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Thursday, 21 November, 2024
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‘दिव्यांगों के अनुकूल’ मॉडल इंस्टीट्यूट बनाना चाहता है AICTE, एक्सेसिबिलिटी ऑडिट का दिया आदेश

इस पहल का उद्देश्य हर राज्य में ‘विकलांगता के अनुकूल’ कम से कम एक तकनीकी संस्थान स्थापित करना है. कुछ संस्थानों को पहले ही सुलभता ऑडिट के लिए चिन्हित कर लिया गया है.

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नई दिल्ली: विकलांगता वाले छात्रों के नामांकन और उन्हें रोके रखने के लिए, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) देशभर में ‘विकलांगता के अनुकूल’ तकनीकी संस्थान विकसित करने की योजना बना रही है- हर राज्य में ऐसा कम से कम एक संस्थान होगा.

राष्ट्रीय स्तर की एक इकाई एआईसीटीई की इस पहल में, जो भारत में तकनीकी शिक्षा को नियंत्रित करती है, मौजूदा संस्थानों में ढांचागत और प्रशासनिक बदलाव किए जाएंगे.

परिषद ने मंगलवार को ‘सुलभता के ऑडिट’ के लिए एक टेण्डर जारी किया, जिसका उद्देश्य विकलांगता वाले छात्रों के लिए सुविधाओं में कमी का पता लगाना है. उसने पहले ही कुछ संस्थानों की पहचान कर ली है.

दिप्रिंट से बात करते हुए एआसीटीई के सदस्य-सचिव राजीव कुमार ने कहा, कि विकलांगता वाले छात्रों के नामंकान में सुधार के सुझाव देने के लिए, परिषद ने पिछले साल एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था.

कुमार ने कहा, ‘हमें फीडबैक मिला था कि बहुत से छात्र तकनीकी संस्थानों में दाख़िल होने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि वहां विकलांगता वाले लोगों की शिक्षा के सुविधाएं नहीं हैं, और हम उसे बदलना चाहते थे’.

उन्होंने आगे कहा, ‘इस मुद्दे को देखने के लिए गठित की गई कमेटी ने सलाह दी, कि हमें कुछ मॉडल संस्थान तैयार करने चाहिएं- हर राज्य में कम से कम एक- जो विकलांगता के अनुकूल हों- और छात्रों को अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए एक अनुकूल वातावरण दे सकें’.

कुमार ने बताया कि कमेटी की सिफारिश थी कि ऐसे संस्थान हर सूबे में विकसित किए जाने चाहिएं ‘जिससे कि दूर-दराज़ क्षेत्रों के छात्र जो पढ़ने के लिए अपने राज्य से बाहर नहीं जा सकते, उनसे फायदा उठा सकें’.

परिषद संस्थानों को फंड्स उपलब्ध कराएगी जिससे उन्हें ‘विकलांगों की सुलभता’ के लिए ‘मॉडल्स’ के तौर विकसित किया जा सके, और उम्मीद की जा रही है कि इससे दूसरे शैक्षणिक संस्थानों को भी इसी राह पर चलने की ‘प्रेरणा’ मिलेगी.


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‘मॉडल’ संस्थानों की प्रमुख विशेषताएं

प्रस्तावित मॉडल संस्थानों में ऐसा इनफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध होगा जिसमें दृष्टिहीन, चलने में अक्षम और दूसरी विकलांगताओं वाले छात्रों को सुविधा हो सके.

संस्थान रैंप्स, गतिशीलता उपकरण, स्क्रीन पढ़ने वाले सॉफ्टवेयर के साथ कंप्यूटर्स, और कमज़ोर निगाह वालों के लिए लेंस आदि से लैस होंगे. परामर्श सुविधाएं तथा विकलांग छात्रों के लिए छात्रवृत्ति आदि की जानकारी भी उपलब्ध कराई जाएगी.

