से एक वकील टाइम्स ने कहा, ‘चीनी सरकार कभी भी आधिकारिक तौर पर किसी को नहीं बताएगी कि उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन हमारे परिवार की तरह बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्हें देश में प्रवेश करने के लिए प्रभावी रूप से ब्लैकलिस्ट (काली सूची में डालना) कर दिया गया है.’
वांग की बेटी, 33 वर्षीय टी-अन्ना, जिनका नाम 1989 के तियानमेन स्क्वायर विरोध के नाम पर रखा गया था, का कहना है कि साल 2009, जब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक मंचों पर अपने पिता की रिहाई की वकालत करना शुरू किया था, के बाद से उनके वीजा आवेदनों को कई बार खारिज कर दिया गया है. जब भी कभी टी-अन्ना वीजा प्राप्त करने में कामयाब रहीं, उन्हें इन देशों में प्रवेश से वंचित कर दिया गया.
उन्होंने कहा कि उनके पिता का मकसद आज भी प्रासंगिक है, ख़ासकर यह देखते हुए कि साल 2019 में लोकतंत्र समर्थक विरोधों ने हांगकांग – जिसके बारे में बीजिंग का दावा है कि यह चीन का हिस्सा है – को किस तरह से प्रभावित किया था. चीन द्वारा साल 2020 में एक विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पेश किए जाने के बाद हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक विरोध को अंततः कुचल दिया गया था.
उन्होंनें दिप्रिंट को बताया, ‘मेरे पिता ओवरसीज प्रो-डेमॉक्रेसी मूवमेंट के संस्थापकों में से एक थे. हांगकांग का विरोध भी उसी तर्ज पर उभरा प्रतीत होता है. मेरे पिता, जिनकी टेलीविजन तक पहुंच है, निश्चित रूप से इस आंदोलन के बारे में जानते हैं. यह स्पष्ट रूप से उनके और बाकी चीनी आबादी के सामने दुष्प्रचार वाले लेंस के माध्यम से परोसा गया है, लेकिन वह इतने स्मार्ट हैं कि वे कभी इससे सहमत नहीं होंगे.’
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के सेंटर फॉर ईस्ट एशियन स्टडीज में चाइनीज स्टडीज की प्रोफेसर अलका आचार्य ने दिप्रिंट को बताया कि वांग का मामला बीजिंग द्वारा राज्य की बढ़ी हुई सतर्कता का एक प्रतिबिंब हो सकता है, चाहे वह जेल में बंद असंतुष्टों और उनके परिवारों की बात ही क्यों न हो.
वे कहती हैं, ‘शी जिनपिंग के सत्ता में आने के बाद से राजनीतिक असंतोष पर नकेल कसने के प्रति चीनी सरकार का दृष्टिकोण निश्चित रूप से और कठोर हो गया है. लेकिन मुझे लगता है कि वांग जैसे राजनीतिक कैदियों के खिलाफ और अधिक कड़ी कार्रवाई करना, जैसे कि उनकी पठन-पाठन की सामग्री तक पहुंच नहीं होने देना, राज्य की सतर्कता में वृद्धि को प्रतिबिंबत करता है क्योंकि शी जिनपिंग अपने तीसरे कार्यकाल को सुरक्षित करने की तैयारी कर रहे हैं.’
आचार्य ने कहा, ‘(चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की) 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस इस साल अक्टूबर या नवंबर में होगी, जब शी के फिर से चुने जाने की सबसे अधिक संभावना है. इस वजह से स्पष्ट रूप से वह कोई भी ख़तरा मोल नहीं लेंगें, विशेष रूप से किसी भी तरह के राजनीतिक असंतुष्टों के खिलाफ.’
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‘अनाधकारिक रूप से प्रतिबंधित’
वांग के परिवार का कहना है कि उन्हें वांग से मिलने की कोशिश करने में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है.
टाइम्स, जो आखिरी बार साल 2019 में अपने पिता से मिलने गये थे, ने याद करते हुए कहा, ‘उदाहरण के लिए, 2000 के दशक की शुरुआत में, दलाई लामा वैंकूवर गए थे और मेरी चाची इस कार्यक्रम के आयोजन में शामिल हुईं. इसके बाद से वह चीनी वीजा प्राप्त करने में असमर्थ रहीं हैं.’
