मुंबई: गुवाहटी में बागी विधायक एकनाथ शिंदे के कैंप में शामिल 55 विधायकों के पार्टी छोड़ने के बावजूद मुंबई में बहुत से शिवसैनिक ठाकरे के साथ खड़े हैं.
बुधवार शाम को कोविड संक्रमित होने के कुछ घंटों बाद उद्धव ठाकरे ने एक भावनात्मक सार्वजनिक संबोधन किया था. अपने भाषण में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने अफसोस जताया था कि सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस ने नहीं बल्कि ‘उनके अपने लोगों’ ने उन्हें छोड़ दिया.
गुरुवार को सैंकड़ों पार्टी के कार्यकर्ता ठाकरे को अपना समर्थन दिखाने के लिए शिवसेना भवन पर जमा हुए थे जो सैनिकों के लिए मंदिर से कम नहीं है. हालांकि, मुंबई के दादर में सेना भवन अनगिनत प्रदर्शनों और रैलियों का गवाह रहा है लेकिन गुरुवार को पार्टी मुख्यालय में जमा हुए शिव सैनिकों ने शांत अंदाज में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया.
अधिकतर शिवसैनिकों का अभी भी ठाकरे के साथ भावनात्मक जुड़ाव है और उन्हें ऐसा नहीं लगता है कि परिवार पार्टी की ‘हिंदुत्व’ विचारधारा को पीछे छोड़ रहा है जिस तरह का आरोप बागी विधायक लगा रहे हैं.
जब मुंबई में पार्टी कार्यकर्ता बागी विधायकों से नाराज हैं. ऐसे में ठाणे जिसे एकनाथ शिंदे का गढ़ माना जाता है वहां शिवसैनिकों के एक गुट ने चार बार रहे इस विधायक के प्रति अपनी वफादारी का दावा किया है.
ठाणे में उनके आवास के बाहर शिंदे का समर्थन करने वाले बैनर लगे हैं. उद्धव ठाकरे और बेटे आदित्य ठाकरे दोनों ही इन पोस्टर्स से गायब हैं लेकिन इनमें एकनाथ शिंदे, बालासाहेब ठाकरे और दिवंगत शिवसेना नेता आनंद दिघे की तस्वीरें हैं.
शिंदे समर्थक राहुल नील ने कहा, ‘ठाणेकर के लिए शिंदे बहुत मददगार रहे हैं. कोई भी उनके पास किसी भी समय जा सकता है और वह उनकी समस्याओं को हल करते हैं. हम हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे.’ नील ने दिप्रिंट को बताया कि हालांकि शिंदे जो हैं वो उन्हें पार्टी ने ही बनाया है और विधायक ने भी शिवसेना को बहुत कुछ दिया है.
नील ने कहा, ‘लेकिन हम इससे ऊपर की सोचते हैं और हमारे लिए एकनाथ शिंदे अहमियत रखते हैं. ‘
गुरुवार को निर्दलीय समेत आठ और विधायक बागी कैंप में शामिल हो गए हैं जो दावा कर रहा है कि उसे 42 सैनिक विधायकों का समर्थन हासिल है. वहीं 13 बचे शिवसेना के विधायक पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे द्वारा गुरुवार सुबह अपने पैतृक आवास ‘मातोश्री’ में बुलाई गई बैठक में शामिल हुए.
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‘बालासाहेब ने हमें उद्धव, आदित्य का ख्याल रखने को कहा था’
शिंदे कैंप में शामिल होने वाले शिवसेना विधायकों में मुंबई के माहिम निर्वाचन क्षेत्र के विधायक सादा सर्वंकर भी मौजूद हैं. इस खबर से नाराज सैनिकों ने माहिम में शिवसेना की एक शाखा के बाहर होर्डिंग में विधायक का चेहरे को काला कर दिया.
सेना के मुखपत्र सामना के कार्यालय से कुछ ही दूरी पर स्थित शाखा जो सर्वंकर के कार्यालय से दोगुनी बड़ी है और आमतौर पर सुबह 10.30 बजे खुलती है जो दिप्रिंट के आने पर बंद कर दी गई थी. क्षेत्र की अन्य शाखाएं भी ऐसे ही काम करती हैं.
हाथ में काले पेंट का डिब्बा और ब्रश थामे शिवसेना कार्यकर्ता अशोक केलकर ने कहा, ‘हमें सादा सर्वंकर पर भरोसा है, वे हमारे विधायक हैं लेकिन उन्होंने उद्धव ठाकरे को धोखा दिया है और वे भाग गए. हम उन्हें माफ नहीं करेंगे.’
बाल ठाकरे को याद करते हुए कि कैसे उन्होंने पार्टी को ईंट-ईंट जोड़कर बनाया है, केलकर ने कहा, ‘उन्हें (बागी विधायक) मौका नहीं मिलेगा. वे डगमगा जाएंगे क्योंकि बालासाहेब ने जमीनी स्तर के कार्यकर्ता और समूह के नेता बनाए हैं. इन लोगों को मौका नहीं मिलेगा. अगर आज चुनाव हुए तो उनकी जमानत भी चली जाएगी.’
