नयी दिल्ली, 24 जून (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उम्मीद जताई कि भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेने के लिए भारतीय एथलेटिक्स महासंघ का कोटा बढ़ायेगा ताकि अतिरिक्त एथलीट प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकें।
उच्च न्यायालय 2022 बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों (सीडब्ल्यूजी) में भाग लेने से खुद को बाहर किये जाने की चुनौती देने वाले एथलीट तेजस्विन शंकर की याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
उच्च न्यायालय ने कहा कि एक एथलीट का करियर मुख्य रूप से चार-पांच वर्षों का होता है और उन्हें इस अवधि के दौरान अधिकतम अवसर दिए जाने चाहिए।
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा, ‘‘ यह अदालत आशान्वित है कि आईओए भारतीय एथलेटिक्स संघ (एएफआई) का कोटा बढ़ाएगा ताकि सभी पांच अतिरिक्त चयनित एथलीटों को सीडब्ल्यूजी दल में शामिल किया जा सके। इस मामले की अगली सुनवाई चार जुलाई को होगी। ’’
शंकर ने अपनी याचिका में कहा था कि एएफआई ने अंतरराज्यीय सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग नहीं लेने के कारण उन्हें राष्ट्रमंडल खेलों 2022 में भाग लेने से अयोग्य करार दिया है। उन्होंने मांग की कि राष्ट्रीय कॉलेजिएट एथलेटिक एसोसिएशन (एनसीएए) चैंपियनशिप में क्वालिफिकेशन मानक को पूरा करने के आधार पर उन्हें राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेने की अनुमति दी जाये।
अदालत ने याचिका में आईओए को पक्षकार बनाने की याचिका को भी अनुमति दे दी और उसे नोटिस जारी कर सुनवाई की अगली तारीख तक जवाब देने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान, एएफआई और चयन समिति का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील पार्थ गोस्वामी ने अदालत को सूचित किया कि चयन समिति ने 22 जून को एक बैठक की और आईओए द्वारा कोटा बढ़ाने के अधीन पांच अतिरिक्त एथलीटों का चयन किया।
उन्होंने कहा कि समिति ने खेलों में भाग लेने के लिए शंकर सहित पांच और एथलीटों के नामों की सिफारिश की है, और अगर आईओए मौजूदा 36 एथलीटों से एएफआई का कोटा बढ़ाने पर सहमत होता है, तो इन पांचों को भी दल में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर कोटा नहीं बढ़ाया जाता है तो पहले से चयनित 36 एथलीटों की सूची अंतिम होगी।
जब अदालत ने पूछा, ‘‘ अगर कोटा बढ़ाया गया है, तो क्या उसे शामिल किया जाएगा?’’
इस पर गोस्वामी ने सकारात्मक जवाब दिया।
अदालत ने साफ किया कि अगर कोटा नहीं बढ़ाया गया तो वह आईओए को इसे बढ़ाने का निर्देश नहीं दे सकता।
न्यायाधीश ने यह भी कहा, ‘‘एक एथलीट का करियर मुख्य तौर पर चार से पांच वर्षों का होता है, उसे अधिकतम अवसर दिया जाना चाहिए … अगर यह मेरे हाथ में होता तो मैं सभी को भेज देता।’’
अदालत ने इससे पहले 22 जून को चयन समिति को शंकर के मामले में योग्यता के आधार पर विचार करने का निर्देश दिया था।
भाषा आनन्द नमिता
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