‘सुलभता ऑडिट’ के लिए एआईसीटीई की ओर से जारी टेण्डर के अनुसार, उनका लक्ष्य मौजूदा संस्थानों में बदलाव करना या ‘विशेष प्रावधान’ उपलब्ध कराना है, ताकि विकलांगता से ग्रस्त छात्रों के लिए एक ‘सहायक वातावरण’ तैयार किया जा सके, और उन्हें ‘अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए सशक्त’ किया जा सके.

उसमें आगे कहा गया है कि इन प्रावधानों में ‘अकादमिक संस्थानों की शारीरिक सुलभता, सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में सुधार, दाख़िला हो जाने के बाद सहायता प्रणालियां, और अन्य कड़ियों आदि को कवर किया जाना चाहिए’.

ऑडिट द्वारा कवर किए जाने वाले क्षेत्रों में प्रशासनिक और सर्क्युलेशन स्थान, इनफ्रास्ट्रक्चर, कक्षाओं, लाइब्रेरियों, कैफिटेरिया, हॉस्टल्स, और खेल सुविधाओं आदि का निर्माण शामिल है. इनके अलावा संस्थान की छपी हुई और डिजिटल सामग्री (जैसे इन-वेब पन्ने और एप्स) का भी सुलभता के लिए आंकलन किया जाएगा.

इसी महीने, एआईसीटीई ने संस्थानों से ऐसे छात्रों के लिए शैक्षणिक सामग्री विकसित करने को कहा है जो दृष्टि दोष से ग्रसित हैं.

16 जून को भेजे गए सर्क्युलर में कहा गया, ‘दृष्टि दोष से ग्रसित छात्रों को अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए, एक या उससे अधिक विशेष फॉरमैट्स की ज़रूरत होती है, जिनमें ब्रेल, बड़ी छपाई, ऑडियो और/या डिजिटल आदि शामिल हैं’.

उसमें आगे कहा गया, ‘आमतौर पर अलग रूप से सक्षम और विशेष रूप से दृष्टि-बाधित छात्रों की शिक्षा को सुविधाजनक बनाने के लिए, सभी तकनीकी संस्थानों से अनुरोध किया जाता है कि दृष्टि-बाधित छात्रों के पाठ्यक्रम के लिए ऑडियो-पुस्तकें तथा दूसरे संदर्भों जैसी संसाधन सामग्री तैयार करें और उन्हें उपलब्ध कराएं’.

‘विकलांगता के अनुकूल’ मौजूदा परिसर

भारत में उच्च शिक्षा के मानदंडों की निगरानी करने वाले वैधानिक निकाय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसी साल, कॉलेजों को और अधिक सुलभ तथा समावेशी बनाने के लिए मसौदा दिशानिर्देश जारी किए थे.

फिलहाल, देश के गिने-चुने कॉलेजों को ही विकलांगता-अनुकूल माना जा सकता है. इनमें दिल्ली यूनिवर्सिटी का भास्कराचार्य कॉलेज ऑफ अप्लाइड साइंसेज़ शामिल है. इसमें एक बाधा मुक्त परिसर, रैंप्स, और वॉशरूम्स आदि मौजूद हैं, जो अक्षमताओं वाले लोगों (पीडब्लूडी) के लिए सुलभ हैं. इसकी वेबसाइट के अनुसार, पीडब्लू श्रेणी में दाख़िला दिए गए छात्रों को यहां फीस में भी छूट दी जाती है.

दिल्ली विश्वविद्यालय की आर्ट्स फैकल्टी भी एक विकलांगता-अनुकूल परिसर है, जहां पीडब्लू के लिए उपयुक्त रैंप्स और वॉशरूम सुविधाएं मौजूद हैं. यूनिवर्सिटी का समान अवसर प्रकोष्ठ छात्रवृत्तियों तथा अन्य सुविधाओं के मामले में छात्रों की सहायता करता है.

पंजाब की पंजाब यूनिवर्सिटी और गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी भी रैंप्स, व्हीलचेयर सुविधाओं तथा पीडब्लू के लिए उपयुक्त वॉशरूम्स सुविधाओं से लैस हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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