चंडीगढ़: घाव का आकार और स्वरूप, गोली की दिशा और उसका रास्ता, बंदूक की गोली के अवशेष- इन सबके विश्लेषण ने गिरफ्तार आईएएस अधिकारी संजय पोपली के बेटे कार्तिक पोपली का पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों के एक पैनल को इस निष्कर्ष पर पहुंचाया है कि गोली का घाव खुद-से किया गया था.
खबर मिली थी कि 27 वर्षीय युवक ने 25 जून को अपने आवास पर खुद को गोली मार ली. उस समय पंजाब विजिलेंस ब्यूरो की एक टीम उसके आवास पर मौजूद थी. 20 जून को कार्तिक के पिता संजय पोपली जो 2008 बैच के एक आईएएस अधिकारी थे उनको पंजाब जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड के सीईओ के अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था.
कार्तिक की मौत को पुलिस द्वारा आत्महत्या करार दिए जाने के बाद से एक विवाद खड़ा हो गया है. परिवार ने आरोप लगाया कि ब्यूरो के अधिकारियों ने कार्तिक को ‘यातनाएं’ दीं और उसकी हत्या कर दी.
फॉरेंसिक विभाग के सूत्रों के अनुसार, ऑटोप्सी रिपोर्ट में कार्तिक के शरीर पर गोली के दो घावों का जिक्र है- बाईं कनपटी से घाव का प्रवेश और दाईं कनपटी से उसकी निकासी. रिपोर्ट में किसी बाहरी जख्म, हाथापाई या यातना के किसी निशान का जिक्र नहीं है.
कार्तिक का पोस्टमॉर्टम पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमआआर) चंडीगढ़ के चार डॉक्टरों के एक पैनल ने किया है.
फॉरेंसिक विभाग के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि रिपोर्ट में ये ब्योरा भी दिया गया है कि बुलेट ने क्या रास्ता लिया, और ब्रेन को क्या नुकसान पहुंचाया है. साथ ही उसमें विस्तार से बताया गया है कि गोली से लगा घाव ‘खुद से किया गया क्यों’ है.
सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, ‘ऐसा कोई संकेत नहीं है जिससे जाहिर हो कि ये एक हत्या है. इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए बहुत से मानदंडों का ध्यान रखा गया. पोस्टमॉर्टम के दौरान शरीर को पहुंचे घाव, मौका-ए-वारदात और हालात को देखते हुए इसमें कुछ भी अस्पष्टता नहीं थी. ये हत्या का मामला नहीं है’.
PGIMIR चंडीगढ़ में फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ योगिंदर सिंह बंसल ने भी दिप्रिंट से पुष्टि की कि ये एक ‘खुद से किया हुआ घाव था’.
उन्होंने कहा, ‘इस मामले में कोई अस्पष्टता नहीं है. हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि ये खुद से किया गया घाव है.’
तथाकथित खुदकुशी के बाद मामले की मजिस्ट्रियल जांच शुरू कर दी गई है. संजय पोपली के बचाव वकील मतविंदर सिंह ने चंडीगढ़ के उप-पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को कार्तिक की सौतेली मां श्री की ओर से एक ईमेल भेजकर अनुरोध किया कि उनके बेटे को गोली लगने के सिलसिले में संजय के बयान को जल्द दर्ज किया जाए.
कार्तिक ने अपनी स्कूली शिक्षा चंडीगढ़ के यदवींद्र पब्लिक स्कूल और ग्रेजुएशन चंडीगढ़ के ही डीएवी कॉलेज से किया था. इसके बाद वो तीन साल की कानून की पढ़ाई करने ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी चला गया, जहां से उसने 2019 में डिग्री हासिल की.
‘बंदूक के हर घाव का एक स्वरूप होता है’
इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचा गया, ये समझाते हुए फॉरेंसिक विभाग के सूत्र ने कहा, ‘मृतक बाएं हाथ से काम करने वाला था और गोली के प्रवेश का घाव बांई कनपटी पर है. कनपटी पर भी घाव का निशान वहां है जहां कुर्सी में बैठे हुए, उसके कद, स्थिति, और कुर्सी के हत्थे पर टिके उसके बाजू की लंबाई को देखते हुए, उसका हाथ आसानी से पहुंच सकता था’.
सूत्र ने आगे कहा कि बंदूक के हर घाव का एक स्वरूप होता है. अगर गोली पास से चलाई गई है तो प्रवेश घाव उसकी निकास से बड़ा होगा. साथ ही घाव के बर्स्टिंग (फटने) का प्रभाव होगा कि उससे एक ‘स्टार पैटर्न’ बन जाएगा. इससे जाहिर होता है कि गोली नजदीक से चलाई गई थी. इसका मतलब है कि हथियार कनपटी के करीब रखा गया था.
