नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हाल ही में राज्य में संपत्तियों को ढहाए जाने वाली कार्रवाई पूरी प्रक्रिया का पालन करते हुए की गई है और ये दंगों में शामिल होने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई से संबंधित नहीं है.
उत्तर प्रदेश सरकार ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि दंगाइयों के खिलाफ की गई कार्रवाई अलग कानूनी प्रक्रियाओं के तहत की गई है.
यूपी सरकार के अनुसार, ‘कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद 12 जून 2022 को प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा अधिनियम की धारा 27 के तहत अवैध निर्माण को ध्वस्त कर दिया गया था और इसका दंगा की घटना से कोई संबंध नहीं था.’
उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुई कार्रवाई के बाद जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दायर की गई शिकायत के खिलाफ जवाब के तौर पर उत्तर प्रदेश सरकार का हलफनामा आया है.
यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में अदालत से मांग की कि वो जमीयत उलमा-ए-हिंद की शिकायत को खारिज कर दे. वहीं सरकार ने जमियत द्वारा लगाए गए आरोपों को गलत बताया और उसे खारिज कर दिया.
यूपी सरकार ने कहा कि दंगों की घटनाओं के काफी पहले ही कथित तौर पर अनाधिकृत निर्माण के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो चुकी थी.
यूपी सरकार ने ये भी बताया कि अलग नियमों के तहत राज्य सरकार दंगों में संलिप्त लोगों पर कार्रवाई कर रही है.
पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था और ये भी कहा था कि प्रशासन तय नियमों के अनुसार कथित तौर पर अनाधिकृत निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करे.
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने एक आवेदन दायर कर उत्तर प्रदेश राज्य को निर्देश जारी करने की मांग की है कि राज्य में किसी भी आपराधिक कार्यवाही में किसी भी आरोपी की आवासीय या वाणिज्यिक संपत्ति के खिलाफ अतिरिक्त कानूनी दंडात्मक उपाय के रूप में कोई प्रारंभिक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए.
जमीयत ने अदालत से ये भी मांग की कि कानपुर जिले में प्रशासन घरों को ढहाने की कार्रवाई करने की सोच रही है, इस पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए.
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