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Tuesday, 19 November, 2024
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विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर का #मीटू मुहिम के दबाव में इस्तीफ़ा

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विदेश राज्य मंत्री और पूर्व पत्रकार एमजे अकबर ने मीटू मुहिम के दबाव के बाद इस्तीफ़ा दे दिया है. कहा, झूठे आरोपों पर क़ानूनी लड़ाई लड़ेंगे.

नई दिल्ली: एमजे अकबर ने विदेश राज्य मंत्री के पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया है. उन पर मीटू अभियान के तहत लगभग एक दर्जन से ज्यादा महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं.

उन्होंने यह इस्तीफा ऐसे समय दिया है जब दिल्ली की एक अदालत एक दिन बाद गुरुवार को अकबर द्वारा एक महिला पत्रकार के खिलाफ दायर मानहानि मुकदमे पर सुनवाई करने वाली है.

अकबर ने अपने इस्तीफे में लिखा है, ‘चूंकि मैंने अपने खिलाफ लगे झूठे आरोपों पर निजी तौर पर न्याय पाने के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया है इसलिए मुझे ये सही लगता है कि मैं अपने खिलाफ लगे झूठे आरोपों का भी निजी स्तर पर सामना करूं. इसलिए मैंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.’

अकबर पर आरोप लगाने वाली प्रिया रमानी ने इस्तीफे के बाद कहा, ‘इससे हमारे आरोप की पुष्टि होती है. मैं उस दिन का इंतजार कर रही हूं जब अदालत में भी हमें न्याय मिलेगा.’

अकबर पर पहला आरोप वरिष्ठ पत्रकार प्रिया रमानी ने लगाया था जिसके बाद उन पर आरोपों की झड़ी लग गई थी. इसमें कई वरिष्ठ पत्रकार शामिल हैं जिन्होंने एशियन एज में उनके साथ काम किया था. अब महिलाओं ने एक याचिका में ये कहा है कि अकबर ने आरोप लगाने वाली महिलाओं पर दबाव बनाने के लिए प्रिया रमानी पर मानहानी का दावा ठोका है और करंजवाला जैसी बड़ी कंपनी को अपने बचाव में खड़ा किया था. मुहिम से जुड़ी महिलाओं ने प्रिया रमानी और अन्य पीड़ितों के लिए पैसा इकट्ठा करने और मदद के लिए मुहिम भी शुरू कर दी थी.

दबाव

अकबर पर इस्तीफे का चौतरफा दबाव था. पार्टी की कई महिला नेताओं ने जहां मीटू मुहिम का समर्थन किया था वहीं सीधे तौर पर उन्होंने अकबर का बचाव भी नहीं किया था. महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने यौन उत्पीड़न पर कार्रवाई की मांग की थी और उनके मंत्रालय ने कहा था कि पीड़ित महिलाएं सीधे शिकायत कर सकती हैं.

वही स्मृति ईरानी ने महिलाओं के खुल कर बोलने को हिम्मत का काम बताया था और कहा था कि जिस पर आरोप है उसे खुद इसपर जवाब देना चाहिए. आरएसएस के सहसंघचालक दत्तात्रेय होसबोले भी परोक्ष रूप से पीड़ित महिलाओं के पक्ष में दिखे.

इसलिए ये तय था कि अकबर को इस्तीफा देना पड़ेगा.

वहीं विपक्ष ने सरकार पर हमला ये कह कर तेज़ कर दिया था कि बेटी बचाओ की बात कहने वाली सरकार यौन उत्पीड़क का साथ दे रही है.

मानहानि का दावा

इससे पहले एमजे अकबर ने पत्रकार प्रिया रमानी पर आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था. ये कदम उन्होंने रमानी और उनके साथ काम कर चुकीं 13 अन्य महिला पत्रकारों के उनपर लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोप के जवाब में उठाया था.

अपनी दलील में उन्होंने कहा है कि उनके आरोप जो कि उनकी पहली मुलाकात के बारे में हैं, उनकी “कल्पना की उपज हैं और मनगढ़ंत हैं.”

पिछले साल वोग पत्रिका में अपने एक लेख में रमानी ने एक संपादक के बारे में लिखा था कि उन्होंने दो दशक पहले नौकरी के लिए साक्षात्कार के लिए एक होटल के कमरे में बुलाया, उन्हें ड्रिंक्स ऑफर की, उन्हें पलंग पर अपने पास बैठने को कहा और उनके लिए गाना गाया.

अक्टूबर, 2017 में जब दुनिया भर में मीटू मुहिम शुरू हुई थी तब लिखे गए उस लेख में उन्होंने उस संपादक का नाम नहीं लिया था.

हाल ही में, 8 अक्टूबर को उन्होंने अकबर का नाम लिया. साथ ही सोशल मीडिया में मीटू मुहिम के नए दौर में कई महिलाओं ने पत्रकारिता और मनोरंजन जगत से जुड़े लोगों पर आरोप लगाए हैं.

अपने ट्वीट मे रमानी ने कहा था कि उन्होंने पहले उनका नाम इसलिए नहीं लिया था क्योंकि “उन्होंने कुछ किया नहीं था”. उनके दावे के साथ ही कई महिलाओं ने आरोप लगाए कि उनको भी कथित रूप से अकबर के हाथों प्रताड़ित होना पड़ा था.

‘आरोप लगाने वाली अन्य महिलाओं के खिलाफ भी मामले दर्ज होंगे’

अकबर ने पटियाला हाउस ज़िला अदालत में आपराधिक मानहानि का केस दायर किया है. दिप्रिंट से बात करते हुए उनकी वकीलों की टीम के एक सदस्य ने कहा कि अन्य मामलों में भी ऐसे केस दायर होंगे जिन्होंने सोशल मीडिया पर अकबर पर आरोप लगाए हैं.

उनकी शिकायत कहती है कि रमानी ने “…जानबूझकर, सोच समझकर, दुर्भावना से शिकायतकर्ता की मानहानि की है. उनके आरोप सरासर गलत, बचकाने, अनुचित और लज्जाजनक हैं… इनसे शिकायतकर्ता के नाम और इज़्ज़त पर राजनीतिक क्षेत्र में, मीडिया में, दोस्तों, सहकर्मियों, परिवार और समाज में बुरा प्रभाव पड़ा है.”

अकबर ने कहा कि रमानी ने जो लिखा और बाद के उनके ट्वीट जिसमें वे उन्हें “मीडिया का सबसे बड़ा यौन उत्पीड़क” कहती हैं, उसका मकसद केवल अकबर की छवि धूमिल करना था और राजनीतिक इज़्ज़त पर आंच लगाना था ताकि “वे स्वयं के हित साधें और अपने अजेंडे को आगे बढ़ाएं”.

उन्होंने अकबर ने “कुछ नहीं किया” वाले दावे का हवाला दे कर इन आरोपों पर सवाल खड़े किये.

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