सूत्र ने आगे कहा कि जब गोली फासले से चलाई जाती है तो उससे वो स्टार पैटर्न नहीं बनता क्योंकि दूरी तय करने में गोली की तीव्रता कम हो जाती है.
सूत्र ने कहा, ‘जिन मामलों में खुद को चोट पहुंचाई जाती है, उनमें ऐसा ही पैटर्न देखने को मिलता है’.
सूत्रों ने ये भी कहा कि बंदूक से निकलने के बाद गोली जो रास्ता लेती है, उसकी भी ये पता लगाने में एक बड़ी भूमिका होती है कि गोली कहां से चलाई गई’.
सूत्र ने बताया, ‘गोली जिस दिशा में लगती है और शरीर से बाहर निकलकर वो क्या रास्ता लेती है, वो एक बहुत अहम फेक्टर होता है. इससे शूटर की दिशा का पता लगाने में सहायता मिलती है. इस मामले में घाव का निकास उसके प्रवेश के समानांतर है और कुर्सी पर बैठे हुए व्यक्ति के बाजू के अनुपात में है. कोई कह सकता है कि मुमकिन है कि किसी व्यक्ति ने उसे गोली मारी हो लेकिन वहां के परिमाप को देखते हुए ऐसा संभव नहीं लगता. अगर वो व्यक्ति गोली चलाते हुए मृतक के पास खड़ा था, जहां वो कुर्सी पर बैठा हुआ था तो कनपटी पर घाव थोड़ा ऊपर की ओर होता. वो घाव मृतक के बाजू की लंबाई के अनुपात में न होता’.
सूत्र ने बताया कि एक दूसरा फैक्टर था घाव पर ‘बंदूक की गोली के अवशेष’.
सूत्र ने कहा, ‘जब कोई व्यक्ति हथियार को पकड़कर उसे कनपटी के क़रीब रखे तो गोली घाव पर बारूद के कुछ अवशेष छोड़ जाती है. जलने से घाव पर एक कालापन भी आ जाता है क्योंकि पिस्टल से छोड़े जाने के बाद गोली गर्मी पैदा करती है’.
सूत्र ने बताया कि मौत का कारण ‘ब्रेन को व्यापक क्षति और खून का बहना’ है.
यह भी पढ़ें: ईश-निंदा के विरोध में भारत में पहला कत्ल करने वाले को पाकिस्तान में कैसे शहीद बना दिया गया
‘घाव पुलिस पिस्टल से नहीं, दरवाजा अंदर से बंद था’
कार्तिक की मां श्री ने मीडिया के सामने आरोप लगाया था कि उनके बेटे कार्तिक को जबर्दस्ती पहली मंजिल पर ले जाया गया था और विजिलेंस अधिकारी ने जानबूझ कर उसपर गोली चलाई थी. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने दो व्यक्तियों को उनके बेटे पर पिस्टल ताने देखा था और अधिकारियों ने कार्तिक को ‘सबूत के लिए यातनाएं’ दीं थीं.
संजय पोपली ने भी, जो उस समय पुलिस हिरासत में थे और जिन्हें तलाशी के लिए उनके आवास पर ले जाया गया था, पत्रकारों को बताया कि वो अपने बेटे की मौत के चश्मदीद गवाह थे.
लेकिन पुलिस ने इन सभी दावों का खंडन किया है.
दिप्रिंट से बात करते हुए, एसएसपी चंडीगढ़ कुलदीप सिंह चहल ने कहा, ‘मृतक की लाश को दरवाजा तोड़कर निकाला गया. ऐसा नहीं हो सकता कि कोई अंदर मौजूद था. इसके अलावा मेडिकल बोर्ड की भी राय है कि ये एक खुद से किया हुआ घाव था और रिपोर्ट को मजिस्ट्रेट को सौंप दिया गया है. यहां पर कुछ भी अस्पष्ट नहीं है, तथ्य बिल्कुल स्पष्ट हैं’.
उन्होंने आगे कहा कि जिस कमरे में कार्तिक की मौत हुई, वहां से बरामद हुआ कारतूस का कवर एक लाइसेंस शुदा 7.65 एमएम हथियार का था जो कार्तिक के पिता की थी. इस मामले में ‘बलिस्टिक रिपोर्ट’ का अभी भी इंतजार है जिससे पता चल जाएगा कि अपराध में किस तरह का हथियार इस्तेमाल किया गया था.
बलिस्टिक सबूत से न केवल ये पहचान होती है कि अपराध को अंजाम देने में किस तरह का हथियार इस्तेमाल हुआ, बल्कि अन्य बातों के अलावा विस्तार से ये भी पता चलता है कि गोली चलाने वाला किस जगह खड़ा था और लक्ष्य उससे कितने फासले पर था.