केतकर ने शिवसेना के संस्थापक की मौत से पहले 2012 में उनके एक वीडियो संबोधन का जिक्र करते हुए कहा कि बालासाहेब की ने शिव सैनिकों से उद्धव जी और आदित्य की देखभाल करने के लिए कहा था लेकिन वे भाग गए.
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‘उद्धव ठाकरे ने बताया हिंदुत्व का मतलब क्या है’
पिछले 56 वर्षों से शिव सैनिक रहे सुरेश काले ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को बागियों की वापसी की उम्मीद है. उन्होंने कहा, ‘ये सभी लोग शिवसेना के टिकट पर जीते और अगर वे बगावत करते हैं, तो निश्चित रूप से प्रमुख को दुख होगा, हमें भी दुख होगा, लेकिन वे वापस आ जाएंगे.’
यह पूछे जाने पर कि आप किसके साथ हैं और ठाकरे या शिंदे किसका समर्थन करेंगे, एक शिव सैनिक ने कहा, ‘आम शिव सैनिक बालासाहेब और उद्धव के साथ खड़े होंगे. हमें परवाह नहीं है कि विधायक कहां जाते हैं.’
‘नियमित और जमीनी स्तर के शिव सैनिक उद्धव के साथ ही रहेंगे. वह जो हमसे करने को कहेंगे हम उसका पालन करेंगे.’
काले ने उन बागी विधायकों को भी जवाबी कार्रवाई जारी की, जिन्होंने आरोप लगाया है कि शिवसेना हिंदुत्व के अपने रास्ते से भटक गई है. काले ने कहा, ‘शिवसेना अभी भी वही है और वास्तव में, वर्षों से रही है और परिपक्व हुई है.’ पार्टी ने हिंदुत्व को नहीं छोड़ा है. उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व का अर्थ निर्धारित किया है और हमने हिंदुत्व को नहीं छोड़ा है. विपक्ष का जो मन कर रहा है वो कह और कर सकता है.
महा विकास अघाड़ी के भीतर शिवसेना को दरकिनार किए जाने के दावों का विरोध करते हुए, काले ने कहा कि उन्होंने महाराष्ट्र में त्रिपक्षीय गठबंधन सरकार बनाने के लिए कट्टर प्रतिद्वंद्वी राकांपा और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने के उद्धव ठाकरे के फैसले का समर्थन किया.
उन्होंने कहा, ‘ये बड़े लोग हैं और अगर उन्होंने इसके बारे में सोचा है, तो यह अच्छे के लिए ही होगा. हमें एमवीए के साथ कोई समस्या नहीं दिखाई देती है. अब तक, एमवीए का काम अच्छा रहा है.’
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‘शिवसेना बनी मराठी मानुष की आवाज’
दशरथ दयालकर, जो 70 वर्ष के हैं, जब से उन्होंने पहली बार वोट देने के अधिकार का प्रयोग किया था तब से वह शिवसेना के मतदाता रहे हैं. दयालकर ठाकरे को समर्थन देने के लिए बुधवार को सेना भवन पहुंचे जो कुछ हो रहा है उसे देखकर वह बहुत परेशान हैं उन्होंने कहा कि वह पिछले 48 घंटों में नहीं सोए थे.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘जो हो रहा है उससे मैं बहुत परेशान हूं. शिवसेना ने मराठी मानुष (मराठी लोगों) को आवाज दी है. इसलिए मैं उनके साथ खड़ा रहूंगा. और ये दलबदलू ईडी और अन्य समस्याओं के कारण पार्टी से गए हैं.’
यह दोहराते हुए कि उनकी वफादारी उद्धव ठाकरे के साथ है, दयालकर ने कहा कि शिवसेना प्रमुख ने शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस के साथ जाने के अपने फैसले के बारे में सोचा होगा.
उन्होंने आगे कहा, ‘हम ठाकरे परिवार के साथ अंत तक खड़े रहेंगे. जो भी उनसे जुड़ें, हमें उनकी परवाह नहीं है, हमारा वोट ठाकरे का है.’
ठाकरे के एक अन्य वफादार सुभाष नवादकर ने कहा, ‘मराठी मानुष के लिए, सेना ही सब कुछ है. पार्टी और परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर है. ठाकरे परिवार से हमारा भावनात्मक जुड़ाव है.’
शिवसेना सांसद संजय राउत के आरोपों को दोहराते हुए नवादकर ने कहा, जांच एजेंसियों के दुरुपयोग भाजपा कर रही है और बागी विधायक ‘ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) से डरते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘आप जैसे ही भाजपा में चले जाते हैं आप पाक-साफ हो जाते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘इन सभी को शिवसेना के टिकट पर ही यह प्रतिष्ठा मिली है. वे कहते हैं कि वे बालासाहेब के साथ हैं लेकिन बालासाहेब ने अपने परिवार को छोड़ने के लिए नहीं कहा है.’
इस बीच, मुंबई के कुर्ला में शिवसेना शाखा के बाहर स्थानीय विधायक मंगेश कुडलकर के गुरुवार को बागी विधायकों की कतार में शामिल होने के बाद भारी पुलिस तैनाती देखी गई.
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