नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बात की। इस दौरान उन्होंने यूक्रेन संकट को बातचीत और कूटनीति के जरिये सुलझाने के भारत के पुराने रुख को दोहराया।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के एक बयान में कहा गया कि टेलीफोन पर बातचीत के दौरान, दोनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा और खाद्य बाजारों की स्थिति सहित वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की।
इसके मुताबिक, दोनों नेताओं ने दिसंबर 2021 में राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा के दौरान लिए गए निर्णयों के कार्यान्वयन की समीक्षा की।
बयान के मुताबिक, उन्होंने विशेष रूप से कृषि वस्तुओं, उर्वरकों और फार्मा उत्पादों में द्विपक्षीय व्यापार को कैसे और प्रोत्साहित किया जा सकता है, इस पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
पीएमओ ने कहा, “यूक्रेन में मौजूदा स्थिति के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने वार्ता और कूटनीति के समर्थन में भारत के पुराने रुख को दोहराया।”
इसमें कहा गया कि दोनों नेताओं ने वैश्विक और द्विपक्षीय मुद्दों पर नियमित परामर्श जारी रखने पर भी सहमति व्यक्त की।
रूसी समाचार एजेंसी तास ने क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति कार्यालय) प्रेस का हवाला देते हुए कहा कि दोनों नेताओं ने पारस्परिक रूप से लाभप्रद आर्थिक सहयोग को और विकसित करने के कदमों पर ध्यान केंद्रित करते हुए रूस-भारत संबंधों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की।
क्रेमलिन प्रेस सेवा को एक बयान में कहा गया कि उन्होंने रूस और भारत के बीच विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने के लिए परस्पर इच्छा व्यक्त की।
बयान में यह भी कहा गया कि पुतिन ने मोदी के साथ यूक्रेन में ‘विशेष सैन्य अभियान’ की प्रगति पर चर्चा की और विशेष रूप से, “कीव और उसके पश्चिमी संरक्षकों द्वारा खतरनाक व उकसावे वाली प्रवृत्ति अपना संकट का बढ़ाने तथा राजनीतिक व कूटनीतिक तौर पर समाधान के प्रयासों को पटरी से उतारने” पर ध्यान आकर्षित किया।
क्रेमलिन प्रेस सर्विस के हवाले से कहा गया, “पुतिन ने कई देशों द्वारा की गई व्यवस्थागत गलतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया, जिसके कारण खाद्य उत्पादों का मुक्त व्यापार बाधित हुआ और उनकी कीमत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। रूस के खिलाफ नाजायज प्रतिबंधों ने पहले से ही मुश्किल स्थिति को और जटिल कर दिया है।”
इसने यह भी कहा कि पुतिन ने जोर देकर कहा कि रूस भारतीय भागीदारों सहित अनाज, उर्वरक और ऊर्जा का एक विश्वसनीय उत्पादक और आपूर्तिकर्ता रहा है और बना रहेगा।
पुतिन के साथ बातचीत के कुछ दिनों पहले मोदी ने यूक्रेन संकट के एक स्पष्ट संदर्भ में उल्लेख किया था कि जी -7 और जर्मनी में इसके शिखर सम्मेलन में आमंत्रित देश वैश्विक तनाव के माहौल के बीच मिल रहे हैं और जोर देकर कहा था कि भारत हमेशा शांति के पक्ष में रहा है।
उन्होंने जी-7 शिखर सम्मेलन में अपनी टिप्पणी में कहा था, “मौजूदा हालात में भी हमने लगातार बातचीत और कूटनीति के मार्ग का आग्रह किया है। इस भू-राजनीतिक तनाव का असर सिर्फ यूरोप तक ही सीमित नहीं है। ऊर्जा और खाद्यान्न की बढ़ती कीमतें सभी देशों को प्रभावित कर रही हैं।”
उन्होंने यह भी कहा था कि विकासशील देशों की ऊर्जा और सुरक्षा विशेष रूप से जोखिम में है। यूक्रेन में संघर्ष के बीच मोदी ने खाद्य सुरक्षा पर भी चिंता जताई थी।
भाषा प्रशांत पवनेश
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