चंडीगढ़ पुलिस के एक दूसरे सूत्र ने कहा कि चूंकि खाली कारतूस 7.65 एमएम पिस्टल का था इसलिए उससे पता चलता है कि वो गोली किसी पुलिस हथियार से नहीं चलाई गई थी- जो कि आमतौर पर 9 एमएम का पिस्टल होता है.
सूत्र ने कहा, ‘पुलिस विभाग के पास 7.65 एमएम का पिस्टल नहीं होता इसलिए वो उसे कैसे चला सकते थे? गोली साफतौर से लाइसेंस शुदा हथियार से चली हुई है जिसे लाश के बराबर से ही बरामद किया गया’.
सूत्र ने ये भी कहा कि जिस समय गोली चलाई गई, उस समय कोई भी विजिलेंस अधिकारी उस कमरे में मौजूद नहीं था.
सूत्र ने कहा, ‘संजय पोपली को तलाशी के लिए लाया गया था और हर कोई ड्राइव वे में खड़ा था. कार्तिक पोपली, जिससे इस मामले में उस दिन पहले ही पूछताछ की जा चुकी थी, ऊपर अपने कमरे में चला गया और फिर सबको एक गोली की आवाज़ सुनाई दी. पुलिसकर्मी तो वहीं मौजूद तक नहीं थे’.
58 वर्षीय संजय पोपली को पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने एक ठेकेदार से 1 प्रतिशत कट मांगने के आरोप में 21 जून को गिरफ्तार किया था जो मई में नवांशहर में सीवरेज पाइपलाइन की एक 7.3 करोड़ की परियोजना पर काम कर रहा था.
गिरफ्तारी के बाद विजिलेंस ब्यूरो ने 25 जून को संजय पोपली के आवास पर छापेमारी की थी और उसका दावा है कि वहां से 12 किलोग्राम से अधिक सोना बरामद हुआ था. इसके साथ ही इसमें एक-एक किलो ग्राम की सोने की नौ ईंटें, 49 सोने के बिस्किट, 12 सोने के सिक्के, तीन चांदी की ईंटें, 18 चादी के सिक्के, एप्पल और सैंसंग फोन्स, स्मार्ट घड़ियां और 3.5 लाख नकदी शामिल थी.
‘कार्तिक पर इतना अधिक भावनात्मक बोझ था’
एक पारिवारिक मित्र ने, जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि हालांकि कार्तिक अपने पिता की गिरफ्तारी, मामले में चल रही जांच और विभाग द्वारा उसे पूछताछ के लिए बुलाए जाने को लेकर तनाव में था लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि वो अपनी जिंदगी खत्म करने के लिए वो ऐसा कठोर कदम उठा लेगा.
उन्होंने कहा, ‘उसके पिता की गिरफ्तारी के अगले ही दिन सतर्कता विभाग ने उसे पूछताछ के लिए बुलाया था. उसने मुझसे बताया कि उन्होंने उसके साथ बुरा बर्ताव किया था- ऐसा नहीं था कि उन्होंने उसे मारा था लेकिन उसके साथ उनका रवैया सख्त था’.
उन्होंने कहा, ‘कार्तिक ने मुझे बताया था कि उन्होंने उसे बिना कुछ पूछे, एक कमरे में अकेले बिठाकर, पांच-छह घंटे तक इंतजार कराया और किसी ने आकर उससे कुछ नहीं कहा था. पुलिस ने उससे ऐसे सवाल पूछे जिनका उसके पास कोई जवाब नहीं था लेकिन वो जवाब देने पर जोर दे रहे थे. इन सबका उसके दिमाग पर असर पड़ा लेकिन फिर भी हमने सोचा नहीं था कि वो अपनी जान ले लेगा’.
एक दूसरे पारिवारिक मित्र ने कहा कि कार्तिक पर बहुत ‘भावनात्मक बोझ’ था और हो सकता है कि पिता की गिरफ्तारी पर ही ‘प्रतिक्रिया स्वरूप’ उसने अपनी जान ले ली हो.
एक और पारिवारिक मित्र ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘वो अकसर कहता था कि दर्द ही उसका साथी है. उसने एक बार कहा था कि वो बिल्कुल इसी तरह जाएगा. पिस्टल्स उसके लिए नए नहीं थे’.
मित्र ने आगे ये भी कहा कि कार्तिक अकसर अपनी मां को याद करता था, जिसके साथ पोपली का बुरी तरह से अलगाव हो गया था. उस समय कार्तिक सिर्फ पांच साल का था. वो हमेशा उस खालीपन को महसूस करता था. जो लोग संवेदनशील थे वो उसे समझते थे लेकिन तकरीबन हर किसी ने इसकी अनदेखी की. वो अवसाद में नहीं था, लेकिन उसके साथ भावनात्मक बोझ बहुत अधिक था’.
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: ‘ब्लैक लिस्टेड’- चीन के लोकतंत्र अधिकार कार्यकर्ता से जेल में मिलने के लिए 20 साल से लड़ रहा है परिवार