इस बीच, टी-अन्ना ने साल 2008 के बाद से अपने पिता को नहीं देखा है.
टी-अन्ना ने दिप्रिंट को बताया, ‘कनाडा सरकार की मदद से विरले मौकों पर जब मैंने वीजा हासिल किया, तो बाद में चीन में आव्रजन कार्यालय (इम्मिग्रेशन ऑफीस) ने मेरे वहां पहुंचने पर इसे अस्वीकार कर दिया. अतीत में मैंने हांगकांग के माध्यम से चीन में सिर्फ़ एक दिन के लिए पर्यटक वीजा प्राप्त करने का प्रयास किया था, लेकिन उन्होंने यह भी अस्वीकार कर दिया.’
जनवरी 2019 में, टी-अन्ना, उनके पति और उनकी नवजात बेटी को चीन के लिए वीजा दिया गया था, लेकिन हांग्जो पहुंचने पर उन्हें देश में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई.
‘द ग्लोब एंड मेल’ की एक खबर में टी-अन्ना के हवाले से कहा गया था कि हवाई अड्डे के अधिकारियों ने यह कहते हुए कि उन्हें ऊपर से इस तरह का ‘आदेश’ मिला है, उनसे कहा था कि उन्हें भी ‘इसका कारण नहीं पता था’ कि उन्हें चीन में प्रवेश करने से क्यों रोका गया था.
वांग के बच्चों का यह भी दावा है कि जिस जेल में उन्हें हिरासत में रखा जा रहा है, वहां हाल के वर्षों में सुरक्षा और निगरानी बढ़ा दी गई है. उन्होंने कहा कि (उनसे मिलने वाले) आगंतुकों की स्ट्रिप-सर्च (कपड़े उतार कर तलाशी) की जाती है, किसी भी रिकॉर्डिंग डिवाइस – जिसमें पेन और पेपर भी शामिल हैं – को अंदर ले जाने की अनुमति नहीं है, और मुलाकात अधिक से अधिक 30 मिनट तक चल सकती है और इसकी वीडियो-रिकॉर्डिंग भी की जाती है.
टाइम्स ने दिप्रिंट को बताया, ‘मुझे याद है कि जब मैंने पहली बार 2000 के दशक में वहां जाना शुरू किया था, तो गार्ड हाथ से पकड़े हुए वीडियो कैमरों से हमारी मुलाक़ातों को फिल्माते थे.’
‘पठन-पाठन की सामग्री से वंचित किया गया’
वांग के पास टेलीविजन देखने की सुविधा है लेकिन उन्हें किताबें पढ़ने में अधिक आनंद मिलता है – और यह एक ऐसी ‘विलासिता’ है जो अब उन्हें उपलब्ध नहीं है.
वांग का परिवार जब भी उनसे मिलने जाता था, तो वे वांग को कुछ पैसे देते थे; लेकिन साल 2019 के बाद से, जब टाइम्स आखिरी बार उनसे मिलने जेल गए थे, वे उन्हें कोई भी पैसा नहीं भेज पाए हैं, जिसका उपयोग वह ‘बेहतर भोजन’ और ऐतिहासिक ग्रंथ, चीनी व्युत्पत्ति पर लिखी गयीं किताबें, कन्फ्यूशियस क्लासिक्स और अन्य पढ़ने की वस्तुएं खरीदने के लिए कर सकते थे.
टाइम्स का दावा है कि दिसंबर 2021 में उनके परिवार ने चीन में रहने वाले एक दूर के चचेरे भाई को पैसे भेजने की कोशिश की, जो इसे जेल में वांग को देने के लिए सहमत हो गये थे.
टाइम्स ने आगे बताया, ‘मैंने पैसे को उनके बैंक खाते में भेज दिया था, लेकिन कुछ दिनों बाद कुछ सुरक्षा एजेंटों ने उनसे मुलाकात की, जिन्होंने उन्हें वांग को पैसे देने के प्रति हतोत्साहित किया.’ उनका कहना था कि इन एजेंटों ने उनके चचेरे भाई को इस सब में ‘शामिल न होने’ के लिए कहा.
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